'राजस्थान मॉडल' का श्रेय लेने की मैने खुद कभी कोशिश नहीं की: अशोक गहलोत
गहलोत के अनुसार, इनमें से एक जयपुर में तथा दूसरी का उपयोग जोधपुर में होगा। जोधपुर मुख्यमंत्री का गृह जिला भी है। इस विशेष बातचीत में गहलोत ने राज्य में कोरोना महामारी से निपटने के उपायों पर भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा, हमने इस संकट से निपटने के लिए जो भी उपाय संभव थे, सभी को समय से लागू किया।
मुख्यमंत्री का कहना था कि सरकारी मशीनरी को और स्वास्थय सेवा में लगे लोगों को इससे काफी मदद मिली। यह कहे जाने पर कि प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में राजस्थान के प्रयासों की तारीफ की है, गहलोत ने टिप्पणी की मैंने खुद इन कामों का श्रेय लेने की कभी कोशिश नहीं की। उन्होंने कहा, जो भी अच्छे काम हुए उसका श्रेय हमने सबको दिया, चाहे वह आम नागरिक हो, सामाजिक या राजनीतिक कार्यकर्ता हों या सामाजिक व धार्मिक संगठन हों। गहलोत ने स्वीकार किया कि राजस्थान की जिस तरह की सामाजिक व भौगोलिक परिस्थितियां हैं उन्हें देखते हुए जो भी काम हुआ है उससे वह संतुष्ट हैं। उनका कहना था, कि राज्य के पास केवल छ: लैब थीं और जांच के लिए नमूने पुणे और दिल्ली भेजे जा रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘आज हम पांच हजार जांच रोज कर रहे हैं। अभी हम अमेरिका से दो मशीनें और मंगा रहे हैं, जिनसे कम से कम चार से पांच हजार जांच प्रतिदिन और हो सकेंगी। हालांकि जिस कंपनी से हम यह मशीनें मंगा रहे हैं उसने छ: हजार जांच प्रतिदिन का दावा किया है, लेकिन उम्मीद है कि कम से कम चार-पांच हजार जांच तो हो ही सकेंगी।’’ गहलोत ने कहा, हमने सारे सही कदम उठाए। जांच हमने सबसे ज्यादा की। कोरोना मामलों में मृत्यु दर हमारे यहां सबसे कम 1.7 फीसदी है। देश का औसत 3.3 फीसदी है। उन्होंने दावा किया कि न केवल मृत्यु दर के मामले में बल्कि हर मामले में राजस्थान राष्ट्रीय औसत से आगे है। गहलोत ने कहा, अभी राजस्थान में संक्रमण के मामले दोगुना होने का समय भी अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक है। हमारे यहां 11 दिन में मामले दो गुना हो रहे हैं जबकि गुजरात में पांच और उत्तर प्रदेश में सात दिन में दो गुना हो रहे हैं और राष्ट्रीय औसत नौ दिन का है। उन्होंने कहा, राज्य में इस बीमारी से ठीक होने वालों की दर भी अन्य राज्यों के मुकाबले अच्छी है। गहलोत ने बताया कि राजस्थान में अब तक 88 हजार लोगों की जांच हो चुकी है। इस हिसाब से अगर देखें तो देश में प्रति दस लाख पर 450 जांच हो रही हैं और राजस्थान में प्रति दस लाख पर 1174 जांच हो रही हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में यह प्रति दस लाख पर 234 है।There should be centralised purchase of Medical equipment
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) April 28, 2020
Base of Food Security should be on 2019-20 population
Ways and Means Advance should be interest free
Increase net loan limit to 5 per cent
Provide GST compensation and CST claim amount at earliest pic.twitter.com/FnSrJUGOlB
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गहलोत ने कहा, प्रवासी मजदूरों की वापसी के प्रबंधन में भी राजस्थान का कार्य संतोषजनक रहा है। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने दूसरे राज्यों में फंसे हुए राजस्थानी मजदूरों और छात्रों की वापसी के लिए और जो यहां से अपने गृह राज्य जाना चाहते हैं, उनकी व्यवस्था के लिए कल से रजिस्ट्रेशन कराना शुरू किया है और एक दिन में करीब एक लाख साठ हजार लोगों ने अलग अलग राज्यों से वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। उन्होंने कहा, करीब 56 हजार ऐसे हैं जो राजस्थान से बाहर दूसरे राज्यों में जाना चाहते हैं। इस सवाल पर कि हालात कब तक सामान्य होंगे, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह अभी कहना मुश्किल है।’’ उन्होंने विशेषज्ञों का हवाला देते हुए कहा कि यह जून-जुलाई तक यह खिंच सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक लॉकडाउन हटाने की बात है, हमने 20 अप्रैल से कुछ संशोधित रूप में लॉकडाउन शुरू किया है। इसके तहत 288 जगहों पर सात हजार इकाईयां खुल गई हैं और पचास हजार से अधिक मजदूर काम पर लौट आए हैं।’’ राज्य को केंद्र सरकार के आर्थिक मदद के सवाल पर मुख्यमंत्री का कहना था कि उन्होंने करीब एक महीने पहले राज्यों को तदर्थ रूप से एक लाख करोड रुपए दिए जाने की मांग की थी। इस राशि में से किसी को पांच हजार करोड़ या किसी को दो हजार करोड़ रुपये मिलते जिससे इस संकट का सामना करने में उन्हें आसानी होती, लेकिन उस पर अभी तक कुछ नहीं हुआ। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों द्वारा इस संकट से निपटने के लिए अपने यहां भारी भरकम पैकेज दिए जाने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी ने अपनी जीडीपी का 12 प्रतिशत तो किसी ने 15 प्रतिशत देने की घोषणा की है, लेकिन हमारे यहां केंद्र ने अभी जीडीपी का एक फीसदी भी नहीं दिया है।
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