राज्यपाल कलराज मिश्र ने सत्र बुलाने के लिए सरकार से फिर संशोधित प्रस्ताव मांगा

कलराज मिश्र

राजभवन की ओर से कहा गया है, ‘‘चूंकि वर्तमान में परिस्थितियाँ असाधारण हैं इसलिए राज्य सरकार को तीन बिन्दुओं पर कार्यवाही किये जाने का परामर्श देते हुए राजभवन द्वारा पत्रावली पुनः प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये हैं।

जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य सरकार से कहा है कि वह विधानसभा सत्र बुलाने के अपने प्रस्ताव को फिर से उनके पास भेजे। राज्यपाल ने सरकार के संशोधित प्रस्ताव को सरकार को तीन बिंदुओं के साथ लौटा दिया है। इसके साथ ही इसमें राजभवन की ओर से कहा गया है कि यदि राज्य सरकार विश्वास मत हासिल करना चाहती है तो यह अल्पावधि में सत्र बुलाए जाने का युक्तिसंगत आधार बन सकता है। उल्लेखनीय है कि पिछले चार दिन में राज्यपाल ने दूसरी बार सरकार के प्रस्ताव को कुछ बिंदु उठाते हुए लौटाया है और कहा है कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है। इसके साथ ही राजभवन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि विधानसभा सत्र न बुलाने की कोई भी मंशा राजभवन की नहीं है। राजभवन ने जो तीन बिंदु उठाए हैं उनमें पहला बिंदु यह है कि विधानसभा सत्र 21 दिन का स्पष्ट नोटिस देकर बुलाया जाए। इसमें यह भी कहा गया है कि यदि राज्य सरकार विश्वास मत हासिल करना चाहती है तो यह अल्पावधि में सत्र बुलाए जाने का युक्तिसंगत आधार बन सकता है। 

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राजभवन सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने की राज्य सरकार की संशोधित पत्रावली को तीन बिंदुओं पर कार्यवाही कर पुन: उन्हें भिजवाने के निर्देश के साथ संसदीय कार्य विभाग को भेजी है। इससे पहले शुक्रवार को राज्यपाल ने सरकार के प्रस्ताव को कुछ बिंदुओं पर कार्यवाही के निर्देश के साथ लौटाया था। राजभवन ने तीन बिंदुओं पर कार्यवाही किए जाने का समर्थन देते हुए पत्रावली पुन: प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं इनमें पहला बिंदु यह है कि विधानसभा सत्र 21 दिन का स्पष्ट नोटिस देकर बुलाया जाए जिससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत प्राप्त मौलिक अधिकारों की मूल भावना के अंतर्गत सभी को समान अवसर सुनिश्चित हो सके। राजभवन की ओर से जारी एक बयान के अनुसार राज्यपाल मिश्र ने कहा है कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है। इसके अनुसार राज्यपाल मिश्र ने संविधान के अनुच्छेद 174 के अन्तर्गत परामर्श देते हुए विधानसभा का सत्र आहूत किये जाने हेतु कार्यवाही किये जाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं। मिश्र ने कहा है कि विधानसभा सत्र न बुलाने की कोई भी मंशा राजभवन की नहीं है। इसमें कहा गया है, ‘‘प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया में राज्य सरकार के बयान से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है परंतु सत्र बुलाने के प्रस्ताव में इसका उल्लेख नहीं है। यदि राज्य सरकार विश्वास मत हासिल करना चाहती है तो यह अल्पावधि में सत्र बुलाए जाने का युक्तिसंगत आधार बन सकता है।’’  

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तीसरे बिंदु में सरकार से कहा गया है, ‘‘यह भी स्पष्ट किया जाये कि यदि विधानसभा का सत्र आहूत किया जाता है तो विधानसभा के सत्र के दौरान सामाजिक दूरी का पालन किस प्रकार किया जाएगा। क्या कोई ऐसी व्यवस्था है जिसमें 200 विधायक और 1000 से अधिक अधिकारी/कर्मचारियों को एकत्रित होने पर उनको संक्रमण का कोई खतरा नहीं हो और यदि उनमें से किसी को संक्रमण हुआ तो उसे अन्य में फैलने से कैसे रोका जायेगा।’’ राज्यपाल मिश्र ने कहा है, ‘‘जैसा कि मुझे मालूम है कि राजस्थान विधानसभा में 200 विधायक और 1000 से अधिक अधिकारी/कर्मचारियों के एक साथ सामाजिक दूरी का पालन करते हुए बैठने की व्यवस्था नहीं है जबकि संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए आपदा प्रबन्धन अधिनियम एवं भारत सरकार के दिशानिर्देशों का पालन किया जाना आवश्यक है।’’ राजभवन की ओर से कहा गया है, ‘‘चूंकि वर्तमान में परिस्थितियाँ असाधारण हैं इसलिए राज्य सरकार को तीन बिन्दुओं पर कार्यवाही किये जाने का परामर्श देते हुए राजभवन द्वारा पत्रावली पुनः प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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