संसद: सरकार ने कहा- चीन के साथ भारत के संबंध जटिल हैं, राष्ट्रव्यापी NRC पर कोई निर्णय नहीं

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अंकित सिंह । Mar 17 2021 8:24PM

विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों ने अपने मतभेदों को दूर करने के लिये किसी भी मुद्दे पर मतभेदों को विवाद नहीं बनने देने पर भी सहमति व्यक्त की। पूर्वी लद्दाख के घटनाक्रम के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अप्रैल/मई 2020 में चीनी पक्ष ने पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थित बदलने का कई बार एकतरफा प्रयास किया। हमारे सशस्त्र बलों द्वारा इसका यथोचित जवाब दिया गया।

भारत ने बुधवार को कहा कि चीन के साथ उसके संबंध जटिल हैं और दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि उनके संबंधों की भावी दिशा एक दूसरे की संवेदनाओं, सरोकारों और आकांक्षाओं के सम्मान पर आधारित होनी चाहिए। लोकसभा में अजय मिश्र टेनी के प्रश्न के लिखित उत्तर में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने यह बात कही। मुरलीधरन ने कहा कि जहां तक सीमा विवाद का प्रश्न है, दोनों पक्षों का मानना है कि इस विषय पर अंतिम समाधान होने तक द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिये सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और अमन बनाये रखना अनिवार्य आधार है। विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों ने अपने मतभेदों को दूर करने के लिये किसी भी मुद्दे पर मतभेदों को विवाद नहीं बनने देने पर भी सहमति व्यक्त की। पूर्वी लद्दाख के घटनाक्रम के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अप्रैल/मई 2020 में चीनी पक्ष ने पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थित बदलने का कई बार एकतरफा प्रयास किया। हमारे सशस्त्र बलों द्वारा इसका यथोचित जवाब दिया गया। मुरलीधरन ने कहा कि चीनी पक्ष को स्पष्ट कर दिया गया है कि इस तरह का एकतरफा प्रयास अस्वीकार्य है। इन कृत्यों से पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अमन और शांति व्यवस्था गंभीर रूप से भंग हुई है। मंत्री ने कहा कि सभी तनातनी वाले क्षेत्रों से सेनाओं को पूरी तरह से हटाये जाने और भारत चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और शांति बहाल करने के लिये दोनों पक्षों के बीच कूटनीतिक एवं सैन्य दोनों स्तर पर बातचीत जारी है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्र में सेनाओं को पीछे हटाये जाने को लेकर समझौते पर सहमति व्यक्त की थी और यह कार्य पूरा किया जा चुका है। मुरलीधरन ने कहा, ‘‘ पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कुछ अन्य स्थलों में सेनाओं की तैनाती और गश्त से जुड़े कुछ मुद्दे अभी भी शेष हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ सरकार पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शेष मुद्दों को हल करने के लिये चीनी पक्ष के साथ बातचीत जारी रखेगी।

राष्ट्रव्यापी एनआरसी पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया: सरकार

केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) को देशव्यापी स्तर पर शुरु करने का कोई फैसला नहीं किया है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। सवाल में पूछा गया था कि क्या केंद्र सरकार की एनआरसी को पूरे देश में लागू करने की कोई योजना है। राय ने अपने लिखित जवाब में कहा, ‘‘अब तक, सरकार ने भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने का कोई निर्णय नहीं लिया है।’’ उच्चतम न्यायालय की निगरानी में एनआरसी को असम में अद्यतन बनाया गया था। जब 31 अगस्त, 2019 को अंतिम एनआरसी प्रकाशित किया गया था, तो कुल 3,30,27,661 आवेदकों में से 19.06 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया था, जिससे पूरे भारत में एक विवाद सी स्थिति बन गई थी। एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए, राय ने कहा कि नागरिकता अधिनियम, 1955 और भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय पंजी के तहत निरुद्ध केंद्रों का कोई प्रावधान नहीं है। 

रेलवे का निजीकरण नहीं होगा: गोयल

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि रेलवे देश की संपत्ति है और उसका कभी निजीकरण नहीं होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रेलवे के विकास के लिए सरकारी निवेश पर्याप्त नहीं है और निजी क्षेत्र के निवेश से विकास की गति तेज होगी। गोयल ने रेल मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में हुयी चर्चा का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि रेलवे का कोई निजीकरण नहीं किया जा रहा है और कोई ऐसा कर भी नहीं सकता। उन्होंने कहा कि देश में सड़कें बनती हैं और वे सड़कें देश की तथा सरकार की होती हैं लेकिन क्या उस पर केवल सरकारी गाड़ियां ही चलती हैं। उन्होंने कहा कि सड़कों पर सभी तरह के वाहन चलते हैं तभी प्रगति होती है। गोयल ने कहा कि रेलवे में भी ऐसा हो सकता है और रेल पटरियों पर अच्छी ट्रेनों के चलने से लोगों की यात्रा सुखद होगी। उन्होंने कहा कि देश में अभी तीन और माल ढुलाई गलियारों के निर्माण की जरूरत है। 

