मोदी सरकार 2.0 के दो साल: कितनी मजबूत हुई भारत की विदेश और आर्थिक नीति

Modi
अंकित सिंह । May 27 2021 5:34PM

भले ही भारत कोरोना की दूसरी लहर से बुरी तरह से प्रभावित है। लेकिन इस संकट की घड़ी में भी उसने दूसरे देशों की मदद की है। दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार ने वैक्सीन मैत्री योजना के तहत लगभग 94 देशों को 6.6 करोड़ कोरोना वैक्सीन भेजी है।

केंद्र की सत्ता में काबिज हुए नरेंद्र मोदी को 7 साल पूरे होने जा रहे है। मोदी सरकार 2.0 की दूसरी सालगिरह 30 मई को है। मोदी सरकार की सालगिरह पर अलग अलग तरीके से सरकार की उपलब्धियों पर चर्चा हो रही है। मोदी सरकार की उपलब्धियों की वजह से देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में भारत का डंका बजा है। भाजपा तो यह तक दावा करती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश का मान-सम्मान पूरी दुनिया में ऊंचा हुआ है। यह भी कहा जा रहा है कि देश को इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में दूरगामी परिणाम हासिल हो रहे हैं। इन सबके बीच हम आपको आज बताने जा रहे हैं कि आखिर मोदी सरकार के वैश्विक और आर्थिक उपलब्धियां क्या-क्या रही? चूंकि कोरोना संकटकाल चल रहा है। ऐसे में पिछले 1 साल में देखें तो भारत ही क्या, पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए कोई अच्छी खबर नहीं आई। लेकिन इस संकटकाल की वजह से पूरी दुनिया के देश एकजुट होकर इस महामारी से लड़ रहे हैं।

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भले ही भारत कोरोना की दूसरी लहर से बुरी तरह से प्रभावित है। लेकिन इस संकट की घड़ी में भी उसने दूसरे देशों की मदद की है। दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार ने वैक्सीन मैत्री योजना के तहत लगभग 94 देशों को 6.6 करोड़ कोरोना वैक्सीन भेजी है। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत ने बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, म्यांमार, मालदीव, मॉरीशस जैसे पड़ोसी मुल्कों को कोरोना वैक्सीन मुहैया कराया है। इसके अलावा भारत में गिरमिटिया देशों को भी कोरोना वैक्सीन की डोज दी है। केन्या, युगांडा, दक्षिण अफ्रीका, जिंबाब्वे जैसे देशों को भी भारत से कोरोना वैक्सीन गया है। खाड़ी देशों को भी भारत की ओर से कोरोना वैक्सीन भेजा गया है। ब्राजील और कनाडा को भी कोरोना वैक्सीन की डोज दी गई है। भारत के वैक्सीन मैत्री की जमकर सराहना हुई।

इसी वैक्सीन मैत्री की वजह से आज जब भारत को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन जेनेरेटर, वेंटिलेटर जैसी चीजों की आवश्यकता पड़ रही है तो कई देश खुलकर सहयोग में सामने आ रहे हैं। कनाडा ब्राजील फ्रांस इंग्लैंड रूस जैसे देशों ने भारत की खुलकर मदद की है। अमेरिका ने भी भारत की मदद करने में अहम भूमिका निभाई। भाजपा की ओर से दावा किया जा रहा है कि भारत को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मदद वैक्सीन मैत्री के बदले मिल रही है। 

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प्रमुख वैश्विक मंचों पर भारत का सम्मान बढ़ा है। चाहे ब्रिक्स हो या फिर जी-20 या G7। हर जगह भारत और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सम्मान बढ़ा है। इसके अलावा भारत विश्व में हर तरह के रणनीतिक मंच पर शामिल होता है। ग्लोबल वार्मिंग को लेकर भारत के प्रयास की हर तरफ से तारीफ होती है। वर्तमान परिस्थिति में देखें तो भारत एक ओर जहां अमेरिका के साथ अच्छा रिश्ता बनाकर चल रहा है वहीं रूस के साथ में इसके संबंध मधुर है। ऐसा ही कुछ इजरायल और फिलिस्तीन के मामले में भी हम देख सकते है। दोनों ही देशों के साथ भारत का रिश्ता मधुर और सामरिक है। गरीब देशों के लिए भारत फिलहाल सबसे बड़ा मददगार देश साबित हो रहा है। वैश्विक संकट के बीच भारत हर तरह की मदद के लिए आगे आता है। यही कारण है कि छोटे व गरीब देशों में भारत का दबदबा बढ़ा है।

