Terrorist hotspot से टूरिस्ट हॉटस्पॉट बना जम्मू कश्मीर, 2022 में 25 लाख पर्यटक घूमने पहुंचे
जम्मू-कश्मीर सरकार के सूत्रों ने अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि 24 नवंबर, 2022 तक घाटी में पर्यटकों की संख्या 25 लाख से अधिक हो गई थी। गृह मंत्रालय ने कहा कि इससे हजारों युवाओं को रोजगार मिला है।
गृह मंत्रालय ने गृह मंत्री अमित शाह के भाषणों और 2022 में दिए गए बयानों के हवाले से कहा कि अब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर सुरक्षा बलों का पूरा नियंत्रण है और ये अब "आतंकवादी हॉटस्पॉट" से "पर्यटक हॉटस्पॉट" में बदल गया है। गृह मंत्रालय की 'साल के अंत की समीक्षा 2022' दस्तावेज़ का दावा है कि 22 लाख पर्यटकों ने 5 अक्टूबर, 2022 तक कश्मीर का दौरा किया था। जम्मू-कश्मीर सरकार के सूत्रों ने अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि 24 नवंबर, 2022 तक घाटी में पर्यटकों की संख्या 25 लाख से अधिक हो गई थी। गृह मंत्रालय ने कहा कि इससे हजारों युवाओं को रोजगार मिला है। एमएचए रिपोर्ट कार्ड के अनुसार जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं की संख्या 2018 में 417 से 2021 में 45% गिरकर 229 हो गई और इसी अवधि में सुरक्षा बलों की संख्या 91 से 54% घटकर 42 हो गई।
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अब जम्मू-कश्मीर में पथराव की कोई घटना नहीं है क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार मजबूती के साथ विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। पिछले साल 4 अक्टूबर को जम्मू क्षेत्र में 1,960 करोड़ रुपये की परियोजनाएं। गृह मंत्रालय के दस्तावेज में कहा गया है, 'जम्मू-कश्मीर में 42,000 लोगों ने आतंकवाद के आगे घुटने टेके और दिल्ली में किसी ने पलक नहीं झपकाई, लेकिन अब पीएम मोदी के नेतृत्व में आतंकवाद पर सुरक्षा बलों का पूरा नियंत्रण है।
मंत्रालय ने दोहराया कि कश्मीर में 'जम्हूरियत' (लोकतंत्र) पहले केवल "तीन परिवारों, 87 विधायकों और छह सांसदों" के लिए था, लेकिन अब 30,000 लोगों को "ग्राम पंचायतों, सरपंचों, बीडीसी सदस्यों के लिए लोकतंत्र ले कर इससे जोड़ा गया है। इसमें कहा गया है कि पिछले शासन के तहत 70 वर्षों में जम्मू-कश्मीर में केवल 15,000 करोड़ रुपये का निवेश आया था, लेकिन मोदी सरकार द्वारा नीतिगत हस्तक्षेपों ने पिछले तीन वर्षों में लगभग 56,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया था।
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नो-ईस्ट फ्रंट पर गृह मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश के साथ भूमि सीमा विवाद, ब्रू-रियांग मुद्दा, बोडो मुद्दा आदि सहित कई विवादों को समझौतों के माध्यम से सुलझाया गया है। साथ ही इस क्षेत्र के हजारों उग्रवादियों ने अपने हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर अब देश के विकास में लगे हुए हैं। मंत्रालय ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों नागालैंड, असम और मणिपुर के कई क्षेत्रों को सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम के तहत दशकों बाद "अशांत क्षेत्रों" की सूची से बाहर कर दिया गया था।
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