भारत में जल्द आने वाली है ये कोरोना वैक्सीन, जानें इनके बारे में पूरी डिटेल

new corona vaccines in India

सरकार ने कहा था कि बाकी बची वैक्सीन विदेशी और स्वदेशी कंपनियों से खरीदी जाएंगी जिनका फिलहाल ट्रायल चल रहा है।ऐसे में चलिए जानते हैं उन वैक्सीन के बारे में जिन्हें जल्द ही सरकार से मंजूरी के बाद इस्तेमाल किया जाएगा।

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने जमकर कहर बरपाया। ऐसे में तीसरी लहर की संभावनाओं के बीच सरकार ने सभी जरुरी कम उठाने शुरु कर दिए हैं। जहां एक तरफ सरकार ने 1 लाख हेल्थ वर्कर्स को ट्रेनिंग देने के लिए क्रैश कोर्स की शुरुआत की है तो वहीं दूसरी तरफ टीकाकरण अभियान को भी तेजी देने के लिए कदम उठा रही है। सरकार दूसरी लहर के प्रकोप को देखते हुए चाहती है कि ऐसा अब एक फिर से ना हो जाए इसलिए जल्द से जल्द सभी को कोरोना के लिए टीके लगवा दिए जाएं। देश में वैक्सीन की कमी की बात लगातार सामने आ रही हैं। केंद्र ने पिछले महीने ही कहा था कि वो अगस्त से दिसंबर के बीच 200 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन को खरीदेगा जो पूरी वयस्क आबादी के लिए काफी है। सरकार ने कहा था कि बाकी बची वैक्सीन विदेशी और स्वदेशी कंपनियों से खरीदी जाएंगी जिनका फिलहाल ट्रायल चल रहा है।ऐसे में चलिए जानते हैं उन वैक्सीन के बारे में जिन्हें जल्द ही सरकार से मंजूरी के बाद इस्तेमाल किया जाएगा।   

नोवावैक्स- कोवोवैक्स 

सबसे पहले बात करते हैं अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी फर्म नोवावैक्स द्वारा विकसित की जा रही है NVX-CoV2373 जिसे भारत में कोवोवैक्स के नाम से जाना जाएगा। इस वैक्सीन के ट्रायल में देखा गया है कि ये कोविड से होने वाली गंभीर और मध्यम बीमारियों के खिलाफ 90।4 प्रतिशत असरदार है। ऐसे में सीरम इंस्टिट्यूट जुलाई से बच्चों पर इसका ट्रायल शुरु कर सकता है। एक समझौते के तहत नोवावैक्स भारत समेत कई विकासशील देशों को वैक्सीन के निर्माण का आपूर्ति का लाइसेंस दिया था। नोवावैक्स कंपनी की मानें तो ये वैक्सीन सभी वैरिएंट से सुरक्षा प्रदान करती है। कुल मिलाकर ये वैक्सीन 90।4 प्रतिशत तक असरदार है और ये शुरुआती आंकड़े बताते हैं। 

बायोलॉजिकल ई-कॉर्बेवैक्स

वहीं सरकार ने हैदराबाद की एक कंपनी बायोलॉजिकल ई को एक नई कोरोना वैक्सीन की 30 करोड़ डोज बनाने का प्रस्ताव दिया है। इस वैक्सीन का नाम कॉर्बेवैक्स है। फिलहाल ये वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के आधे चरण में है। ये वैक्सीन एक रेकॉम्बीनैंट प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है। जिसके मतलब है कि ये कोरोना वायरस के ही एक विशेष पार्ट से बनी है। वायरस की सतह पर स्पाइक प्रोटीन होता है, जो वायरस को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने की इजाजत देता है ताकि ये संक्रमण का कारण बन सके। हालांकि, शरीर में वायरस न होने की स्थिति में जब ये प्रोटीन दिया जाता है, तब इसके हानिकारक होने की उम्मीद नहीं रहती क्योंकि तब शरीर में वायरस मौजूद नहीं है। कोर्बेवैक्स के लिए सरकार 1,500 करोड़ रुपये का एडवांस भुगतान कर चुकी है। 30 करोड़ डोज की मदद से 15 करोड़ भारतीय नागरिकों को वैक्सीनेशन किया जा सकेगा।

जेनोवा- HGCO19

महाराष्ट्र के पुणे में भी एक नई वैक्सीन विकसित की जा रही है। पुणे स्थित जेनोवा बायोफार्मा एक Mrna कोरोना वैक्सीन पर काम कर रही है। फिलहाल ये वैक्सीन पहले चरण में हैं विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार जेनोवा की HGCO19 वैक्सीन दो महीने तक 2°C से 8°C पर स्टेबल रह सकती है।

स्पुतनिक-वी बूस्टर शॉट

स्पुतनिक वी जल्द ही बूस्टर शॉट की पेशकश की। रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड ने बताया कि ये बूस्टर शॉट डेल्टा कोविड वेरिएंट से लड़ने के लिए समायोजित किया गया है, जिसे पहली बार भारत में पाया गया था। स्पुतनिक वी के निर्माताओं ने एक ट्वीट में कहा कि जल्द ही बूस्टर शॉट की पेशकश करेगा। ये बूस्टर शॉट डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ काम करने के लिए समायोजित किया गया है।

जायडस कैडिला- ZYCoV-D

वहीं एक और वैक्सीन विकसित की जा रही है जो दुनिया की पहली बार डीएनए वैक्सीन होगी। ZYCoV-D अहमदाबाद स्थित फार्मा कंपनी जायडस कैडिला विकसित कर रही है। अगले 7-8 दिनों में कंपनी इसके इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए आवेदन कर सकती है। वैक्सीन का तीसरा ट्रायल पूरा हो चुका है जिसमें 28 हजार वॉलेंटियर्स को शामिल किया गया था। मंजूरी मिलने के बाद देश में इस्तेमाल होने वाली ये चौथी वैक्सीन होगी। 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़