सुना है 2 मिनट पहले बदला हो किसी ने प्रत्याशी ! RLD ने रच दिया नया कीर्तिमान

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सोमवार को नामांकन की आखिरी तारीख थी ऐसे में प्रत्याशियों को अपने पर्चे दाखिल करने थे मगर सोचिए कि अंतिम समय में ही उम्मीदवार बदल दिया जाए तो क्या होगा ?

उत्तर प्रदेश उपचुनाव के लिए विधानसभा की 11 सीटों में समाजवादी पार्टी ने अलीगढ़ जिले की इगलास सीट रालोद के लिए छोड़ दी थी। इस सीट के लिए नामांकन भर रहे उम्मीदवारों में गजब का उत्साह था लेकिन वहीं दूसरी तरफ रालोद में घमासान मचा हुआ था क्योंकि सोमवार को नामांकन की आखिरी तारीख थी ऐसे में प्रत्याशियों को अपने पर्चे दाखिल करने थे मगर सोचिए कि अंतिम समय में ही उम्मीदवार बदल दिया जाए तो क्या होगा ? ठीक यही रालोद (राष्ट्रीय लोक दल) ने किया। करीब 2 बजकर 58 मिनट पर राष्ट्रीय लोकदल की उम्मीदवार सुमन दिवाकर अपने प्रस्तावकों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचीं।

सुमन अपने चार प्रस्तावकों के साथ कलेक्ट्रेट में नामांकन पत्र दाखिल कर रही थी लेकिन उनके पास पार्टी का बी फॉर्म संलग्न नहीं थी। ऐसे में उन्होंने रिटर्निंग ऑफिसर से अनुरोध किया कि मेरा बी फॉर्म लेकर कलेक्ट्रेट के बाहर एक आदमी खड़ा है उसे भीतर आने दिया जाए। लेकिन रिटर्निंग ऑफिसर अपनी ड्यूटी पर थे और वह नियमों का उल्लंघन कैसे कर सकते थे। क्योंकि 3 बजे तक ही नामांकन की प्रक्रिया हो सकती थी और वह 3 बजे के बाद किसी व्यक्ति या कागज को कक्ष के भीतर नहीं आने दे सकते थे। ऐसे में उन्होंने नामांकन तो भरा लेकिन बी फॉर्म के बिना।

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रालोद के लिए आगे की राह मुश्किल

रालोद उम्मीदवार सुमन दिवाकर ने बिना बी फॉर्म के ही अपना पर्चा दाखिल कर दिया। ऐसे में वह पार्टी की उम्मीदवार नहीं मानी जाएंगी और रही बात निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने की तो सुमन दिवाकर चार प्रस्तावकों के साथ ही नामांकन दाखिल करने पहुंचीं थीं और निर्दलीय उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावक चाहिए होते हैं।

इस तरह की परिस्थिति में उम्मीदवार का नामांकन खारिज हो सकता है। अब सुमन चुनाव आयोग के पास इस मामले को लेकर पहुंच सकती हैं। 

कौन हैं सुमन दिवाकर ?

वर्तमान में इगलास के तोछीगढ़ से जिला पंचायत सदस्य सुमन दिवाकर की पकड़ इलाके में अच्छी खासी है। उनकी सास तोछीगढ़ की प्रधान रह चुकी हैं। जबकि सुमन दिवाकर के ससुर एसआई पद पर थे। हालांकि, अब वह रिटायर हो चुके हैं। आपको बता दें कि सुमन दिवाकर के पति का निधन हो चुका है। निधन से पहले उनके पति भाजपा में सक्रिय दिखाई देते थे। साल 2017 में राष्ट्रीय लोक दल से सुमन ने टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने सुलेखा चौधरी पर उस वक्त दांव खेला था और वह तीसरे स्थान पर थीं।

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रालोद का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन होने की वजह से 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए इगलास सीट के लिए रालोद उम्मीदवार की सपा मदद करेगी और बाकी की बची 10 सीटें सपा ने अपने उम्मीदवारों को दी है। हालांकि उपचुनाव के लिए सपा, रालोद के साथ-साथ सुभासपा यानी कि ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के साथ गठबंधन करना चाहती थी लेकिन सीटों पर फंसे पेंच की वजह से यह गठबंधन नहीं हो सका।

दरअसल, ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से अंबेडकरनगर की जलालपुर और मऊ जिले की घोसी सीट मांगी थी। लेकिन दोनों पार्टियों के बीच आपसी सहमति नहीं बन पाई और रालोद के साथ सपा यह उपचुनाव लड़ रही है।

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अभी भी रालोद के लिए बाकी है उम्मीद

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इगलास उपचुनाव को हर हाल में जीतने की जुगत में लगी रालोद ने अंतिम समय पर अपना उम्मीदवार बदल दिया। सुमन दिवाकर से पहले इस सीट के लिए पार्टी ने मुकेश सूर्यवंशी पर दांव खेला था। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि उन्हें अपना उम्मीदवार बदलना पड़ा। इस बात की जानकारी अभी तक पार्टी ने साझा नहीं की।

आपको बता दें कि सुमन दिवाकर अंतिम समय में अपना पर्चा दाखिल करने कलेक्ट्रेट पहुंचीं थीं लेकिन रालोद प्रत्याशी के तौर पर मुकेश सूर्यवंशी ने अपना पर्चा दाखिल कर दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर उनके पर्चे में किसी भी तरह की खामी न हुई तो सुमन दिवाकर का पर्चा रद्द होने के बाद भी रालोद के पास एक उम्मीद मुकेश सूर्यवंशी के तौर पर बाकी रहेगी।

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