भारत हर मोर्चे पर चीन को उसकी औकात बताने में लगा, PM मोदी के इस कदम से बुरी तरह बौखलाया ड्रैगन

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अभिनय आकाश । Jul 8 2022 2:06PM

पीएम मोदी की शुभकामनाओं पर एक सवाल को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारतीय पक्ष को 14वें दलाई लामा के चीन विरोधी अलगाववादी स्वभाव को पूरी तरह से पहचानना चाहिए।

तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा को उनके 87वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बौद्ध धर्म के अनुयायियों और देश-विदेश की तमाम बड़ी हस्तियों, नेताओं ने बधाई दी। मैकलॉडगंज के बौद्ध मंदिर में सुबह पूजा-अर्चना के बाद केक काटा गया। इस मौके पर मशहूर बॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गेयर, वन मंत्री राकेश पठानिया और तिब्बत सरकार के प्रतिनिधि मौजूद रहे। प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को 87 वर्ष के होने पर दलाई लामा को फोन पर बधाई दी थी। मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘फोन पर दलाई लामा से बात कर उन्हें 87वें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। हम उनके लंबे जीवन और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं।’’ प्रधानमंत्री ने पिछले साल भी दलाई लामा को उनके जन्मदिन पर बधाई दी थी। 

दलाई लामा का जिक्र होते ही चीन हो जाता है चौकन्ना 

 दलाई लामा की जब भी बात होती है चीन चौकन्ना हो जाता है। लामा दुनिया में जिस भी देश में जाते हैं। वहां से चीन की आपत्ति से दो-चार होना पड़ता है। सबसे बड़ा सवाल है कि एक 87 साल के बौद्ध धर्म गुरु से चीन क्यों डरता है? इस सवाल का जवाब जानना है तो तिब्बत के इतिहास में झांकना होगा। अक्टूबर 1949 में माओ द्वारा, महज 15 साल के संघर्ष और हिंसक लड़ाई के बाद, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) की स्थापना के साथ हुई। चेयरमैन माओत्से तुंग के एजेंडे में तिब्बत को हड़पना (और दंडित करना) शामिल था, जिसे उन्होंने ’चीन की दाहिनी हथेली’ कहा था, जबकि लद्दाख, सिक्किम, भूटान, नेपाल और अरुणाचल प्रदेश हथेली की ‘पांच अंगुलियां’ हैं। चीन ने 7 अक्टूबर 1950 को तिब्बत पर अपने आक्रमण के साथ भारत का सामना किया और न केवल तिब्बत और भारत की बल्कि पूरे एशिया की स्थिरता को खतरे में डाल दिया। बाद में 14वें दलाई लामा तेंजिन ग्यात्सो को तिब्बत छोड़ना पड़ा। 1959 में दलाई लामा अपने कई समर्थकों के साथ भारत आए।

भारत की बधाई से भड़का चीन

पीएम मोदी की शुभकामनाओं पर एक सवाल को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारतीय पक्ष को 14वें दलाई लामा के चीन विरोधी अलगाववादी स्वभाव को पूरी तरह से पहचानना चाहिए।’’ झाओ ने कहा, ‘‘भारतीय पक्ष को चीन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का पालन करना चाहिए, समझदारी से बोलना और कार्य करना चाहिए तथा चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत से संबंधित मुद्दों का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए।

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