उच्च न्यायालय ने गोद लेने की लंबी प्रतीक्षा अवधि का स्वतः संज्ञान लिया, अधिकारियों से जवाब मांगा

 Bombay HC
ANI

सीएआरए के आंकड़ों का हवाला देते हुए खबर में कहा गया है कि विभिन्न श्रेणियों के 35,000 से अधिक भावी अभिभावकों ने गोद लेने के लिए पंजीकरण कराया है, जबकि गोद लेने के लिए उपलब्ध बच्चों की संख्या लगभग 2,400 है।

बंबई उच्च न्यायालय ने गोद लेने के मामलों में कथित देरी और लंबी प्रतीक्षा अवधि का सोमवार को स्वत: संज्ञान लिया और केंद्र तथा केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) से जवाब मांगा।

मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की पीठ ने कहा कि मीडिया की एक खबर में बच्चों को गोद लेने की इच्छा रखने वाले दंपतियों की शिकायतों को उजागर करने के बाद उन्हें प्राप्त पत्र के आधार पर एक जनहित याचिका शुरू की गई है।

खबर के अनुसार, भारत में गोद लेने की औसत प्रतीक्षा अवधि तीन साल से अधिक हो गई है। पीठ ने मामले में वरिष्ठ वकील मिलिंद साठे और अधिवक्ता गौरव श्रीवास्तव को अदालत की सहायता के लिए ‘न्याय मित्र’ नियुक्त किया।

न्यायाधीशों ने केंद्र और सीएआरए को अपने हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 23 जून को तय की। सीएआरए के आंकड़ों का हवाला देते हुए खबर में कहा गया है कि विभिन्न श्रेणियों के 35,000 से अधिक भावी अभिभावकों ने गोद लेने के लिए पंजीकरण कराया है, जबकि गोद लेने के लिए उपलब्ध बच्चों की संख्या लगभग 2,400 है।

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