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अनुसूचित जाति के मेधावी छात्रों के लिए ‘श्रेष्ठ’ येाजना शुरू की जा रही: सरकार

केंद्र ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि अनुसूचित जाति (एससी) के मेधावी विद्यार्थियों को बेहतरीन स्कूलों में उत्कृष्ट शिक्षा मुहैया कराने के लिए वह ‘श्रेष्ठ’ नामक योजना शुरू कर रहा है जिसके तहत पढ़ाई का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। कटारिया ने कहा कि सरकार मेधावी एससी विद्यार्थियों को सर्वोत्तम स्कूलों में कक्षा नौ से 12 तक उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने के लिए ‘लक्षित क्षेत्र में हाई स्कूल में छात्रों के लिए आवासीय शिक्षा संबंधी स्कीम’ (श्रेष्ठ) शुरू करने जा रही है। इस स्कीम के तहत उनकी शिक्षा की लागत वहन की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने एससी युवाओं के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति स्कीम को पूरी तरह से सुदृढ किया है और इस स्कीम के तहत वित्तपोषण पद्धति में बदलाव किया गया है। उन्होंने कहा कि पहले के प्रतिबद्धता देनदारी फार्मूले में बदलाव लाकर इसे केंद्र व राज्यों के बीच 60 और 40 के अनुपात में निर्धारित किया है। 

सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए एक भी ऐतिहासिक इमारत को नहीं गिराया जाएगा: पुरी

सरकार ने बुधवार को बताया कि राजधानी दिल्ली में सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए एक भी ऐतिहासिक इमारत को नहीं गिराया जाएगा। आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि संसद की नयी इमारत के निर्माण के लिए निविदा निकाली गई और ठेका दिया गया। उन्होंने कहा कि इस पर काम शुरू हो चुका है और यह इमारत 2022 में भारत की आजादी की 75वीं सालगिरह तक पूरी हो जाने का अनुमान है। पुरी ने कहा कि नयी इमारत के बनने के बाद पुरानी इमारत का क्या उपयोग किया जाएगा, इस बारे में अभी से कुछ कहना जल्दबाजी होगी। उन्होंने सेंट्रल विस्टा परियोजना के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि कुछ निर्णय लिए गए हैं और उन पर ही अमल हो रहा है। यह पूछे जाने पर कि इस परियोजना के लिए कौन कौन सी इमारत को गिराने के लिए चिह्नित किया गया है, पुरी ने कहा कि इसके लिए एक भी ऐतिहासिक इमारत को नहीं गिराया जाएगा। उन्होंने कहा कि परियोजना के दायरे में अस्थायी कार्यालयों, ढांचों को हटाया जाएगा लेकिन तब, जब उनके लिए समुचित व्यवस्था की जाएगी। 

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विपक्ष की प्राथमिक स्वास्थ्य पर अधिक खर्च करने की मांग, भाजपा ने स्वास्थ्य को प्रमुख स्तम्भ बताया

विपक्षी दलों ने बुधवार को केंद्र सरकार पर देश में प्राथमिक स्वास्थ्य ढांचे पर ध्यान नहीं देने का आरोप लगाते हुए इसे मजबूत बनाने के लिये अधिक धन खर्च करने की मांग की ताकि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें और सार्वभौमिक टीकाकरण संभव हो सके। कांग्रेस ने देश में कोरोना वायरस के खिलाफ चल रहे टीकाकरण अभियान की गति धीमी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार, भारत के लोगों की कीमत पर दूसरे देशों में टीका भेजकर ‘टीका कूटनीति’ कर रही है। वहीं, भाजपा ने कहा कि सरकार ने अगामी वित्त वर्ष के लिए प्रमुख छह स्तंभों में स्वास्थ्य क्षेत्र को रखा है, इसके लिये पर्याप्त आवंटन किया है और इसके जरिये देश में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता स्पष्ट की है। सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लॉकडाउन सहित अन्य कदमों से कोविड-19 से मुकाबला करने की दिशा में प्रतिबद्धता से कदम उठाये गये और इसमें देश को सफलता मिली। चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने देश में कोरोना वायरस के खिलाफ चल रहे टीकाकरण अभियान की गति धीमी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कहा कि केंद्र सरकार, भारत के लोगों की कीमत पर दूसरे देशों में टीका भेजकर ‘टीका कूटनीति’ कर रही है। तिवारी ने सरकार से यह आग्रह भी किया कि वह कोरोना महामारी जैसी स्थिति से निपटने के संदर्भ में समग्र कानून और राज्यों के साथ मिलकर कारगर रणनीति बनाए। उन्होंने कहा कि महामारी जैसे हालात में निजी अस्पतालों की ‘मुनाफाखोरी’ पर अंकुश लगाने के लिए इनके नियमन की व्यवस्था भी बननी चाहिए जिसके दायरे में सरकारी चिकित्सा सेवा को भी लाया जाना चाहिए। देश में कोरोना वायरस संक्रमण की नयी लहर का हवाला देते हुए तिवारी ने यह भी कहा कि इस वायरस के प्रसार में चीन की भूमिका को सामने लाने के लिए भारत और स्वास्थ्य मंत्री को अपनी जिम्मेदारी का निवर्हन करना चाहिए क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन में भारत अहम भूमिका निभा रहा है। कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया, ‘‘टीकाकरण की प्रक्रिया सही से नहीं चल रही है और अपने देशवासियों की कीमत पर दूसरे देशों को टीके का निर्यात किया जा रहा है....भारत के लोगों की कीमत पर टीका कूटनीति की जा रही है।’’

