Prabhasakshi Exclusive: India Defense Budget क्या वर्तमान हालात को देखते हुए संतोषजनक है?

Defense Budget
ANI

ब्रिगेडियर सेवानिवृत्त श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि विभिन्न वैश्विक विकास के प्रभाव को देखते हुए रक्षा क्षेत्र के आवंटन में वृद्धि संतोषजनक रही है। उन्होंने कहा कि बजट में सशस्त्र बलों के लिए मामूली रूप से बजट बढ़ाया गया है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में हमने ब्रिगेडियर सेवानिवृत्त श्री डीएस त्रिपाठी से इस बार के रक्षा बजट को लेकर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि यह बजट इस समय की वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए काफी हद तक सकारात्मक है। साथ ही उन्होंने कहा कि थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे का यह कहना कि कोई भी देश नवीनतम ‘‘अत्याधुनिक’’ प्रौद्योगिकियों को साझा करने को तैयार नहीं है, इसका यही मतलब है कि देश की सुरक्षा न तो आउटसोर्स की जा सकती है और ना ही दूसरों की उदारता पर निर्भर रहा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष से कुछ प्रमुख तथ्य सामने आये हैं। इनमें सैन्य बल द्वारा गैर-परंपरागत रणनीति और तरकीब को अपनाना, युद्ध में सूचना का प्रबंधन, डिजिटल तौर पर मजबूती, आर्थिक ताकत का हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जो प्रौद्यौगिकी दक्षता होने की वजह से युद्ध में अहम भूमिका निभाते नजर आए हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सुरक्षा तकनीकी बढ़त पर निर्भर है। उन्होंने कहा, ''सेना कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा एनालिटिक्स, 5जी और ऑटोमेशन की क्षमता से लैस उत्कृष्टता केंद्र बना रही है। इसलिए इस बार बजट में जो वृद्धि की गयी है वह वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए तीनों सेनाओं की जरूरतों को पूरा करने में सहायक सिद्ध होंगे।

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ब्रिगेडियर सेवानिवृत्त श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि सेना प्रमुख ने कहा भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया नारा ‘‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान’’ समकालीन वास्तविकता को बेहतर तरीके से व्यक्त करता है और अनुसंधान तथा नवाचार के महत्व को रेखांकित करता है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित राशि 13 प्रतिशत बढ़ाकर 5.94 लाख करोड़ रुपये करना सरकार का साहसपूर्ण निर्णय है क्योंकि महामारी के बाद अर्थव्यवस्था तमाम तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि बजट में सशस्त्र बलों के लिहाज से पूंजीगत व्यय के लिए कुल 1.62 लाख करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं। इनमें नए हथियार, विमान, युद्धपोत और अन्य सैन्य साजोसामान की खरीद शामिल है।

उन्होंने कहा कि विभिन्न वैश्विक विकास के प्रभाव को देखते हुए रक्षा क्षेत्र के आवंटन में वृद्धि संतोषजनक रही है। उन्होंने कहा कि बजट में सशस्त्र बलों के लिए मामूली रूप से बजट बढ़ाया गया है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी के कारण पिछले कुछ वर्षों से भारतीय नौसेना के लिए पूंजी परिव्यय में वृद्धि हुई है। 2023-24 के रक्षा बजट में भी यह एक महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने कहा कि बजट का इरादा विनिर्माण को बढ़ावा देना और डिजिटल क्षेत्र में भारत की ताकत को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने साथ ही सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने पर ध्यान देने के साथ, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के लिए पूंजी परिव्यय को 2022-23 में 3,500 करोड़ रुपये की तुलना में बढ़ाकर 5,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो 43 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इसके साथ ही रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) को 23,264 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

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