Shaurya Path: Brigadier (R) DS Tripathi ने China-Pakistan और Japan से जुड़े मुद्दों पर रखी स्पष्टता के साथ अपनी राय

Brigadier DS Tripathi
Prabhasakshi

पाकिस्तान को नोटिस छह दशक पुरानी संधि को लागू करने से जुड़े विवाद निपटारा तंत्र के अनुपालन को लेकर अपने रुख पर अड़े रहने के कारण भेजा गया है। नोटिस इसलिए भेजा गया है ताकि 19 सितंबर 1960 को किये गए इस समझौते में बदलाव को लेकर प्रक्रिया शुरू की जा सके।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में ब्रिगेडियर सेवानिवृत्त श्री डीएस त्रिपाठी से हमने सिंधु जल संधि को लेकर भारत की ओर से पाकिस्तान को भेजे गये नोटिस और चीन से जारी विवाद के बीच सामने आई एक रिपोर्ट को लेकर विस्तृत बातचीत की। पेश हैं इस बातचीत के मुख्य अंश-

प्रश्न- 1. भारत ने सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए पाकिस्तान को नोटिस भेजा है। क्या पाकिस्तान का पानी बंद करने की तैयारी है? उरी हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भी था कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते।

उत्तर- भारत ने सितंबर 1960 की सिंधु जल संधि की समीक्षा और उसमें संशोधन के लिए पाकिस्तान को नोटिस भेजा है। दरअसल पाकिस्तान को पहली बार यह नोटिस छह दशक पुरानी इस संधि को लागू करने से जुड़े विवाद निपटारा तंत्र के अनुपालन को लेकर अपने रुख पर अड़े रहने के कारण भेजा गया है। यह नोटिस इसलिए भेजा गया है ताकि 19 सितंबर 1960 को किये गए इस समझौते में बदलाव को लेकर प्रक्रिया शुरू की जा सके। संधि की समीक्षा और उसमें संशोधन के लिये भारत का नोटिस विवाद समाधान तंत्र तक ही सीमित नहीं है और पिछले 62 साल के अनुभवों के आधार पर संधि के विभिन्न अन्य प्रावधानों पर भी चर्चा हो सकती है।

इस संधि के मुताबिक पूर्वी नदियों का पानी, कुछ अपवादों को छोड़ दें, तो भारत बिना रोकटोक के इस्तेमाल कर सकता है। भारत से जुड़े प्रावधानों के तहत रावी, सतलुज और ब्यास नदियों के पानी का इस्तेमाल परिवहन, बिजली और कृषि के लिए करने का अधिकार भारत को दिया गया। भारत द्वारा पाकिस्तान को यह नोटिस किशनगंगा और रातले पनबिजली परियोजनाओं से जुड़े मुद्दे पर मतभेद के समाधान को लेकर पड़ोसी देश के अपने रुख पर अड़े रहने के मद्देनजर भेजा गया है। यह नोटिस सिंधु जल संधि के अनुच्छेद 12 (3) के प्रावधानों के तहत भेजा गया है।

प्रश्न- 2. पाकिस्तान में बत्ती गुल है, खाने को नहीं है। फिर भी एक हालिया रिपोर्ट दर्शाती है कि वहां अरबों डॉलर की कारों का आयात किया गया?

उत्तर- वाकई यह काफी गंभीर बात है क्योंकि पाकिस्तान की सेना, सरकार और अमीरों ने वहां की जनता को कोई राहत नहीं दी है और अब तक मिली सारी मदद का खुद के लिए ही इस्तेमाल किया है। चूक की कगार पर खड़े पाकिस्तान ने विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट के बीच बीते छह महीनों के दौरान 1.2 अरब डॉलर यानि 259 अरब रुपये महंगी कारों, अत्याधुनिक इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके कलपुर्जों जैसी वस्तुओं के आयात पर खर्च किए हैं। यह खबर चौंकाती नहीं बल्कि पाकिस्तान के असल सच को उजागर करती है। 

प्रश्न-3. एक समाचार रिपोर्ट में दावा किया गया कि पूर्वी लद्दाख में 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट्स भारत के हाथ से निकल चुके हैं। सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया तो नहीं दी है लेकिन सूत्रों के हवाले से आई खबरों में इस खबर को असत्य बताया गया है। माना जा रहा है कि संसद के बजट सत्र में विपक्ष इस मुद्दे को उठा सकता है। आपको क्या लगता है कि वाकई इस खबर में कोई दम नहीं है?

उत्तर- लद्दाख में 65 गश्त वाले स्थानों में से 26 पर भारत के गश्त नहीं कर पाने की खबरों पर सरकार ने चूंकि कुछ नहीं कहा है इसलिए इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन ऐसी खबरें हैं कि एक अधिकारी ने डीजीपी और आईजी सम्मेलन के दौरान इस बात को रखा था। देश को हमारी सेना पर विश्वास होना चाहिए क्योंकि वह भारत भूमि की एक इंच जमीन भी दुश्मन को नहीं हथियाने दे सकती। लेकिन जहां तक चीन के साथ विवाद की बात है तो हमको यह भी समझना होगा कि सीमाएं अपरिभाषित हैं इसीलिए इस तरह के विवाद सामने आते हैं।

