गांधी के असहयोग आंदोलन जैसा है CAA और NRC का विरोध: सीताराम येचुरी

ग्वालियर (मध्यप्रदेश)। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने गुरुवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के खिलाफ पूरे देश में शांतिपूर्ण विरोध हो रहा है और यह आंदोलन ठीक वैसा ही है जैसा अंग्रेजों के खिलाफ महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन था। अपनी पार्टी द्वारा आयोजित सीएए विरोधी रैली में भाग लेने आये येचुरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘लोग देश का संविधान और तिरंगा झंडा लेकर आंदोलन कर रहे हैं। किसान एवं युवा इससे जुड़े हुए हैं और सरकार को यह कानून वापस लेनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने सीएए बनाकर देश को अस्थिरता में झोंक दिया है और ध्रुवीकरण कर सांप्रदायिक राजनीति शुरू कर दी है। येचुरी ने बताया, ‘‘यह पहली बार हुआ जब देश में नागरिकता को धर्म से जोड़ा गया है। सीएए देश के संविधान पर हमला है। केवल मुसलमान ही नहीं, बल्कि दलित एवं आदिवासी भी इससे प्रभावित होने वाले हैं।’’ उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत क्या थी?
We shall strengthen the ongoing people’s peaceful civil disobedience movement jointly until this is withdrawn.
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) February 20, 2020
(Speaking to the media with Shri Digvijaya Singh ji and Shri Sharad Yadav ji)#Gwalior https://t.co/8QOzfzENjI pic.twitter.com/OrWCRvY4bp
सीएए के पहले भी लोगों को भारत की नागरिकता दी गयी। हाल ही में पाकिस्तान के अदनान सामी को भारतीय नागरिकता दी गई। येचुरी ने कहा कि सीएए आगे चलकर एनपीआर और एनआरसी में बदलेगा। तीनों आपस में जुड़े हुए हैं। यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि एनपीआर जनगणना जैसा है। एनपीआर में कर्मचारी लोगों से सवाल पूछेगा, जबाव में किसी नागरिक के आगे डाउटफुल लिख दिया तो वह एनआरसी बन जाएगा। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के समय एनपीआर परियोजना विफल हो गयी थी, क्योंकि उसका परिणाम ठीक नहीं आया था। यही कारण है कि देश के 13 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सीएए, एनआरसी एवं एनपीआर का विरोध किया है। येचुरी ने कहा कि जिन राज्यों ने एनपीआर नहीं रोका, वे भी इस काम को रोक दें, क्योंकि इससे देश में अस्थिरता का वातावरण बन रहा है। उन्होंने केन्द्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि देश में ध्रुवीकरण और वोट बैंक की सांप्रदायिक राजनीति की जा रही है और इसके खिलाफ आंदोलन भी तेज हो रहा है। सीएए, एनआरसी एवं एनपीआर के खिलाफ हो रहे आंदोलन की तुलना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से करते हुए येचुरी ने कहा कि लोग देश का संविधान और तिरंगा लेकर सड़कों पर शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं। यह जनता के बीच आंदोलन है, जिसका नेतृत्व कोई नेता नहीं कर रहा है।
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येचुरी ने कहा कि गांधी का असहयोग आंदोलन भी ऐसा ही था। पहले अंग्रेज सरकार बात नहीं सुन रही थी, लेकिन बाद में बात करनी पड़ी। अभी देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री कह रहे हैं कि यह कानून वापस नहीं होगा, लेकिन जनता के आंदोलन में बहुत ताकत होती है। इसलिए सरकार को इस कानून के बारे में फिर से सोचना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘देश में आर्थिक मंदी शुरु हो गयी है, लेकिन सरकार नहीं मान रही। बेरोजगारी बढ़ रही है, किसान परेशान है। बड़े कॉर्पोरेट घरानों का कर्ज माफ कर देगी लेकिन सरकार किसान का कर्ज माफ नहीं करेगी। कारखाने बंद हो रहे हैं और सरकारी कंपनियां बेची जा रही हैं।’’ येचुरी ने कहा, ‘‘अमेरिका कह रहा है कि भारत विकसित हो गया, विकासशाली नहीं रहा। लेकिन देश के लोग तो गरीब हो रहे हैं। हमारी केन्द्र सरकार अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जैसी साम्राज्यवादी नीतियां देश में ला रही है। इससे आर्थिक लूट तेज होगी।’’
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