China, Hindenburg, BBC Documentary, George Soros संबंधी विपक्ष के हर आरोप का जयशंकर ने दिया करारा जवाब

S Jaishankar
ANI

एलएसी को लेकर मोदी सरकार पर विपक्ष के आरोपों पर जयशंकर ने कहा कि कभी कहा जाता है कि सरकार रक्षात्मक है, कभी कहा जाता है कि सरकार उदार हो रही है। उन्होंने कहा कि अगर हम उदार हैं तो LAC पर आर्मी को किसने भेजा?

स्पष्टता और प्रखरता से सामने वाले को जवाब देने और भारत की विदेश नीति को नयी दिशा देने वाले विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिये खास साक्षात्कार में चीन, पाकिस्तान, बीबीसी डॉक्यूमेंट्री, उभरते भारत आदि कई विषयों पर तो अपनी बात रखी ही साथ ही कांग्रेस के आरोपों पर भी जोरदार पलटवार किया। जयशंकर ने हालिया बीबीसी डॉक्यूमेंट्री विवाद, हिंडनबर्ग रिपोर्ट और जॉर्ज सोरोस विवाद संबंधी प्रश्न के उत्तर में कहा कि मैं ये बताना चाहता हूं कि चुनाव का समय भारत और दिल्ली में शुरू हुआ हो या नहीं, लेकिन न्यूयॉर्क और लंदन में जरूर शुरू हो गया है।

कांग्रेस के इन आरोपों पर कि मोदी सरकार चीन का नाम तक नहीं लेती, पर जयशंकर ने चीन का खुलकर और स्पष्टता के साथ नाम लिया और यह भी कहा कि मैं बताना चाहता हूं कि चीन ने 1962 में हमारी ज़मीन के एक टुकड़े पर कब्ज़ा कर लिया था और अब विपक्ष 2023 में मोदी सरकार पर आरोप लगा रहा है कि चीन उस ज़मीन पर ब्रिज बना रहा है जिस पर चीन ने 1962 में कब्ज़ा कर लिया था। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि सभी कहते हैं कि हमें सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तो कांग्रेस ने ऐसा क्यों नहीं किया? उन्होंने कहा कि मैंने सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट देखा। मोदी सरकार में बजट 5 गुणा बढ़ा है। 2014 तक यह 3-4 हजार करोड़ था और आज यह 14 हजार करोड़ है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार इसको लेकर गंभीर है। जयशंकर ने यह भी कहा कि मैं सबसे लंबे समय तक चीन का राजदूत रहा और बॉर्डर मु्द्दों को डील कर रहा था। उन्होंने कहा कि मैं ये नहीं कहूंगा कि मुझे सबसे अधिक ज्ञान है मगर मैं इतना कहूंगा कि मुझे चीन विषय पर काफी कुछ पता है। अगर राहुल गांधी को चीन पर ज्ञान होगा तो मैं उनसे भी सीखने के लिए तैयार हूं।

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एलएसी को लेकर मोदी सरकार पर विपक्ष के आरोपों पर जयशंकर ने कहा कि कभी कहा जाता है कि सरकार रक्षात्मक है, कभी कहा जाता है कि सरकार उदार हो रही है। उन्होंने कहा कि अगर हम उदार हैं तो LAC पर आर्मी को किसने भेजा? जयशंकर ने कहा कि राहुल गांधी ने आर्मी को नहीं भेजा, नरेंद्र मोदी ने भेजा।

हालिया हिंडनबर्ग, बीबीसी डॉक्यूमेंट्री और जॉर्ज सोरोस विवाद पर उन्होंने कहा कि ये समझना मुश्किल क्यों है कि जो विचारधारा और राजनीतिक पार्टियां भारत के बाहर हैं, उससे मिलती जुलती विचारधारा और पार्टियां भारत के अंदर भी हैं और दोनों एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि कई बार भारत में चल रही राजनीति यहां की नहीं बल्कि बाहर से आई होती है। विचार और एजेंडा बाहर से आए होते हैं। उन्होंने कहा कि आप डॉक्यूमेंट्री ही बनाना चाहते हैं तो दिल्ली में 1984 में बहुत कुछ हुआ था। हमें उस विषय पर कोई डॉक्यूमेंट्री देखने को क्यों नहीं मिली?

BBC डॉक्यूमेंट्री पर विदेश मंत्री ने कहा कि ये बस केवल एक राजनीति है, जो उन लोगों के द्वारा की जा रही है जिनमें राजनीतिक क्षेत्र में आने की ताकत नहीं है। वे खुद को बचाने के लिए कहते हैं कि हम एक NGO, मीडिया संगठन आदि हैं, लेकिन वे राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी दूसरे माध्यम का इस्तेमाल कर राजनीति की जा रही है। आप किसी के मान सम्मान को धक्का पहुँचाने का काम कर रहे हैं  और कहते हैं कि ये सत्य के लिए केवल एक खोज है जिसे हमने 20 साल बाद इस समय पर लाने का फैसला किया है। ANI से बात करते हुए BBC डॉक्यूमेंट्री पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने यह भी कहा कि आपको क्या लगता है कि ये अचानक आया है। उन्होंने कहा कि मैं ये बताना चाहता हूं कि चुनाव का समय भारत और दिल्ली में शुरू हुआ हो या नहीं, लेकिन न्यूयॉर्क और लंदन में जरूर शुरू हो गया है।