पाकिस्तान और चीन को छोड़ दें तो पड़ोसी देशों के साथ भारत के रिश्ते मधुर हुए है। बांग्लादेश, श्रीलंका, तिब्बत, भूटान, म्यांमार और मालदीव के साथ भारत का संबंध निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। हां, नेपाल के साथ कुछ खटपट जरूर होती है। परंतु नेपाल की परिस्थिति में कहा जाता है कि उसके साथ भारत का रिश्ता बेटी और रोटी का है। चीन और पाकिस्तान के साथ रिश्ते जरूर कमजोर हुए है। परंतु भारत अब ऐसी स्थिति में जरूर पहुंच गया है कि उसकी तुलना चीन के साथ होती है। चीन की तरह ही भारत अब अर्थव्यवस्था के मामले में विश्व में अपना डंका बजा रहा है। यही कारण है कि चीन से ज्यादा कंपनियां भारत में निवेश करने को इच्छुक हैं।

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रक्षा के क्षेत्र में भारत मजबूत हुआ है। पिछले साल गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प के बाद से भारत चीन के साथ आंख में आंख डाल कर बात कर रहा है। पाकिस्तान समय समय पर जरूर कश्मीर राग अलापता है लेकिन उसे दूसरे देशों का साथ नहीं मिल पाता है। यह भारत के बड़े रुतबे का ही असर है चीन के साथ हुई झड़प के बाद भारत मसले पर दूसरे देश को का साथ पाने में कामयाब रहा। हमने देखा कि कैसे वैश्विक मंचों पर भारत ने चीन के खिलाफ गोलबंदी करने में कामयाबी पाई। अमेरिका जैसा देश भी चीन के खिलाफ हो गया। भारत की दबदबे का असर यह भी है कि इस्लामिक देशों के समूह में वह पाकिस्तान को ही अलग-थलग करने में कामयाबी हासिल कर ली।

2014 में सत्ता में आने के बाद भारत ने अपनी कूटनीति और विदेश नीति को मजबूत किया। इसका असर यह हुआ कि वैश्विक मंच पर पाकिस्तान द्वारा बोले जा रहे झूठ का पर्दाफाश हो रहा है। आतंकवाद के मसले पर भारत पाकिस्तान को दुनिया की नजरों में एक्सपोज करने में कामयाब रहा। अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देश जो हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़े होते थे आज भारत के साथ हैं। खाड़ी देशों के साथ भारत के रिश्ते मधुर हुए हैं। इसका कारण यह है कि भारत का दुनिया में कद बढ़ा है, इज्जत बढ़ी है। 

आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम

2014 में सत्ता में आने के बाद से ही नरेंद्र मोदी की सरकार आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है। कोरोना संकट के बीच भारत में 2020 में आत्मनिर्भर का नारा दिया गया। पिछले 1 साल में देखें तो देश की आर्थिक स्थिति कुछ खास मजबूत नहीं हुई है। लॉकडाउन और कोरोना संकट की वजह से देश की आर्थिक रफ्तार में सुस्ती देखी गई है। हालांकि सिर्फ यह भारत के साथ ही नहीं हुआ है बल्कि पूरी दुनिया में अर्थव्यवस्था को लेकर फिलहाल नकारात्मक रुझान है। हालांकि महामारी के इस दौर में भी भारत इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में सबसे तेजी से विकसित होने वाले देशों में से एक है। रोड, बंदरगाह देश में खूब निर्मित किए जा रहे हैं। एयरपोर्ट की भी स्थिति अच्छी हो रही है। साथ ही साथ अन्य तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर के काम भी लगातार बढ़ रहे हैं। जब देश इस वक्त भी कोरोना वायरस से जूझ रहा है, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि देश की अर्थव्यवस्था किस ओर जाएगी? हालांकि विश्व के बड़ी रेटिंग एजेंसी ने अनुमान जताया है कि भारत की अर्थव्यवस्था संभली रहेगी। ग्रोथ रेट को जरूर घटाया गया है लेकिन अनुमान इस बात की भी जताई जा रही है कि भारत की अर्थव्यवस्था V शेप में रफ्तार पकड़ लेगी। सरकार की ओर से कोरोना संकट को लेकर आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की गई थी। पिछले साल कोरोना संकट के बीच भारत सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा की थी जो कि देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी की जीडीपी के 10% के बराबर है। यह पैकेज भारत के 5 स्तंभों अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रणाली व युवाआबादी और मांग को रेखांकित करते हुए घोषित किया गया है।

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