किसान अब परेशान न हों, प्रधानमंत्री के प्रति विश्वास बनाए रखें

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उन्होंने कहा, ‘‘हरियाणा को इस आंदोलन के बड़े प्रभाव का सामना करना पड़ा है और इस एक वर्ष के दौरान मैंने प्रधानमंत्री, वरिष्ठ नेताओं और यहां तक कि किसान यूनियन के साथ भी कई बैठकें की हैं। प्रारंभ में इस मुद्दे पर किसानों के साथ 11 औपचारिक बैठकें हुई थी। इसके बाद, कई अनौपचारिक बैठकों भी हुई और केंद्र को इन बैठकों के संदेश भी साझा किये गए।

चंडीगढ़ । किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में  मनोहर लाल ने कहा कि जिस मामले में आपसी समझ बनती है तो कई विषयों पर विचार किया जाता है। कुछ मामले सामान्य होते हैं जबकि कुछ गंभीर धाराओं में भी दर्ज किए जाते हैं। अब अपनी ओर से भी सार्थक पहल की जाएगी और किसी भी प्रकार के विवाद को आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा।

 

उन्होंने कहा, ‘‘हरियाणा को इस आंदोलन के बड़े प्रभाव का सामना करना पड़ा है और इस एक वर्ष के दौरान मैंने प्रधानमंत्री, वरिष्ठ नेताओं और यहां तक कि किसान यूनियन के साथ भी कई बैठकें की हैं। प्रारंभ में इस मुद्दे पर किसानों के साथ 11 औपचारिक बैठकें हुई थी। इसके बाद, कई अनौपचारिक बैठकों भी हुई और केंद्र को इन बैठकों के संदेश भी साझा किये गए। मुझे लगता है कि हमारे द्वारा किए गए प्रयासों ने भी आज लिए गए इस निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’’

किसान यूनियनों द्वारा प्रधानमंत्री के प्रति अविश्वास दिखाने के संबंध में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा आज की गई घोषणा पर निश्चित रूप से मिली-जुली प्रतिक्त्रिया मिली है। कुछ ने इसके लिए उनकी सराहना की है, जबकि अन्य अभी भी संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि किसानों से आग्रह करूंगा कि वे अब चिंता न करें और प्रधानमंत्री की घोषणा  पर भरोसा रखें।

श्री मनोहर लाल ने कहा कि विपक्ष ने भी प्रधानमंत्री पर भरोसा दिखाया है, लेकिन अगर अभी भी कुछ लोग अफवाहें फैला रहे हैं और इस कल्याणकारी निर्णय पर अविश्वास दिखा रहे हैं तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।

प्रधानमंत्री द्वारा इन कानूनों को वापिस लिए जाने की घोषणा के संबंध में एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री मनोहर लाल ने कहा कि यह फैसला एकदम से नहीं लिया गया है। इस पर काफी समय से बातचीत चल रही है और काफी समय से चल रहे गतिरोध को देखते हुए किसान हित में यह निर्णय लिया गया है। इस फैसले को चुनाव से जोड़ना तर्कसंगत और न्यायसंगत नहीं है। चुनाव आते हैं और चले जाते हैं। निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री ने यह फैसला करके बड़ा दिल दिखाया है। उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह आम आदमी के नेता हैं

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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