विपक्ष पर बरसे इमरान खान, बोले- अगर शहबाज शरीफ ने सत्ता संभाली तो करेंगे अमेरिका की गुलामी
इमरान खान के खिलाफ पाकिस्तान में विपक्ष एकजुट है। विपक्ष लगातार इमरान खान से इस्तीफे की मांग कर रहा है। शहबाज शरीफ इस समय विपक्ष के साथ-साथ पीएमएल (एन) के नेता हैं। माना जा रहा है कि इमरान खान के सत्ता से हटने के बाद शरीफ ही प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे।
पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल तेज है। इन सब के बीच 3 अप्रैल को पाकिस्तान में इमरान सरकार के खिलाफ पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में वोटिंग होनी है। इमरान खान को सरकार जाने का डर है। इन सबके बीच आज इमरान खान ने एक बार फिर से विपक्ष पर जबरदस्त तरीके से निशाना साधा है। इमरान खान ने दावा किया कि अगर विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ सत्ता संभालते हैं तो वह अमेरिका की गुलामी करेंगे। आपको बता दें कि इमरान खान के खिलाफ पाकिस्तान में विपक्ष एकजुट है। विपक्ष लगातार इमरान खान से इस्तीफे की मांग कर रहा है। शहबाज शरीफ इस समय विपक्ष के साथ-साथ पीएमएल (एन) के नेता हैं। माना जा रहा है कि इमरान खान के सत्ता से हटने के बाद शरीफ ही प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे।
विश्वास मत के 1 दिन पहले एक सार्वजनिक संबोधन में इमरान खान ने कहा कि मैं पाकिस्तान की युवाओं से आज और कल आंदोलन करने का आग्रह करता हूं। उन्होंने कहा कि बाहरी ताकतों की इस साजिश के खिलाफ और वर्तमान पाकिस्तान के मीर सादिक और मीर जाफर के खिलाफ आवाज उठाएं। इसके साथ ही इमरान खान ने कहा कि यहां तक कि हमारी संसद समिति ने भी इस आधिकारिक दस्तावेज को देखा है जिसमें कहा गया है कि अगर आप इमरान खान को हटाते हैं तो आपके अमेरिका से संबंध अच्छे होंगे। आपको बता दें कि इमरान खान लगातार अमेरिका पर फिलहाल हमलावर हैं।If (Leader of Opposition & PML (N) leader) Shahbaz Sharif takes over, they will do slavery of America: Pakistan PM Imran Khan in a public address a day ahead of trust vote pic.twitter.com/4YIMbeen8P
— ANI (@ANI) April 2, 2022
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इससे पहले पाकिस्तान के संकटग्रस्त प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि विपक्ष द्वारा संसद में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद ‘प्रतिष्ठान’ ने उन्हें तीन विकल्प दिए थे : ‘इस्तीफा, अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान या चुनाव।’ हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि ‘प्रतिष्ठान’ से उनका इशारा किस तरफ है। पाकिस्तान के 73 साल से अधिक लंबे इतिहास में उस पर आधे से ज्यादा समय तक शक्तिशाली सेना की हुकमूत रही है। पाकिस्तान में सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े मामलों में अब तक सेना का अच्छा-खासा दखल रहा है।
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