एनएचएआई की जमीन पर अतिक्रमण करके उसे किराए पर देने पर उच्च न्यायालय ने आश्चर्य जताया

High Court
ANI

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने किसी भी स्तर पर वक्फ का पंजीकरण नहीं दिखाया और यह नहीं बताया कि कैसे वह संपत्ति, वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत वक्फ संपत्ति है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सहारनपुर में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की जमीन पर वक्फ मदरसा कासिम उल उलूम द्वारा निर्माण कराकर उसे किराए पर देने पर आश्चर्य व्यक्त किया है। यह बताए जाने पर कि याचिकाकर्ता वक्फ ने एनएचएआई की भूमि पर अतिक्रमण किया है,न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने वक्फ की याचिका खारिज कर दी।

अदालत ने इस मामले को एक “अनुठा मामला” बताया, जहां एनएचएआई की जमीन पर अतिक्रमण करके मदरसा, मस्जिद और कुछ अन्य निर्माण किए गए और इस संपत्ति के वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा रहा है।

वक्फ ने विवादित संपत्ति को ध्वस्त करने से प्रतिवादियों को रोकने और किसी नए निर्माण पर रोक लगाने की मांग करते हुए यह याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उस जमीन पर एक मदरसा, मस्जिद और एक पुलिस चौकी पहले से मौजूद थी।

याचिकाकर्ता के इस दावे के संबंध में कि वह भूमि वक्फ की संपत्ति है, प्रतिवादियों ने कहा कि यह संपत्ति वक्फ के तौर पर वक्फ बोर्ड में पंजीकृत नहीं है। प्रतिवादियों ने मामले में एक संशोधन याचिका दायर की, जिसे निचली अदालत ने स्वीकार कर लिया।

इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने पुनरीक्षण याचिका दायर की, जो खारिज कर दी गई। इसके बाद, याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का रुख करते हुए कहा कि संशोधन की याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती क्योंकि प्रतिवादी इसके जरिये एक नया वाद खड़ा कर रहे हैं।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने किसी भी स्तर पर वक्फ का पंजीकरण नहीं दिखाया और यह नहीं बताया कि कैसे वह संपत्ति, वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत वक्फ संपत्ति है।

अदालत ने कहा कि वह एनएचएआई कीसंपत्ति है और निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। यह आदेश 12 मई का है, जिसे शुक्रवार को अपलोड किया गया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


All the updates here:

अन्य न्यूज़