इसरो प्रमुख बोले, चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिये तैयारियां जारी
चंद्रयान-2 को जीएसएलवी मैक-3 द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा जिसे भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा “बाहुबली” कहा जाता है क्योंकि यह चार टन क्षमता तक के उपग्रह ले जाने की क्षमता रखता है।
तिरुपति (आंध्र प्रदेश)। देश के प्रतिष्ठित चंद्र अभियान चंद्रयान-2 के लिये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है और 15 जुलाई को इसके प्रक्षेपण के लिये सभी तैयारियां चल रही हैं। एजेंसी के अध्यक्ष के सिवन ने शनिवार को यह जानकारी दी। यह किसी खगोलीय पिंड पर उतरने का इसरो का पहला अभियान है और यह 2008 में प्रक्षेपित चंद्रयान-1 की ही अगली कड़ी है। इसरो के मुताबिक इस अभियान का उद्देश्य चंद्रमा की उत्पत्ति और क्रमिक विकास को समझने के लिये विस्तृत अध्ययन करना है। यहां के निकट तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में पूजा के बाद सिवन ने संवाददाताओं को बताया, “श्रीहरिकोटा से 15 जुलाई को तड़के दो बजकर 51 मिनट पर चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिये सभी तैयारियां की जा रही हैं।”
Did you know that it takes 50 days to integrate the GSLV Mk-III? A Rajarajan, Director of the Satish Dhawan Space Centre, goes into interesting mission facts such as this and more in this edition of #RocketScience - https://t.co/0kvyedkzcE #Chandrayaan2 #GSLVMkIII #ISRO pic.twitter.com/KGam8JzTX0
— ISRO (@isro) July 13, 2019
इसरो ने पूर्व में कहा था कि चंद्र अभियान के तीनों मॉड्यूल- ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान)- प्रक्षेपण के लिये तैयार किये जा रहे हैं और लैंडर के सितंबर की शुरुआत में चंद्रमा की सतह को छूने की उम्मीद है। संक्षिप्त बातचीत में सिवन ने कहा कि लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर छह सितंबर को उतरेगा। चंद्रमा के इस क्षेत्र में अब तक कोई नहीं पहुंचा है। उन्होंने बारिश से प्रक्षेपण को किसी तरह के खतरे की आशंका को खारिज किया। यहां बारिश के बीच उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “इसका कोई प्रभाव नहीं होगा क्योंकि प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी मैक्-3) बारिश में भी सुरक्षित रहता है।”
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चंद्रयान-2 को जीएसएलवी मैक-3 द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा जिसे भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा “बाहुबली” कहा जाता है क्योंकि यह चार टन क्षमता तक के उपग्रह ले जाने की क्षमता रखता है। चंद्रयान-2 मिशन की कुल लागत के बारे में पूछे जाने पर सिवन ने कहा कि यह एक हजार करोड़ रुपये थी। भारत के पहले अंतरिक्षयात्री कार्यक्रम “गगनयान” परियोजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्रगति हो रही है और इसके तहत पहले मानवरहित मिशन को दिसंबर 2020 तक अंजाम दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “अभी, डिजाइन का चरण पूरा हुआ है और इसे मूर्त रूप देने का काम चल रहा है।” सिवन ने कहा, “हम दिसंबर 2021 में मानव को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहे हैं।
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