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ज़रा ध्यान दें ! 49 हस्तियों पर FIR दर्ज, मामला बड़ा और सोचने लायक है
- अनुराग गुप्ता
- अक्टूबर 4, 2019 13:04
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49 लोगों के खिलाफ एफआईआर बिहार के मुजफ्फरपुर में दर्ज हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुजफ्फरपुर के वकील सुधीर कुमार ओझा ने दो महीने पहले न्यायालय में एक याचिका दायर की थी।
असहिष्णुता ! यह शब्द लंबे समय से किसी बस्ते में बंद हो गया था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत करने के कुछ वक्त बाद ही 49 मशहूर लोगों ने इस मुद्दे को फिर से जिंदा कर दिया। इन 49 हस्तियों ने बाकायदा इस मुद्दे को लेकर पीएम को सात जुलाई के दिन पत्र लिखा और अपनी बात रखी। समय बीतता गया और यह मुद्दा पूरी तरह से शांत होने लगा। मगर इन 49 हस्तियों में शामिल अभिनेता और फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप अपना ट्विटर अकाउंट डिलीट करते हुए इस मुद्दे को जिन्दा रखने का प्रयास किया।
अब आपके, सभी के ज़हन में यह सवाल खड़ा हो रहा होगा कि आखिर इस मुद्दे पर हम बात क्यों कर रहे हैं ? सवाल आपका जायज है क्योंकि इन तमाम 49 हस्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। जिसमें भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत उपद्रव करने, शांति भंग करने के इरादे से धार्मिक भावनाओं को आहत करने संबंधित धाराओं के अलावा राजद्रोह की धारा भी लगाई गई है।
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बता दें कि इन 49 लोगों के खिलाफ एफआईआर बिहार के मुजफ्फरपुर में दर्ज हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुजफ्फरपुर के वकील सुधीर कुमार ओझा ने दो महीने पहले न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। जिसके बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूर्यकांत तिवारी के आदेश दिया कि इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
PM की छवि खराब करने का प्रयास
याचिका दायर करने वाले सुधीर कुमार ओझा ने कहा कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मेरी याचिका को स्वीकार करते हुए ये आर्डर पास किया था। जिसकी रसीद देकर आज सदर पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की कराई गई है।
वकील ने अपनी याचिका में देश की छवि को खराब करने और प्रधानमंत्री के बढ़िया काम को कम आंकने का इल्जाम लगाया था।
पत्र में क्या लिखा था ?
इस पत्र में लिखा गया था कि आम लोगों को भड़काने के लिए जय श्री राम के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है। इतना ही नहीं इन हस्तियों ने पीएम मोदी से एक ऐसा माहौल बनाने की मांग की है, जहां असंतोष को कुचला नहीं जाए और देश एक मजबूत राष्ट्र बने।
49 हस्तियों में कौन-कौन शामिल हैं ?
पत्र लिखने वालों में इतिहासकार रामचंद्र गुहा, अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा, फिल्मकार श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप और मणि रत्नम समेत अलग-अलग क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियां शामिल हैं। इस पत्र में कहा गया था कि जनवरी 2009 से 29 अक्टूबर 2018 तक धार्मिक पहचान के आधार पर 254 घटनाएं हुईं। इसमें 91 लोगों की मौत हुई जबकि 579 लोग जख्मी हुए। जबकि 2016 में दलितों पर अत्याचार के 840 मामले सामने आए हैं।
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क्या किया था अनुराग कश्यप ने ?
