किसानों की आवाज बना युवाओं का एक समूह, सोशल मीडिया के जरिए भ्रांतियां मिटाने की कर रहे कोशिश

Farmers

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई किसान नेताओं ने प्रदर्शनकारियों से अपील की है कि वह तकनीकी समझ रखने वाले इन युवाओं से संपर्क करें। यह लोग सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाई जा रही 'फेक न्यूज' को रोकने का प्रयास करेंगे और उनका जवाब देंगे।

रेवाड़ी। नए कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा-राजस्थान सीमा पर चल रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर फैलाई जा रही 'गलत सूचना' को काउंटर करने के लिए किसान परिवारों के तकनीकी समझ रखने वाले युवा सामने आए हैं। ऐसे ही आठ युवाओं ने मिलकर एक यूट्यूब चैनल की शुरुआत की है। जिनकी यह कोशिश रहेगी कि वह लोगों की गलतफहमी को दूर करें और किसी भी तरह के संदेह और सवालों का जवाब दें। 

इसे भी पढ़ें: केरल विधानसभा में BJP के एकमात्र विधायक ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव का किया समर्थन 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई किसान नेताओं ने प्रदर्शनकारियों से अपील की है कि वह तकनीकी समझ रखने वाले इन युवाओं से संपर्क करें। यह लोग सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाई जा रही 'फेक न्यूज' को रोकने का प्रयास करेंगे और उनका जवाब देंगे।

स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव समेत कई लोगों ने 13 दिसंबर को जयसिंहपुर खेरा में विरोध प्रदर्शन की शुरुआत की थी। जिसके बाद राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के हजारों किसानों ने उनका साथ दिया और केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग लेकर प्रदर्शन को और विशाल रूप दे दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों को कई तरह के सवालों का भी सामना करना पड़ा। जैसे- फंडिंग को लेकर या फिर खालिस्तानी और माओवादी के साथ लिंक होने से जुड़े आरोप। वहीं, किसानों का कहना है कि युवाओं द्वारा शुरु किया गया डिजिटल अभियान इसी तरह की गलतफहमियों को दूर करने के लिए है।

एक अंग्रेजी समाचार पत्र से बातचीत में स्वराज इंडिया प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा कि 'फेक न्यूज' काफी तेजी के साथ फैलती है। हाल ही में एक खालिस्तान पोस्टर को एडिट करके हमारे प्रदर्शन के साथ जोड़ने की कोशिश की गई थी। जो की विदेशी जमी का था। उन्होंने बताया कि हमने इस पर तुरंत अपना स्पष्टीकरण दिया। 

इसे भी पढ़ें: नए कृषि कानूनों के विरोध में नोएडा में कई स्थानों पर किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी 

उन्होंने आगे बताया कि मैं हर दिन सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी साझा करता रहा लेकिन अब समय आ गया है गलत सूचनाओं और नकरात्मक धारणाओं के खिलाफ लड़ने का।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, किसान एकता नामक यूट्यूब चैनल के अलावा टेक टीम सोशल मीडिया पर रोजाना किसानों की वीडियो, फोटो और उनके कमेंट को अपलोड करती है। किसान नेता अमरा राम ने बताया कि वालिंटियर्स वरिष्ठ किसान नेताओं के बयानों को रिकॉर्ड करके यूट्यूब, व्हाट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर पर अपलोड करते हैं। इसके अतिरिक्त ऑनलाइन स्ट्रीमिंग के पीछे की तकनीकि को भी यही लोग संभालते हैं।

आठ युवाओं की टीम में दिल्ली कॉलेज के एमएससी सेकंड ईयर के दो छात्र हैं, जो बिकानेर और जयपुर के रहने वाले हैं। वहीं, 24 वर्षीय छात्र जो दिल्ली से बीटेक की पढ़ाई कर रहा है वह श्री गंगानगर का रहने वाला है। इसके अतिरिक्त बाकी के युवा पंजाब के रहने वाले हैं, जो किसान परिवारों से ताल्लुकात रखते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, युवाओं का कहना है कि बुजुर्ग लोगों को तकनीकि (सोशल मीडिया इत्यादि) की जानकारी नहीं है और यह लोग बदनामी से भी अनजान है। ऐसे में सभी लोगों के साथ जुड़ने के लिए किसानों की आवाज पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया गया है। 

इसे भी पढ़ें: किसान आंदोलन के बीच हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन को बड़ा झटका, निकाय चुनाव में मिली करारी शिकस्त 

मोहाली के रहने वाले 32 वर्षीय एक वॉलिंटियर ने बताया कि हमारे पास बड़ा सेट-अप नहीं है, लेकिन हमारे पास जो भी संसाधन हैं हम उनसे सोशल मीडिया पर दुर्भावनापूर्ण अभियान का मुकाबला कर रहे हैं। जहां पर किसानों को राष्ट्र विरोधी बताया गया और किसान नेताओं को निशाना बनाया गया। उन्होंने आगे बताया कि हमारा काम लोगों को हमारे विरोध के बारे में शिक्षित करने का है। हम रोजाना सोशल मीडिया पर एक लाइव सत्र का आयोजन करते हैं। जहां पर हम सवाल खड़े करते हैं और हमें खासा समर्थन मिल रहा है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़