Jan Gan Man: क्यों कराया जाता है धर्म परिवर्तन? कैसे भारत में एक लाख करोड़ रुपए का कारोबार बन गया जबरन धर्म परिवर्तन?

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सवाल उठता है कि जबरन धर्म परिवर्तन की समस्या से निजात कैसे मिले? इसके लिए कुछ राज्य सरकारों ने जब धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बनाया तो उन्हें अल्पसंख्यक विरोधी बताया गया लेकिन देखा जाये तो भारत जैसे देश में धर्म-परिवर्तन पर कुछ जरूरी और कड़े प्रतिबंध अवश्य होने चाहिए।

देशभर में बढ़ती धर्मांतरण की घटनाओं और इस समस्या से निजात दिलाने के उपायों की लेकिन जरा उससे पहले आपको कुछ एकदम ताजा समाचार बताते हैं ताकि आपको पता चल सके कि पढ़ लिख कर तेजी से आगे बढ़ते हुए न्यू इंडिया में भी कैसे धर्म परिवर्तन के नाम पर गहरी साजिश चल रही है और लोग इसके आसानी से शिकार हो रहे हैं। 

कुछ हालिया घटनाओं पर नजर दौड़ाएं

सबसे पहले बात करते हैं मध्य प्रदेश से हाल ही में आई उस खबर की जिसके मुताबिक कट्टरपंथी संगठन हिज्ब उत तहरीर (एचयूटी) से जुड़ाव रखने के आरोप में 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें एक प्रोफेसर और एक जिम ट्रेनर सहित ऐसे लोग शामिल हैं जो कि प्रथम दृष्टया ‘लव जिहाद’ और धर्म परिवर्तन के मामलों में शामिल थे। इस मामले में रोजाना जो नये नये खुलासे हो रहे हैं उससे सियासी पारा भी चढ़ गया है। मध्य प्रदेश में सौरभ राजवैद्य के सलीम बनने के पीछे जाकिर नाईक की भूमिका भी बतायी जा रही है। जब भोपाल का सौरभ कट्टरपंथियों के बहकावे में आकर सलीम बन गया और एटीएस की एक कार्रवाई के दौरान हैदराबाद में गिरफ्तार किया गया जब जाकर इस सारे षड्यंत्र का खुलासा हुआ। अब यह संयोग है या प्रयोग यह तो पता नहीं लेकिन जरा आप देखिये कि सौरभ से सलीम बना युवक हैदराबाद में एक आतंकी गुट का चीफ बताया जा रहा है और दिखावे के लिए वह एआईएमआईएम प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी के मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर था। देखा जाये तो ब्रेन वाश करके धर्म परिवर्तन करने की साजिश के बारे में समाचार सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं देश के विभिन्न भागों से रोजाना सामने आ रहे हैं।

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इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले से खबर आई कि संदीपन घाट क्षेत्र में बीमारी ठीक करने तथा अन्य प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने के प्रयास के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

अपर पुलिस अधीक्षक समर बहादुर सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि संदीपन घाट थाना क्षेत्र के सैंता गांव में बीमारी ठीक करने और अन्य कई प्रलोभन देकर गरीब ग्रामीणों का धर्म परिवर्तन कराने के प्रयास की सूचना पर पुलिस ने गांव में छापा मारा। उन्होंने कहा कि लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रलोभन देने के आरोप में महाराज सरोज, उमाकांत मौर्य, महेंद्र कुमार तथा वेद प्रकाश को गिरफ्तार किया गया।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के खोड़ा क्षेत्र में एक महिला को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करने के आरोप में एक पादरी और उसकी पत्नी समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि मधु विहार कॉलोनी में रहने वालीं भाजपा कार्यकर्ता सुनीता अरोड़ा की शिकायत पर पुलिस ने पादरी इब्राहिम थॉमस, उनकी पत्नी रीवा और ब्यूटी पार्लर संचालक बबिता को गिरफ्तार किया। सुनीता ने शुक्रवार की रात खोड़ा थाने में दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया कि उनकी पड़ोसी बबिता ने उन्हें केरल के मूल निवासी इब्राहिम थॉमस से मिलवाया था जो वर्तमान में कलवरी चर्च में पादरी है। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि थॉमस अपनी पत्नी रीवा की मदद से धर्मांतरण के लिए हिंदुओं और अन्य धर्मों के लोगों के लिए धार्मिक सत्रों का आयोजन करते हैं। शिकायत में यह भी कहा गया कि थॉमस ने बबिता की मदद से भाजपा की कार्यकर्ता सुनीता अरोड़ा को पार्लर में बुलाया और उनका धर्मांतरण कराने का प्रयास किया। यह खबरें मात्र कुछ उदाहरण हैं। इस प्रकार की साजिशें देशभर में चल रही हैं क्योंकि धर्मांतरण अब एक व्यवसाय का रूप ले चुका है।

