मेधा पाटकर ने अनिश्चितकालीन ‘सत्याग्रह’ आंदोलन किया शुरु

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[email protected] । Aug 26 2019 3:48PM

एनबीए ने कहा है कि एसएसडी का जल भराव 133 मीटर के स्तर से अधिक नहीं होना चाहिए क्योंकि गुजरात में बारिश की कोई कमी नहीं है और वहां के सभी जलाशय भर गये हैं। इसके साथ ही मध्य प्रदेश के बांध और जलाशय भी भर गए हैं।एनबीए ने कहा कि चूंकि बांध विस्थापितों का पुनर्वास अभी तक पूरा नहीं हुआ है, इसलिए एसएसडी के गेट खोल पानी की निकासी होनी चाहिये ताकि मध्य प्रदेश की बस्तियों को बचाया जा सके।

बड़वानी। नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक मेधा पाटकर ने गुजरात में नर्मदा नदी पर निर्मित सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के उचित पुर्नवास और बांध के गेट खोलने की मांग को लेकर जिले के छोटा बड़दा गांव में अनिश्चितकालीन ‘‘सत्याग्रह’’ आंदोलन शुरु कर दिया है।पाटकर ने रविवार को यहां से लगभग 25 किलोमीटर दूर छोटा बड़दा गांव में पांच महिलाओं के साथ अनिश्चितकालीन  नर्मदा चुनौती सत्याग्रह  शुरू कर दिया। यह गांव एसएसडी के बैकवाटर के जलमग्न क्षेत्र में पड़ता है।प्रदर्शन स्थल पर संवाददाताओं से बातचीत में पाटकर ने कहा, हमने राज्य सरकार को अपने मुद्दों से अवगत करा दिया है। डूब क्षेत्र के विभिन्न गांवों में पुर्नवास शिविरों को लगाया जाना चाहिए। इस बांध के विस्थापितों का अब तक ठीक से पुनर्वास नहीं किया गया है।’’

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उन्होंने कहा कि पुनर्वास का मतलब प्रभावित परिवार को पांच लाख रुपये देना नहीं है। उन्हें आजीविका भी प्रदान की जानी चाहिए। एनबीए नेता ने कहा कि छोटा बड़दा गांव के कम से कम 1,000 लोग अब भी उचित पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया,  यहां के लोग (छोटा बड़दा) अब भी सरकार द्वारा अपनी जमीन के अधिग्रहण का इंतजार कर रहे हैं।’’ इस बीच, एनबीए ने कहा है कि एसएसडी का जल भराव 133 मीटर के स्तर से अधिक नहीं होना चाहिए क्योंकि गुजरात में बारिश की कोई कमी नहीं है और वहां के सभी जलाशय भर गये हैं। इसके साथ ही मध्य प्रदेश के बांध और जलाशय भी भर गए हैं।एनबीए ने कहा कि चूंकि बांध विस्थापितों का पुनर्वास अभी तक पूरा नहीं हुआ है, इसलिए एसएसडी के गेट खोल पानी की निकासी होनी चाहिये ताकि मध्य प्रदेश की बस्तियों को बचाया जा सके।

 

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