पाकिस्तान के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि उस देश का भविष्य काफी हद तक उसकी कार्रवाई से तय होता है। उन्होंने कहा कि मेरा मतलब है कि कोई भी अचानक ऐसी एक कठिन स्थिति में नहीं पहुंचता है। अब उन्हें इसके लिए रास्ता खुद खोजना है। आज हमारा संबंध वैसा नहीं है जहां हम सीधे उस पर प्रासंगिक हो सकते हैं।

राजनीति में आने के लिए भाजपा को ही चुनने और मंत्री पद स्वीकार करने संबंधी प्रश्नों के उत्तर में जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मुझे कैबिनेट में शामिल होने के लिए कहा था। उन्होंने बताया कि 2011 में मैंने उनसे बीजिंग में मुलाकात की थी, उससे पहले मैं उनसे कभी नहीं मिला था। जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उस समय चीन दौरे पर गए थे। उन्होंने कहा कि सच कहूं तो उन्होंने मुझ पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला था। जयशंकर ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कि ये कैबिनेट या सरकार एक टीम कैबिनेट है जिसमें हम अपने निर्णय नहीं ले सकते बल्कि पूरी टीम लेती है। उन्होंने कहा कि जब मुझे मंत्री के रूप में चुना गया था तब मैं सांसद नहीं था और न ही कोई राजनीतिक पार्टी का सदस्य था मेरे पास विकल्प था कि मैं राजनीतिक पार्टी चुनूं या नहीं। डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि मैंने इस पार्टी को इसलिए चुना क्योंकि ये पार्टी देश की भावनाओं को अच्छे से समझती है। उन्होंने कहा कि आप जब कैबिनेट का हिस्सा होते हैं तो आपको बहुत कुछ जानने को मिलता है।

भारत की प्रगति संबंधी प्रश्नों के उत्तर में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि आज हमारा वैश्विक स्तर बहुत ऊंचा है। आज हम अपनी सोच, अभियान और विदेश नीति को लागू करने की रणनीति को लेकर पहले की तुलना में अधिक स्पष्ट हैं और ये होना भी चाहिए। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि आज वैश्विक मामलों पर विश्व के लोग जानना चाहते हैं कि भारत का क्या मानना है? ये वैश्विक मामले जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद का मुकाबला, ब्लैक मनी, सुरक्षा आदि कुछ भी हो सकता है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि हम दुनिया को बहुत स्पष्ट रूप से प्रदर्शित कर चुके हैं कि हम अंतरराष्ट्रीय शक्ति हैं। हम इस समय दूसरे देशों के लिए अन्य देशों की तुलना में अधिक काम करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जब तुर्की में भूकंप आया तब प्रधानमंत्री मोदी हमारे विचार जानना चाहते थे। कुछ ही मिनटों में हमें जाने के लिए कहा गया। 48 घंटे से भी कम समय में टीमों को तुर्की भेजा गया।

विभिन्न प्रश्नों के उत्तर के दौरान जयशंकर ने यह भी बताया कि मेरे पिता सरकारी अधिकारी थे और वो 1979 में जनता सरकार में सचिव बने थे लेकिन उन्हें सचिव पद से हटा दिया गया था। उन्होंने कहा कि 1980 में वे रक्षा उत्पादन सचिव थे। जब इंदिरा गांधी दोबारा चुनी गईं थीं तब उन्होंने उनको पद से हटा दिया था। उन्होंने कहा कि वे काफी ज्ञानी थे, शायद यही दिक्कत थी।

भारत के वैक्सीन मैत्री अभियान के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री ने कहा कि मैं यह नहीं कहूंगा कि उस पर बहुत आलोचना हुई थी लेकिन उस पर कुछ जगहों से शोर बहुत हुआ था। उन्होंने कहा कि जब आप किसी के लिए कुछ करते हैं तो पूछा जाता है कि क्यों किया जा रहा है और जब नहीं करते तो बोला जाता है कि क्यों नहीं कर रहे हैं।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि हमारे अमेरिका सहित पश्चिमी देशों से अच्छे संबंध हैं और यह राष्ट्रहित में हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में आप देख सकते हैं कि विश्व में काफी बदलाव हुआ है। आप देख सकते हैं कि रूस के साथ हमारे कितने मजबूत संबंध हैं। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि रूस और यूक्रेन युद्ध से हमारे संबंध में कोई असर नहीं पड़ा। उन्होंने कहा कि हमारे संबंध चीन को छोड़कर सभी बड़ी ताकतों से अच्छे हैं। जयशंकर ने बताया कि चीन के साथ हमारे संबंध इसलिए अच्छे नहीं हैं क्योंकि उसने कई समझौते तोड़े हैं। 

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