Prabhasakshi NewsRoom: Taliban को पहले गेहूँ दिया, अब तालिबानी राजनयिकों को ट्रेनिंग भी देगा भारत, जानिये क्या है माजरा

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ANI

जहां तक तालिबान को प्रशिक्षण देने की बात है तो आपको बता दें कि भारत ने एक कोर्स की शुरुआत की है, जिसे आईआईएम कोझिकोड ने तैयार किया है। इस कोर्स के दौरान तालिबानी अधिकारी भारत के कारोबारी माहौल, सांस्कृतिक विरासत और रेगुलेटरी इकोसिस्टम के बारे में जानेंगे।

भारत सरकार ने हाल ही में अफगानिस्तान को 20 हजार मीट्रिक टन गेहूं देने की घोषणा की तो देश में आम आदमी पार्टी ने हल्ला मचाना शुरू किया कि तालिबान को क्यों खुश कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। जबकि भारत मानवीय आधार पर दुनिया के हर देश की मदद करता रहा है। अब भारत ने तालिबान के राजनयिकों को प्रशिक्षण देने का फैसला कर सबको चौंका दिया है। माना जा रहा है कि भारत का यह कदम अफगानिस्तान के नये नेतृत्व के साथ भारत के संबंधों को बेहतर बना सकता है। दरअसल तालिबानियों को हथियार के बल पर शासन करने में तो महारत हासिल है लेकिन दुनिया के साथ राजनयिक संबंध कैसे बनाये जायें इसका उन्हें कोई अनुभव नहीं है। इसलिए भारत सरकार की यह पहल बहुत मायने रखती है। माना जाता है कि भारत के अफगानिस्तान के साथ मजबूत होते संबंधों की बदौलत अफगानिस्तान से भारत विरोधी गतिविधियों को भी रोका जा सकेगा। अफगान तालिबान के संबंध पाकिस्तान से बहुत खराब हो चुके हैं, ऐसे में भारत के साथ अफगानिस्तान के नये शासकों के सुधरते रिश्ते इस क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टि से भारत को बल प्रदान करेंगे।

जहां तक तालिबानी राजनयिकों को प्रशिक्षण देने की बात है तो आपको बता दें कि भारत ने एक कोर्स की शुरुआत की है, जिसे आईआईएम कोझिकोड ने तैयार किया है। इस कोर्स के दौरान तालिबानी अधिकारी भारत के कारोबारी माहौल, सांस्कृतिक विरासत और रेगुलेटरी इकोसिस्टम के बारे में जानेंगे। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, दोनों देशों के बीच इस आशय का एक समझौता भी हुआ है। इस कोर्स का नाम है- Immersing With Indian Thoughts। भारत और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालयों ने इस ऑनलाइन प्रशिक्षण कोर्स के लिए अपनी सहमति जता दी है। दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत काबुल स्थित अफगान इंस्टिट्यूट ऑफ डिप्लोमेसी में ऑनलाइन प्रशिक्षण देने का प्रबंध किया गया है। इस बारे में आईआईएम कोझिकोड ने ट्वीट किया है कि इस कोर्स से भारत के कारोबार, सांस्कृतिक विरासत और रेगुलेटरी इकोसिस्टम की जानकारी दी जायेगी। अल्प अवधि के इस कोर्स की शुरुआत आज (14 मार्च) से हो रही है और ये 17 मार्च तक चलेगा। अफगानिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार बिलाल सर्वरी ने भी इस बारे में ट्वीट कर जानकारी दी है कि भारत सरकार ने तालिबानी अधिकारियों के लिए एक कोर्स बनाया है लेकिन देखना होगा कि तालिबान के अधिकारियों पर इस कोर्स का कितना प्रभाव पड़ेगा। इस कोर्स के बारे में यह भी बताया जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर लक्ष्यों को हासिल करने के लिए यह पाठ्यक्रम समझौता अहम भूमिका निभायेगा।

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जहां तक अफगानिस्तान को गेहूं भेजने की बात थी तो आपको बता दें कि भूख से ग्रस्त अफगानिस्तान को भारत ने जो मदद भेजी थी वह जनता के लिए थी। इस मदद को जिस तरह आम आदमी पार्टी ने तालिबानियों का पेट भरने की कवायद करार दिया वह गलत था। भारत संकट और मुश्किल के समय दुनिया की मदद के लिए सबसे पहले खड़ा होता रहा है। कोरोना संकट के दौरान भी भारत ने वैक्सीन मैत्री अभियान के जरिये पूरी दुनिया का दिल जीता था। हम आपको यह भी बता दें कि अफगानिस्तान सेना के कैडेटों को भारतीय सेना से उसी तरह प्रशिक्षण भी मिलता रहा है जैसे हम अपने कुछ और पड़ोसी देशों के रक्षा बलों को प्रशिक्षण देते हैं। बहरहाल, तालिबानी राजनयिकों को दिये जा रहे प्रशिक्षण के बारे में हम आपको यह भी बता दें कि भारतीय विदेश मंत्रालय का सदैव यह प्रयास रहता है कि सहयोगी देशों की विकास संबंधी कार्यों तथा अन्य चुनौतियों से जूझने की क्षमता बढ़ाई जाये।

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