Srinagar के Modern Era Stenographic Institute के भविष्य के प्रति चिंतित नजर आ रहे हैं गुलाम मुहम्मद

Ghulam Muhammad
Prabhasakshi

आज के इस आधुनिक दौर में पारंपरिक टाइपराइटिंग के प्रति लोगों की रुचि नहीं रह गयी है जिससे गुलाम मुहम्मद अपने संस्थान के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। प्रभासाक्षी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि यह संस्थान ज्यादा समय तक टिक पाएगा।''

गुलाम मुहम्मद अहंगर पांच दशकों से अधिक समय से श्रीनगर में मॉडर्न एरा स्टेनोग्राफ़िक इंस्टीट्यूट चला रहे हैं, जिसमें कश्मीरी पंडितों से लेकर मुसलमानों तक सभी समुदायों के छात्रों को टाइपराइटिंग और स्टेनोग्राफ़ी कौशल सिखाया जाता है। गुलाम मुहम्मद घाटी में हिंदी कीबोर्ड टाइपराइटिंग शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे। उनके संस्थान में सर्वोत्तम टाइपराइटिंग मशीनें और उपकरण उपलब्ध हैं जिसके चलते कई छात्रों को स्टेनोग्राफी की कला में महारत हासिल करने में मदद मिली है। लेकिन आज के इस आधुनिक दौर में पारंपरिक टाइपराइटिंग के प्रति लोगों की रुचि नहीं रह गयी है जिससे गुलाम मुहम्मद अपने संस्थान के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। प्रभासाक्षी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि यह संस्थान ज्यादा समय तक टिक पाएगा क्योंकि आधुनिक तकनीक ने पारम्परिक तकनीकों की जगह ले ली है।

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हालांकि गुलाम मुहम्मद स्टेनोग्राफी पढ़ाना जारी रखे हुए हैं और उनकी विरासत को उनके भाई भी आगे बढ़ा रहे हैं, जो पूरी घाटी में एकमात्र टाइपराइटर मरम्मत कार्यशाला चलाते हैं। उनकी कार्यशाला यह सुनिश्चित करती है कि टाइपराइटिंग मशीनें चलती रहें और संस्थान में सिखाए गए कौशल कायम रहें।

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