1989 के बाद Kashmir में पहली बार गणेश चतुर्थी पर्व उत्साह के साथ मनाया गया, झेलम में किया गया प्रतिमा विसर्जन

कश्मीर में हाल ही में रक्षाबंधन पर्व उत्साह के साथ मनाया गया और अब गणेश चतुर्थी पर्व पर भी कश्मीर में खूब धूमधाम देखने को मिली। 1989 में कश्मीर में आतंकवाद फैलने के बाद पहली बार हुआ कि भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा को झेलम नदी में धूमधाम के साथ विसर्जित किया गया।
कश्मीर में हालात में सुधार का बड़ा लाभ यह है कि हर धर्म के लोग अपने त्योहारों को उत्साहपूर्ण तरीके से मना पा रहे हैं। खास बात यह है कि सभी त्योहारों पर सभी धर्मों के लोग जुटते हैं जिससे साम्प्रदायिक सद्भाव और मजबूत होता है। हाल ही में कश्मीर में दशकों बाद मुहर्रम का जुलूस निकला था। इसके अलावा अभी पिछले दिनों देखने को मिला था कि जन्माष्टमी पर श्रीनगर की सड़कों पर शोभा यात्रा धूमधाम से निकली थी और लाल चौक पहुँची थी। इससे पहले खीर भवानी मंदिर में लगने वाले वार्षिक मेले में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी थी। यही नहीं, हाल ही में संपन्न अमरनाथ यात्रा भी हर लिहाज से बेहद सफल रही थी। साथ ही कश्मीर में हाल ही में रक्षाबंधन पर्व उत्साह के साथ मनाया गया और अब गणेश चतुर्थी पर्व पर भी कश्मीर में खूब धूमधाम देखने को मिली। 1989 में कश्मीर में आतंकवाद फैलने के बाद पहली बार हुआ कि भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा को झेलम नदी में धूमधाम के साथ विसर्जित किया गया।
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कश्मीर में गणेश चतुर्थी पर्व पर कश्मीरी पंडितों का उत्साह देखने लायक था। श्रीनगर शहर के हब्बा कदल इलाके में स्थित गणपतियार मंदिर में सबसे बड़ा उत्सव और पूजा का आयोजन हुआ। कश्मीरी पंडित नेता संजय टिक्कू ने बताया कि भगवान गणेश के जन्मदिवस पर मंदिर में हवन के साथ विशेष पूजा-अर्चना की गई। टिक्कू ने कहा, 'आज कश्मीर में उस तरह से विनायक चतुर्थी मनाई गई जैसे की महाराष्ट्र और देश के अन्य हिस्सों में मनाई जाती है।' उन्होंने कहा कि इस दिन इस सिद्धिविनायक मंदिर में हम एक यज्ञ करते हैं जो लगभग 12-14 घंटे तक चलता है। वहीं अन्य लोगों ने बताया कि भगवान गणेश की पर्यावरण-अनुकूल प्रतिमा को विसर्जित किया गया। प्रतिमा को विसर्जित करने से पहले धूमधाम से एक जुलूस निकाला गया।
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