अगले दौर की वार्ता के लिए सरकार ने 40 किसान संगठनों को 30 दिसंबर को बुलाया

कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने किसान संगठनों को लिखे एक पत्र के जरिए उन्हें राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में बुधवार, 30 दिसंबर, दोपहर दो बजे वार्ता करने का न्यौता दिया है। पिछली औपचारिक बैठक पांच दिसंबर को हुई थी, जिसमें किसान संगठनों के नेताओं ने तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मुख्य मांग पर सरकार से ‘‘हां’’ या ‘‘ना’’ में स्पष्ट रूप से जवाब देने को कहा था। वार्ता बहाल करने के लिए किसान संगठनों के प्रस्ताव पर संज्ञान लेते हुए अग्रवाल ने कहा, ‘‘सरकार भी एक स्पष्ट इरादे और खुले मन से सभी प्रासंगिक मुद्दों का एक तार्किक समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध है। ’’ बैठक के लिए किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित एजेंडे के बारे में सचिव ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों, (फसलों की) एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) खरीद प्रणाली और विद्युत संशोधन विधेयक तथा दिल्ली/एनसीआर(राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अध्यादेश पर विस्तृत चर्चा होगी। हालांकि, सरकार के पत्र में किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित एक प्रमुख शर्त का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है, जिसमें किसानों ने नये कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर तरीकों पर वार्ता किये जाने की मांग की थी। चालीस किसान संगठनों के सदस्य अभिमन्यु कोहाड ने कहा कि26 दिसंबर कोसरकार को भेजे गये पत्र में हमने स्पष्ट रूप से कहा था कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेना और एमएसपी को कानूनी गांरटी नयी वार्ता के एजेंडे का हिस्सा होना चाहिए। उसके बाद भी सरकार ने पत्र में किसी विशेष एजेंडे का जिक्र नहीं किया है।’’#FarmLaws: Central Government calls farmers for meeting on 30th December, 2pm at Vigyan Bhawan in Delhi pic.twitter.com/VqFxj9thZF
— ANI (@ANI) December 28, 2020
इसे भी पढ़ें: किसानों के मुद्दों को लेकर जनवरी में दिल्ली में आंदोलन शुरू करेंगे अन्ना हजारे
उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन हम सरकार के साथ वार्ता के लिए सैद्धांतिक रूप से राजी हो गये हैं। ’’ मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये 100 वें किसान रेल को हरी झंडी दिखाने के बाद कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार के लिये उनकी सरकार की नीतियां स्पष्ट हैं और इरादे पारदर्शी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम भारतीय कृषि और किसान को मजबूत करने की राह पर पूरे समर्पण के साथ आगे बढ़ते रहेंगे।’’ हालांकि मोदी ने इस मौके पर कृषि कानूनों का सीधे उल्लेख नहीं किया, लेकिन वह इस बात पर जोर देते रहे हैं कि ये कानून किसानों के हित में हैं और विपक्ष इनको लेकर किसानों को गुमराह कर रहा है। उन्होंने कहा कि किसान रेल उनकी सरकार द्वारा शुरू की गई एक ऐसी सेवा है जो किसानों की उपज को दूर दराज के बाजारों तक आपूर्ति करने में छोटे और सीमांत किसानों की मदद करेगी। ऐसे किसान 80 प्रतिशत से अधिक हैं। उन्होंने कहा कि यह किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी। सरकार ने अगले दौर की वार्ता के लिए उसी दिन की तारीख दी है, जिस दिन किसान संगठनों ने सिंघू बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर से कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) राजमार्ग तक ट्रैक्टर मार्च करने का फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान डेरा डाले हुए हैं। वे तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इन किसानों में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से हैं। केंद्र और 40 प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच अब तक हुई पांच दौर की औपचारिक वार्ता बेनतीजा रही है। पिछली वार्ता पांच दिसंबर को हुई थी, जबकि छठे दौर की वार्ता मूल रूप से नौ दिसंबर को होने का कार्यक्रम था। लेकिन गृह मंत्री अमित शाह की किसान संगठनों के नेताओं के साथ एक अनौपचारिक बैठक में कोई सफलता हाथ नहीं लगने के बाद यह (नौ दिसंबर की वार्ता) रद्द कर दी गई थी।
अन्य न्यूज़