अवैध जल निकासी के लिए नोएडा के बिल्डर पर 3.30 करोड़ के जुर्माने की सिफारिश

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[email protected] । Dec 2 2019 4:06PM

समिति ने यह भी बताया कि अपार्टमेंट में बिजली आपूर्ति के लिए 500 केवी का डीजल जेनरेटर लगाया गया है लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार इसके लिए चिमनी की व्यवस्था नहीं की गयी है।

नयी दिल्ली। उत्तर प्रदेश के नोएडा क्षेत्र से अवैध रूप से भूजल का दोहन करने तथा गैर शोधित सीवेज जल को हरित क्षेत्र में बहाने के मामले में एक समिति ने नोएडा के एक बिल्डर के खिलाफ तीन करोड़ 28 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाने की राष्ट्रीय हरित अधिकरण से सिफारिश की है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के अधिकारियों वाली इस समिति ने अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ को बताया कि प्राधिकरण से मंजूरी लिये बगैर भूजल निकाला जा रहा है।

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समिति ने पीठ को सूचित किया, ‘‘आवेदकों द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, बिल्डर ने 29 जनवरी 2011 को परियोजना की शुरूआत की थी और दिसंबर 2014 से फ्लैट का कब्जा देना शुरू किया। बिल्डर ने दो बोरवेल लगाए थे। वर्षा जल संग्रह की व्यवस्था की गयी थी लेकिन इसका संचालन नहीं हो पाया।’’समिति ने कहा कि इस अपार्टमेंट में 560 फ्लैट हैं और उसमें 475 परिवार रहते हैं लेकिन वहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। समिति ने यह भी बताया कि अपार्टमेंट में बिजली आपूर्ति के लिए 500 केवी का डीजल जेनरेटर लगाया गया है लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार इसके लिए चिमनी की व्यवस्था नहीं की गयी है। समिति ने बिल्डर से पर्यावरण मुआवजे के रूप में तीन करोड़ 28 लाख 50 हजार रुपये वसूले जाने की सिफारिश करती है।अधिकरण अब इस मामले की सुनवाई 11 फरवरी को करेगा।

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