ज़रा ध्यान दें ! 49 हस्तियों पर FIR दर्ज, मामला बड़ा और सोचने लायक है

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49 लोगों के खिलाफ एफआईआर बिहार के मुजफ्फरपुर में दर्ज हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुजफ्फरपुर के वकील सुधीर कुमार ओझा ने दो महीने पहले न्यायालय में एक याचिका दायर की थी।

असहिष्णुता ! यह शब्द लंबे समय से किसी बस्ते में बंद हो गया था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत करने के कुछ वक्त बाद ही 49 मशहूर लोगों ने इस मुद्दे को फिर से जिंदा कर दिया। इन 49 हस्तियों ने बाकायदा इस मुद्दे को लेकर पीएम को सात जुलाई के दिन पत्र लिखा और अपनी बात रखी। समय बीतता गया और यह मुद्दा पूरी तरह से शांत होने लगा। मगर इन 49 हस्तियों में शामिल अभिनेता और फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप अपना ट्विटर अकाउंट डिलीट करते हुए इस मुद्दे को जिन्दा रखने का प्रयास किया।

अब आपके, सभी के ज़हन में यह सवाल खड़ा हो रहा होगा कि आखिर इस मुद्दे पर हम बात क्यों कर रहे हैं ? सवाल आपका जायज है क्योंकि इन तमाम 49 हस्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। जिसमें भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत उपद्रव करने, शांति भंग करने के इरादे से धार्मिक भावनाओं को आहत करने संबंधित धाराओं के अलावा राजद्रोह की धारा भी लगाई गई है। 

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बता दें कि इन 49 लोगों के खिलाफ एफआईआर बिहार के मुजफ्फरपुर में दर्ज हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुजफ्फरपुर के वकील सुधीर कुमार ओझा ने दो महीने पहले न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। जिसके बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूर्यकांत तिवारी के आदेश दिया कि इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। 

PM की छवि खराब करने का प्रयास

याचिका दायर करने वाले सुधीर कुमार ओझा ने कहा कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मेरी याचिका को स्वीकार करते हुए ये आर्डर पास किया था। जिसकी रसीद देकर आज सदर पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की कराई गई है।

वकील ने अपनी याचिका में देश की छवि को खराब करने और प्रधानमंत्री के बढ़िया काम को कम आंकने का इल्जाम लगाया था।

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पत्र में क्या लिखा था ?

इस पत्र में लिखा गया था कि आम लोगों को भड़काने के लिए जय श्री राम के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है। इतना ही नहीं इन हस्तियों ने पीएम मोदी से एक ऐसा माहौल बनाने की मांग की है, जहां असंतोष को कुचला नहीं जाए और देश एक मजबूत राष्ट्र बने। 

49 हस्तियों में कौन-कौन शामिल हैं ?

पत्र लिखने वालों में इतिहासकार रामचंद्र गुहा, अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा, फिल्मकार श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप और मणि रत्नम समेत अलग-अलग क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियां शामिल हैं। इस पत्र में कहा गया था कि जनवरी 2009 से 29 अक्टूबर 2018 तक धार्मिक पहचान के आधार पर 254 घटनाएं हुईं। इसमें 91 लोगों की मौत हुई जबकि 579 लोग जख्मी हुए। जबकि 2016 में दलितों पर अत्याचार के 840  मामले सामने आए हैं।

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क्या किया था अनुराग कश्यप ने ?

अनुराग कश्यप के माता-पिता और बेटी को धमकियां मिल रही थीं। कश्यप ने जब अपना ट्विटर डिलीट किया था तो उन्होंने उससे पहले लिखा कि यदि वह इस मंच पर अपने मन की बात कहने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, तो वह इसे छोड़ देंगे। उन्होंने आगे कहा कि जब आपके माता-पिता को फोन आने शुरू हो जाएं और आपकी बेटी को ऑनलाइन धमकियां मिलने लगें तो फिर कोई भी बात नहीं करना चाहेगा। कोई वजह या कोई भी तर्क नहीं बचेगा। आवाज दबाने वाले शासन करेंगे और आवाज दबाना जीने का नया तरीका होगा। सबको यह नया भारत मुबारक हो और उम्मीद है कि आप सभी इसमें आगे बढ़ेंगे।

मॉब लिंचिंग की घटनाएं रोकने की उठी थी मांग

प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर 49 मशहूर लोगों ने मांग की थी कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया जाए और आरोपियों को कड़ी सजा दी जाए। 

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अब सवाल खड़ा होता है कि क्या मॉब लिंचिंग की घटनाएं सच में एक बड़ा मुद्दा है ? तो इसके बारे में आपको खुद सोचना पड़ेगा क्योंकि हम आपको सिर्फ इतना बता सकते हैं कि लगभग हर एक-दो दिन में मॉब लिंचिंग से जुड़ी घटनाएं समाचार पत्र, न्यूज चैनल इत्यादि के माध्यम से दिखाई देती हैं। फिर चाहे मामला भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति या फिर महिला को पीटे जाने का हो या फिर बच्चा चोरी के शक का हो। 

जब गूगल में आंकड़े खंगालने गए तो एक वेबसाइट की रिपोर्ट का आकलन किया गया। हालांकि हम इस वेबसाइट रिपोर्ट की सत्यता की पुष्टि नहीं करते हैं। लेकिन उसकी रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में सबसे ज्यादा 61 लोगों की मौत हुई थी। अगर यह सत्य है तो सवाल बड़ा है और उस पर विचार किया जाना चाहिए।

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