धर्म परिवर्तन आखिर है क्या?

सवाल उठता है कि इस समस्या से निजात कैसे मिले? इसके लिए कुछ राज्य सरकारों ने जब धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बनाया तो उन्हें अल्पसंख्यक विरोधी बताया गया लेकिन देखा जाये तो भारत जैसे देश में धर्म-परिवर्तन पर कुछ जरूरी और कड़े प्रतिबंध अवश्य होने चाहिए। यहां सवाल यह भी उठता है कि वास्तव में धर्म-परिवर्तन है क्या? इसका जवाब यह है कि आज की तारीख में धर्म-परिवर्तन के नाम पर ताकत का खेल है। इसका एक मात्र उद्देश्य अपने-अपने समुदाय का संख्या-बल बढ़ाना है। वैसे भी किसी भी लोकतांत्रिक देश में संख्या-बल के आधार पर ही सत्ता पर कब्जा होता है। सिर्फ सत्ता पर औपचारिक कब्जा ही नहीं, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी अपना वर्चस्व कायम करने में मजहबी-संख्या की जबर्दस्त भूमिका होती है। यहां सवाल यह भी उठता है कि कोई भी व्यक्ति जब अपना धर्म-परिवर्तन करता है तो क्या वह वेद, त्रिपिटक, बाइबिल, जिंदावस्ता, कुरान या गुरु ग्रंथसाहिब पढ़कर और समझकर करता है? यदि कोई व्यक्ति किसी भी धर्म, संप्रदाय, पंथ या विचारधारा को सोच-समझकर उसमें दीक्षित होना चाहता है तो उसे परमात्मा भी नहीं रोक सकता लेकिन जो व्यक्ति लालच, भय, प्रतिरोध, अज्ञान और ठगी के कारण धर्म-परिवर्तन करता है, उसे वैसा करने से जरूर रोका जाना चाहिए।

धर्म परिवर्तन इतना बड़ा व्यवसाय कैसे बन गया?

हमने जब इस बारे में भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात वरिष्ठ अधिवक्ता श्री अश्विनी उपाध्याय से बात की तो उन्होंने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि धर्मांतरण एक लाख करोड़ रुपए का सालाना व्यवसाय है इसलिए यह आसानी से रुकने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि खाड़ी देशों से भारत में सालाना 50 हजार करोड़ रुपए हवाला के जरिये और पश्चिमी देशों से भी सालाना पचास हजार करोड़ रुपए एफसीआरए के जरिये आ रहा है जिसे रोके जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब तक जबरन धर्म परिवर्तन कराने के जुर्म में सख्त से सख्त सजा का प्रावधान नहीं किया जायेगा तब तक यह समस्या बरकरार रहेगी। उन्होंने कहा कि जबरन या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने पर कुछ सालों की सजा नहीं बल्कि कठोर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान होना चाहिए। अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि दुनिया में कई देशों में इस तरह के प्रावधान हैं इसलिए हमें भी धर्मांतरण कराने वालों को कतई बख्शना नहीं चाहिए।

बहरहाल, देखा जाये तो हम धर्मांतरण के खेल का पर्दाफाश करने वाली फिल्म द केरला स्टोरी का विरोध तो कर रहे हैं मगर पीएफआई, हिज्ब उत तहरीर और उन मिशनरी संगठनों के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे जो कभी बीमारी ठीक करने के नाम पर तो कभी आर्थिक प्रलोभन के नाम पर तो कभी हिंदुओं के खिलाफ जिहाद के नाम पर धर्म परिवर्तन का खेल खेल रहे हैं।

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