2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का लक्ष्य : प्रधान

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि भारत ने 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा है। प्रधान ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान विभिन्न पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पेट्रोल में एथनॉल मिलाने का कार्यक्रम अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में शुरू किया गया था। लेकिन उसके बाद संप्रग सरकार के कार्यकाल में इस नीति पर खास ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि 2014 में यह सरकार सत्ता में आयी तो उस समय पेट्रोल में एथनॉल मिलाने का प्रतिशत सिर्फ 0.67 प्रतिशत था जिसका मूल्य 500 करोड़ रुपये से भी कम था। प्रधान ने कहा कि 2020-21 में यह प्रतिशत बढ़कर 8.5 हो गया जिसका मूल्य 18,000 करोड़ रूपए है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य 2025 तक इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का है। मंत्री से पूछा गया कि पेट्रोल डीजल की कीमत बढ़ रही है तो ऐसे में पेट्रोलियम में मिलाए जाने वाले एथेनॉल की मात्रा बढ़ाने के लिए इतना लंबा समय क्यों लग रहा है ? इस पर प्रधान ने कहा ‘‘20 फीसदी ऐथेनॉल पेट्रोलियम में मिलाने का लक्ष्य 2030के लिए तय किया गया था जिसे हमने घटा कर 2025 किया। 

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राजद्रोह मामलों में केंद्र की कोई भूमिका नहीं, राज्य दर्ज कराते हैं मुकदमे : केंद्र

राजद्रोह के मामलों में दोषिसिद्धि की दर काफी कम होने को लेकर विपक्ष के निशाने पर आयी सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि ऐसे मामलों में केंद्र की कोई भूमिका नहीं होती और राज्य सरकारें मामले दर्ज कराती हैं। गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में केंद्र राज्यों को कोई निर्देश नहीं देता और भारत सरकार ने किसी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ कोई गलत मामला नहीं दर्ज कराया है। इस दौरान कई विपक्षी सदस्यों ने कहा कि 2019 में 96 ऐसे मामले दर्ज किए गए जिनमें दो मामलों में ही दोषसिद्धि हुयी। विपक्ष ने सवाल किया कि क्या सरकार फर्जी मुकदमे दर्ज करा रही है। इस पर रेड्डी ने कहा कि जिन 96 मामलों का जिक्र किया गया है, उन सभी मामलों में अदालत का फैसला नहीं आ गया है। उन्होंने कहा कि कई मामले विभिन्न चरणों में हैं। उन्होंने कहा कि कुछ मामले जांच के चरण में हैं तो कुछ मामलों में आरोपपत्र दाखिल किया गया है वहीं कुछ में सुनवाई चल रही है। 

लोकसभा ने अनुदान का मांगों एवं संबंधित विनियोग विधेयक को मंजूरी दी

लोकसभा ने अगले वित्त वर्ष के बजट में विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के लिए प्रस्तावित अनुदानों की मांगों एवं उनसे संबंधित विनियोग विधेयक को बुधवार को ‘गिलोटिन’ (बिना चर्चा के) के मंजूरी प्रदान कर दी। 2021-22 के बजट में सरकार ने कुल 34.83 लाख करोड़ रूपये के व्यय का प्रस्ताव किया है। इस प्रक्रिया के तहत सरकार को वित्त वर्ष 2021..22 के लिये भारत की संचित निधि से धन राशि निकाले जाने को मंजूरी मिल गयी है। बजट की अनुदान मांगों और विनियोग विधेयक को पारित कराये जाने के समय सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे। सदन में दिन में इससे पहले रेल मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से जुड़ी अनुदानों की मांगों पर अलग अलग चर्चा हुई और इन्हें मंजूरी दी गई। उसके बाद केंद्रीय बजट से संबंधित करीब 100 मंत्रालयों एवं विभागों से जुड़े अनुदानों की बकाया मांगों को एक साथ बिना चर्चा कराए ‘‘गिलोटिन’’ के माध्यम से सदन की मंजूरी के लिये रखा गया। सदन ने इस संबंध में कुछ सदस्यों के कटौती प्रस्तावों को नामंजूर करते हुए इसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।

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