अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत को प्रेरणादायी स्थान के रूप में देख रही है दुनिया : इसरो प्रमुख

S Somanath
प्रतिरूप फोटो
ANI

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने रविवार को कहा कि पिछले 60 वर्षों में देश ने अंतरिक्ष क्षेत्र में जो हासिल किया है, उससे दुनिया भारत को इस क्षेत्र में एक प्रेरणादायक स्थान के रूप में देख रही है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने रविवार को कहा कि पिछले 60 वर्षों में देश ने अंतरिक्ष क्षेत्र में जो हासिल किया है, उससे दुनिया भारत को इस क्षेत्र में एक प्रेरणादायक स्थान के रूप में देख रही है। सोमनाथ ने कहा कि वह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में स्टार्टअप्स को लाकर, उनकी मदद करके और रॉकेट और उपग्रहों को विकसित करने के लिये बेहतरीन ऐप्लिकेशन लाकर इस क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन देख रहे हैं।

इसरो प्रमुख ने यहां कट्टनकुलाथुर में एसआरएम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘पूरी दुनिया भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक स्थान के रूप में देख रही है और यह देखना अद्भुत है कि भारत में विशेष रूप से अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप के अनुकूल माहौल तैयार हो रहा है।’’ एस सोमनाथ को विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए इस अवसर पर ‘डॉक्टरेट ऑफ साइंस’ की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘हम हमेशा से ही दूसरों की क्षमताओं पर विश्वास करते थे, लेकिन दूसरों ने कभी नहीं माना कि इस देश में हम स्वयं रॉकेट और उपग्रह बनाने जैसे काम कर सकते हैं। बीते कई वर्षों में हमने अपनी क्षमता का इस्तेमाल कर उपग्रहों का निर्माण किया है और उन्हें स्वदेशी तकनीक से विकसित रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करके भी दिखाया है।’’ इसरो प्रमुख ने कहा, ‘‘मौजूदा समय में हमारे 50 से अधिक उपग्रह अंतरिक्ष में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। कम से कम तीन रॉकेट हमारी जमीन से किसी भी समय उड़ान भरने के लिए तैयार हैं।’’

देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर की ओर इशारा करते हुए सोमनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्पष्ट दृष्टिकोण है कि देश को अगले 25 वर्षों में क्या हासिल करना है और उन 25 वर्षों में राष्ट्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि एक राष्ट्र की वास्तविक शक्ति केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लोगों के मूल कार्य के माध्यम से ही बाहर आ सकती है और वास्तव में हम इस देश में उस क्षमता का निर्माण कर सकते हैं।’’

सोमनाथ ने कहा कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए युवाओं के मन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए भावना को जगाने की जिम्मेदारी भारत की है, जो देश के एक महाशक्ति बनने के लिए बेहद आवश्यक है। इसरो प्रमुख ने कहा, ‘‘एक ऐसी महाशक्ति जहां इस दुनिया में हर इंसान एक-दूसरे से लड़े बिना खुशी से आना और रहना चाहेगा, लेकिन इसके लिए हर किसी को ज्ञान और कौशल के मामले में पूरी दुनिया में योगदान देना होगा। हमें राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिए समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना होगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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