सरकार किसानों को बांटने की कोशिश कर रही है: टिकैत

Rakesh Tikait

यहां किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, उन्हें समझाने में हमें एक साल लग गया, हमने अपनी में अपनी बात कही, लेकिन दिल्ली में चमचमाती कोठियों में बैठने वालों की दूसरी थी। जो हमसे बात करने आए, उन्हें यह समझने में 12 महीने लग गये कि यह कानून किसानों, गरीबों और दुकानदारों के लिए नुकसान पहुंचाने वाले हैं।

लखनऊ| भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को सरकार पर किसानों को बांटने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसे किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए उनसे बात करनी चाहिए, वरना हम कहीं नहीं जा रहे हैं।

टिकैत ने कहा कि किसानों को मोदी सरकार को यह समझाने में एक साल लग गया कि उसके तीन कृषि कानून नुकसान पहुंचाने वाले हैं और अफसोस है कि इन कानूनों को वापस लेते समय भी इस सरकार ने किसानों को बांटने की कोशिश की।

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किसान नेता ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून की मांग पर स्पष्ट जवाब देना चाहिए, जिसका उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए समर्थन किया था।

यहां किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, उन्हें समझाने में हमें एक साल लग गया, हमने अपनी में अपनी बात कही, लेकिन दिल्ली में चमचमाती कोठियों में बैठने वालों की दूसरी थी। जो हमसे बात करने आए, उन्हें यह समझने में 12 महीने लग गये कि यह कानून किसानों, गरीबों और दुकानदारों के लिए नुकसान पहुंचाने वाले हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘वह एक साल में समझ पाये कि ये कानून नुकसान पहुंचाने वाले हैं।फिर उन्होंने कानूनों को वापस लिया। उन्होंने कानूनों को वापस लेकर सही काम किया, लेकिन किसानों को यह कहकर विभाजित करने की कोशिश की कि वे कुछ लोगों को कानूनों के बारे में समझाने में विफल रहे।

हम ‘कुछ लोग’ हैं?’’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम, माफी मांगने से नहीं बल्कि नीति बनाने से मिलेगा।

किसान नेता ने कहा, प्रधानमंत्री देश के सामने माफी मांग सकते हैं, लेकिन देश के सामने माफी मांगने से किसानों को उनकी फसलों की सही कीमत नहीं मिलती है। एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाने पर उन्हें वाजिब दरें मिलेंगी।

देश की जनता अब जागरूक हो गई है। केंद्र पर हमला करते हुए टिकैत ने कहा, ऐसा लगता है कि पूरा देश एक निजी मंडी (बाजार) बनने जा रहा है। हमारा संघर्ष जारी रहेगा। हमने संघर्ष विश्राम की घोषणा नहीं की।

यह सरकार थी, जिसने संघर्ष विश्राम घोषित किया था। हमने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है, क्योंकि हमारे पास कई अन्य मुद्दे हैं।’’ टिकैत ने इस दावे को भी गलत बताया कि एमएसपी के लिए एक समिति बनाई गई है। उन्होंने कहा कि यह झूठ है। किसान नेता ने कहा कि बीज, डेयरी और प्रदूषण समेत अन्य मुद्दों को हल करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, हमारा संघर्ष जारी रहेगा। सरकार को किसानों से जुड़े मुद्दों पर बात करनी चाहिए वरना हम कहीं नहीं जा रहे हैं। पूरे देश में बैठकें होंगी और हम लोगों को आपके काम के बारे में बताएंगे।

टिकैत ने कहा, 2011 में, जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वह मुख्यमंत्रियों की उस आर्थिक समिति के प्रमुख थे, जिससे भारत सरकार ने पूछा था कि एमएसपी के बारे में क्या किया जाना है?

समिति ने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को सुझाव दिया था कि एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून की जरूरत है। इस समिति की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय में पड़ी है।

किसी नयी समिति की जरूरत नहीं है। टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री को देश के सामने स्पष्ट जवाब देना होगा कि क्या वह उस समिति के सुझाव को स्वीकार करेंगे जिसका वह हिस्सा थे।

टिकैत ने किसानों से कहा, वे आप सभी को हिंदू-मुस्लिम, हिंदू-सिख और जिन्ना में उलझाएंगे और देश को बेचते रहेंगे।केवल तीन कृषि कानून ही हमारे मुद्दे नहीं हैं, बल्कि 17 और कानून हैं, जिन्हें संसद में लाया जाएगा।

वे भी हमारे मुद्दे हैं। किसान संगठनों ने रविवार को कहा था कि वे अपना आंदोलन तब तक जारी रखेंगे जब तक कि एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा की गिरफ्तारी सहित उनकी छह अन्य मांगों पर उनसे बातचीत शुरू नहीं हो जाती।

टिकैत ने यह भी आरोप लगाया कि किसानों को 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का गन्ने का भुगतान किया जाना है और कहा कि उत्तर प्रदेश में एमएसपी पर कोई खरीद नहीं की जाती। उन्होंने कहा, ‘‘हम भी चाहते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्र के बीच 20 प्रस्तावित कानूनों पर बातचीत होनी चाहिए।

यह निर्णय लिया गया कि एक बार एमएसपी गारंटी कानून बन जाने के बाद, धरना समाप्त हो जाएगा और एक समिति बनाई जाएगी, जो इस पर और अन्य मुद्दों पर बातचीत करेगी।‘‘ महापंचायत में बोलने वाले अन्य लोगों में भाकपा नेता अतुल कुमार अंजन, हन्नान मोल्लाह और योगेंद्र यादव शामिल रहे।

महापंचायत के दौरान, तीन अक्टूबर की हिंसा में मारे गए चार किसानों के परिवार के सदस्यों और रमन कश्यप (हिंसा में मारे गए पत्रकार) के परिवार के सदस्यों को मंच पर किसान नेताओं द्वारा सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अमृतसर के रहने वाले साइकिल चालक जगजीत सिंह को भी किसान नेताओं ने सम्मानित किया।

32 वर्षीय साइकिल चालक सिंह ने कहा कि साइकिल चलाने का उनका उद्देश्य विभिन्न मुद्दों पर लोगों में जागरूकता पैदा करना है।

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जगजीत का किसान पंचायत का यह सातवां साइकिल दौरा था। इससे पहले वह साइकिल से दिल्ली, मुजफ्फरनगर और लखीमपुर खीरी भी गए थे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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