Prabhasakshi Exclusive: रक्षा क्षेत्र में भारत अब तक कितना आत्मनिर्भर हो पाया है?

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ANI

उन्होंने कहा कि भारत में रक्षा उत्पादन क्षेत्र में निजी कंपनियों को बढ़ावा देकर सरकार ने पिछले दिनों जो कदम उठाये थे उसके परिणाम अब आने लगे हैं। कई सैन्य उपकरणों का हम अब पूरी तरह से भारत में ही निर्माण कर रहे हैं जिससे हमारी विदेशों पर निर्भरता कम हुई है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में हमने ब्रिगेडियर सेवानिवृत्त श्री डीएस त्रिपाठी से कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। खासतौर पर निजी क्षेत्र को रक्षा उद्योग में काफी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसलिए हम जानना चाहते हैं कि हम रक्षा उद्योग से जुड़े किन क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं और वर्तमान में हमारी क्या क्षमताएँ हैं? हमने यह भी कहा कि वैसे रक्षा क्षेत्र में हमारी आत्मनिर्भरता कितनी जरूरी हो गयी है इसका अंदाजा अभी एक दिन पहले ही थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे की ओर से दिये गये बयान से भी लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा है कि कोई भी देश नवीनतम ‘‘अत्याधुनिक’’ प्रौद्योगिकियों को साझा करने को तैयार नहीं है, जिसका यह मतलब है कि देश की सुरक्षा न तो ‘‘आउटसोर्स’’ की जा सकती है और ना ही दूसरों की उदारता पर निर्भर रहा जा सकता है।

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इसके जवाब में उन्होंने कहा कि भारत में रक्षा उत्पादन क्षेत्र में निजी कंपनियों को बढ़ावा देकर सरकार ने पिछले दिनों जो कदम उठाये थे उसके परिणाम अब आने लगे हैं। कई सैन्य उपकरणों का हम अब पूरी तरह से भारत में ही निर्माण कर रहे हैं जिससे हमारी विदेशों पर निर्भरता कम हुई है। हम रक्षा उपकरणों के विश्व में सबसे बड़े आयातक होने की भूमिका से निकल कर अब रक्षा उत्पादों के निर्यातक की भूमिका में आने जा रहे हैं। सरकार की पहल पर हाल में कई रक्षा उपकरणों संबंधी जो प्रदशर्नियां लगीं उसमें भी आप देखेंगे कि रक्षा क्षेत्र में सिर्फ बड़े उद्योग घराने ही रुचि नहीं ले रहे बल्कि कई स्टार्टअप भी सामने आ रहे हैं जोकि भारत की रक्षा क्षमता को बढ़ा रहे हैं। रक्षा उपकरणों के आयात से हमारी जो विदेशी मुद्रा खर्च होती थी वह भी अब बचने लगी है जोकि बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि जनरल पांडे ने सही कहा है कि देश की सुरक्षा ना तो आउटसोर्स की जा सकती है ना ही इसे दूसरों की उदारता पर छोड़ा जा सकता है।

ब्रिगेडियर सेवानिवृत्त श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आपको यह भी ध्यान देना होगा कि विदेशों में भी बड़ी रक्षा कंपनियां सरकारी नहीं बल्कि निजी हैं। हमारे यहां जिस तरह बड़ी-छोटी कंपनियों ने रक्षा उत्पादों के निर्माण को लेकर रुचि दिखाई है उसके जल्द ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।

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