अनुराग कश्यप के माता-पिता और बेटी को धमकियां मिल रही थीं। कश्यप ने जब अपना ट्विटर डिलीट किया था तो उन्होंने उससे पहले लिखा कि यदि वह इस मंच पर अपने मन की बात कहने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, तो वह इसे छोड़ देंगे। उन्होंने आगे कहा कि जब आपके माता-पिता को फोन आने शुरू हो जाएं और आपकी बेटी को ऑनलाइन धमकियां मिलने लगें तो फिर कोई भी बात नहीं करना चाहेगा। कोई वजह या कोई भी तर्क नहीं बचेगा। आवाज दबाने वाले शासन करेंगे और आवाज दबाना जीने का नया तरीका होगा। सबको यह नया भारत मुबारक हो और उम्मीद है कि आप सभी इसमें आगे बढ़ेंगे।
मॉब लिंचिंग की घटनाएं रोकने की उठी थी मांग
प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर 49 मशहूर लोगों ने मांग की थी कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया जाए और आरोपियों को कड़ी सजा दी जाए।
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अब सवाल खड़ा होता है कि क्या मॉब लिंचिंग की घटनाएं सच में एक बड़ा मुद्दा है ? तो इसके बारे में आपको खुद सोचना पड़ेगा क्योंकि हम आपको सिर्फ इतना बता सकते हैं कि लगभग हर एक-दो दिन में मॉब लिंचिंग से जुड़ी घटनाएं समाचार पत्र, न्यूज चैनल इत्यादि के माध्यम से दिखाई देती हैं। फिर चाहे मामला भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति या फिर महिला को पीटे जाने का हो या फिर बच्चा चोरी के शक का हो।
जब गूगल में आंकड़े खंगालने गए तो एक वेबसाइट की रिपोर्ट का आकलन किया गया। हालांकि हम इस वेबसाइट रिपोर्ट की सत्यता की पुष्टि नहीं करते हैं। लेकिन उसकी रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में सबसे ज्यादा 61 लोगों की मौत हुई थी। अगर यह सत्य है तो सवाल बड़ा है और उस पर विचार किया जाना चाहिए।
राॅबर्ट वाड्रा को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है ED, राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका
- अभिनय आकाश
- जनवरी 18, 2021 13:39
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डी ने प्रार्थना पत्र पेश कर आरोपियों से हिरासत में लेकर पूछताछ को आवश्यक बताते हुए हाईकोर्ट से अनुमति मांगी है। ईडी की अर्जी पर राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर खंडपीठ आज इस मामले पर सुनवाई करेगी।
चर्चित कोलायत जमीन घोटाला और धन शोधन मामले में प्रियंका गांधी वाड्रा के पति राॅबर्ट वाड्रा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राॅबर्ट वाड्रा और उनके सहयोगी को हिरासत में लेकर पूछताछ करने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है। ईडी ने प्रार्थना पत्र पेश कर आरोपियों से हिरासत में लेकर पूछताछ को आवश्यक बताते हुए हाईकोर्ट से अनुमति मांगी है। ईडी की अर्जी पर राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर खंडपीठ आज इस मामले पर सुनवाई करेगी।
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क्या है मामला
आरोप है कि राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों ने कई संदिग्ध नामों से भूमि आवंटित करा ली। साल 2010 में वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हाॅस्पिटैविटी प्राइवेच लिमिटेड ने 72 लाख रुपये में 69.55 हेक्टेयर की भूमि खरीद उसे दो साल बाद 5.15 करोड़ रुपये में दूसरी कंपनी एलीगेनी फिनलीज प्राइवेट लिमिटेड को बेच दी। ईडी मे मामले में सूचना रिपोर्ट दाखिल कर राॅबर्ट वाड्रा को पूछताछ के लिए बुलाया था। साल 2018 में कंपनी ने हाईकोर्ट का रुख कर लिया था।
किसान आंदोलन पर बोले कैलाश चौधरी, यूनियन से कम्युनिस्ट निकल जाएं तो समाधान हो जाएगा
- अंकित सिंह
- जनवरी 18, 2021 13:13
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कैलाश चौधरी ने यह भी कहा कि शुरू में जब पहली बैठक हुई थी, तब उनके जो मुद्दे थे उन पर सरकार ने अमल करके उसमें संशोधन कर लिया है। उसके लिए लिखित में आश्वासन देने की बात भी हो चुकी है। कल इस मानसिकता के साथ बैठें कि कोई न कोई समाधान निकालना है।
