उपचुनाव के नतीजों के कारण सरकार को तीनों कृषि कानून निरस्त करने पड़े: कांग्रेस

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कांग्रेस ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक के चर्चा के बिना संसद में पारित किए जाने को लेकर सोमवार को सरकार पर चर्चा से डरने का आरोप लगाया और दावा किया कि हालिया उपचुनावों के नतीजों के कारण उसे कानूनों को निरस्त करने का कदम उठाना पड़ा।

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक के चर्चा के बिना संसद में पारित किए जाने को लेकर सोमवार को सरकार पर चर्चा से डरने का आरोप लगाया और दावा किया कि हालिया उपचुनावों के नतीजों के कारण उसे कानूनों को निरस्त करने का कदम उठाना पड़ा। तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के फैसले पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर तंज कसते हुए यह भी कहा कि उसे एक साल तीन महीने बाद ज्ञान प्राप्त हुआ। साथ ही उन्होंने दावा किया कि हाल में हुए उपचुनाव के परिणामों के कारण सत्तारूढ़ दल को यह कानून वापस लेने का कदम उठाना पड़ा।

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उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष ने इन तीनों कानूनों को समाप्त करने के लिए निरसन विधेयक को बिना चर्चा के पारित कराने का कड़ा विरोध किया। दोपहर दो बजे उच्च सदन की कार्यवाही प्रारंभ होने पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि विधि निरसन विधेयक, 2021 को पेश किया। इसके बाद खड़गे ने कहा कि वह कृषि विधि निरसन विधेयक का स्वागत करते हैं और कोई इसके विरोध में नहीं है क्योंकि यह किसानों का मुद्दा है। उन्होंने निरस्त किए जा रहे तीनों कानूनों को ‘‘काला कानून’’ करार देते हुए कहा, ‘‘एक साल तीन महीने के बाद आपको (सरकार) ज्ञान प्राप्त हुआ और आपने कानूनों को वापस लेने का फैसला किया।’’ उन्होंने कहा कि इस किसान आंदोलन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से सभी लोग जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि जब इस विधेयक का प्रस्ताव आया था विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), किसान संगठनों ने भी इसका विरोध किया था। खड़गे ने कहा, ‘‘इसे वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा था और सारे देश में इन कानूनों के खिलाफ माहौल बन गया तथा उपचुनावों में इसका प्रभाव दिखा।

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अब पांच राज्यों में चुनाव हैं। उपचुनाव में ऐसे परिणाम हैं तो पांच राज्यों में परिणाम क्या होंगे। 700 किसान मर चुके हैं।’’ लोकसभा में इस विधेयक को पारित कराने के लिए रखे जाने के समय कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज सदन में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस विधेयक को चर्चा एवं पारित होने के लिये रखे जाने की बात कही गई लेकिन इस पर सरकार चर्चा क्यों नहीं करना चाहती है। कई अन्य विपक्षी सदस्यों को भी कुछ कहते देखा गया लेकिन शोर शराबे में उनकी बात नहीं सुनी जा सकी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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