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प्रश्न-4. 74वें गणतंत्र दिवस से पहले पराक्रम दिवस के दिन सरकार ने 21 द्वीपों के नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखे जाने का फैसला किया। इसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- यह फैसला सराहनीय है। यह हमारे नायकों को जहां देश की तरफ से सम्मान है वहीं साथ ही अंडमान निकोबार जैसे समुद्री द्वीप क्षेत्र के विकास को भी इस फैसले से नये पंख लगेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शायद अब तक के एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने सर्वाधिक बार अंडमान निकोबार द्वीप का दौरा भी किया है और वहां आयोजित कार्यक्रमों को वर्चुअली संबोधित भी किया है। देखा जाये तो अब तक की सरकारों की ऐसे द्वीपों को लेकर यह सोच रहती थी कि ये तो दूरदराज के दुर्गम और अप्रासंगिक इलाके हैं। इसी सोच के कारण ऐसे क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा हुई और उनके विकास को नजरअंदाज किया गया। अण्डमान निकोबार द्वीप समूह इसका भी साक्षी रहा है। सिंगापुर, मालदीव और सेशेल्स अपने संसाधनों के सही इस्तेमाल से द्वीपीय पर्यटन के आकर्षण का केंद्र बन गए हैं और आज पूरी दुनिया से लोग इन देशों में पर्यटन के लिए जाते हैं। ऐसा ही सामर्थ्य भारत के द्वीपों के पास भी है जो दुनिया को बहुत कुछ दे सकते हैं। साथ ही पहले लोग अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के प्राकृतिक सौंदर्य को देखने यहां आते थे लेकिन आज लोग यहां इतिहास को जानने और जीने के लिए भी पहुंच रहे हैं। वहां के द्वीप हमारी समृद्ध आदिवासी परंपरा की धरती भी रहे हैं। निश्चित ही सरकार के इस फैसले से इस क्षेत्र का भाग्योदय होगा।

प्रश्न-5. सेना और वायुसेना से सर्जिकल और एयर स्ट्राइक के सबूत मांगे जाने का सिलसिला जारी है? इस बीच, थलसेना की पूर्वी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कालिता ने कहा है कि किसी भी अभियान को अंजाम देते समय सेना कभी भी कोई सबूत रखने के बारे में नहीं सोचती। उन्होंने यह भी कहा है कि देश को सुरक्षा बलों पर विश्वास है। क्या आपको लगता है कि देश में सेना पर राजनीति कभी बंद हो पायेगी? मैं एक पूर्व सेना अधिकारी का बयान भी देख रहा था जिसमें उन्होंने कहा कि ऐसे सवाल जब भी उठाये जाते हैं तो हमारा खून खौलता है। इस पर भी मैं आपकी प्रतिक्रिया लेना चाहूंगा?

उत्तर- यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सेना को राजनीति में घसीटा जाता है। ऐसा लगता है कि राजनीतिक दलों और नेताओं के पास मुख्य मुद्दों का अभाव हो गया है इसीलिए इस तरह की बातें कही जाती हैं। वक्त आ गया है कि जब सभी दलों को अपने नेताओं के लिए गाइडलाइन जारी करनी चाहिए और सेना से जुड़े मुद्दों पर नहीं बोलने के लिए कहा जाना चाहिए। जो सैनिक विषम परिस्थितियों में तैनात है निश्चित ही ऐसे विवादों से उसे दुख होता है लेकिन उसका मनोबल कभी कम नहीं होता क्योंकि वह जिस जज्बे के साथ वहां गया है उसे हमेशा बरकरार रखेगा। यही कारण है कि देशवासियों का पहला भरोसा हमेशा सेना पर ही होता है। जहां तक आपने एक पूर्व सेना अधिकारी के आक्रोश की बात कही है तो मैं कहना चाहूंगा कि सेना के बारे में गलत बयानबाजी सुनकर जनता में भी इसी तरह का आक्रोश दिखाई देता है।

प्रश्न- 6. भारत जापान संयुक्त वायुसेना अभ्यास क्या दर्शाता है?

उत्तर- भारतीय वायुसेना और जापान एअर सेल्फ-डिफेंस फोर्स का 16 दिवसीय द्विपक्षीय हवाई अभ्यास जापान में संपन्न हुआ है। ‘वीर गार्डियन 2023’ नामक इस पहले अभ्यास में दोनों वायु सेनाओं की ओर से सटीक योजना और कौशलपूर्ण क्रियान्वयन शामिल रहा। दोनों वायु सेनाओं के कर्मियों ने एक-दूसरे के लड़ाकू विमानों में उड़ान भरी ताकि एक-दूसरे के परिचालन की गहरी समझ हासिल की जा सके। जापानी बल ने अपने एफ-2 और एफ-15 विमानों के साथ अभ्यास में भाग लिया, वहीं भारतीय वायुसेना की टुकड़ी ने सुखोई-30 एमकेआई विमान के साथ भाग लिया और इसकी टुकड़ी में बीच हवा में ईंधन भरने वाला एक आईएल-78 विमान और दो सी-17 ग्लोबमास्टर रणनीतिक परिवहन विमान भी शामिल रहे। 16 दिन के संयुक्त प्रशिक्षण के दौरान दोनों वायुसेना अनेक कृत्रिम अभियान परिदृश्यों में जटिल तथा व्यापक हवाई अभ्यासों में शामिल रहीं। इस अभ्यास से दोनों बलों को परस्पर समझ बढ़ाने का अवसर मिला।

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