सरकार और किसानों के बीच में कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध जारी है। अब तक लगभग 9 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन निष्कर्ष कुछ नहीं निकल पाया है। विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है। इस सब के बीच केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बड़ा बयान दिया है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक कैलाश चौधरी ने कहा कि किसान यूनियन के कुछ नेता चाहते हैं कि इसका समाधान हो। अगर यूनियन से कम्युनिस्ट निकल जाएं तो कल इसका समाधान हो जाएगा। कम्युनिस्ट, कांग्रेस और कुछ राजनीतिक दल कभी नहीं चाहते कि इसका समाधान हो।
इसके आगे कैलाश चौधरी ने यह भी कहा कि शुरू में जब पहली बैठक हुई थी, तब उनके जो मुद्दे थे उन पर सरकार ने अमल करके उसमें संशोधन कर लिया है। उसके लिए लिखित में आश्वासन देने की बात भी हो चुकी है। कल इस मानसिकता के साथ बैठें कि कोई न कोई समाधान निकालना है। आपको बता दें कि सरकार ने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से तीन कृषि कानून के बारे में अपनी आपत्तियां और सुझाव रखने एवं ठोस प्रस्ताव तैयार करने के लिये एक अनौपचारिक समूह गठित करने को कहा जिस पर 19 जनवरी को अगले दौर की वार्ता में चर्चा हो सकेगी। तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ शुक्रवार को हुई नौवें दौर की वार्ता में प्रदर्शनकारी किसान तीन नये विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे जबकि सरकार ने किसान नेताओं से उनके रुख में लचीलापन दिखाने की अपील की एवं कानून में जरूरी संशोधन के संबंध अपनी इच्छा जतायी।शुरू में जब पहली बैठक हुई थी, तब उनके जो मुद्दे थे उन पर सरकार ने अमल करके उसमें संशोधन कर लिया है। उसके लिए लिखित में आश्वासन देने की बात भी हो चुकी है। कल इस मानसिकता के साथ बैठें कि कोई न कोई समाधान निकालना है: कैलाश चौधरी #FarmLaws https://t.co/LwqqIZUtDC
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 18, 2021
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- अभिनय आकाश
- जनवरी 18, 2021 13:03
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पीएम मोदी के अलावा कई अन्य बड़े देशों के नेताओं के पोस्टर भी इस रैली में थे। प्रदर्शन करने वाले लोग अलग सिंधुदेश और पीएम मोदी के समर्थन में नारे लगा रहे थे। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी पीएम मोदी से सिंध को अलग गेश बनाने के लिए समर्थन भी मांग रहे थे।
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के तारे गर्दिश में हैं। पाकिस्तान में इमरान खान पर विपक्ष तो हमलावर था ही जैसा जनता का रुख है उसने भी इमरान खान की मुश्किलें बढ़ा दी है। रविवार को सिंध के सान कस्बे में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया। रैली में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बैनर और पोस्टर भी देखने को मिले। पीएम मोदी के अलावा कई अन्य बड़े देशों के नेताओं के पोस्टर भी इस रैली में थे। प्रदर्शन करने वाले लोग अलग सिंधुदेश और पीएम मोदी के समर्थन में नारे लगा रहे थे। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी पीएम मोदी से सिंध को अलग गेश बनाने के लिए समर्थन भी मांग रहे थे।
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गौरतलब है कि 1947 के भारत-पाक बंटवारे से लेकर अब तक पाकिस्तान के दोयम दर्जे की नीतियों और सेना की जूतों के तले रखने की आदतों का शिकार होना पड़ता है। जिस तरह बलूचिस्तान पश्चूनिस्तान की मांग पंजाबी वर्चस्व वाली पाकिस्तानी सरकार और सेना के लिए गले की हड्डी बनी हुई है, ठीक उसी तरह सिंध प्रांत की मांग भी लंबे अरसे की की जाती रही है। वहां की सड़कों पर रह-रहकर यह नारा जोर मारता है 'कल बना था बांग्लादेश, अब बनेगा सिंधुदेश'।
#WATCH: Placards of PM Narendra Modi & other world leaders raised at pro-freedom rally in Sann town of Sindh in Pakistan, on 17th Jan.
— ANI (@ANI) January 18, 2021
Participants of the rally raised pro-freedom slogans and placards, seeking the intervention of world leaders in people's demand for Sindhudesh. pic.twitter.com/FJIz3PmRVD

