केरल कांग्रेस अध्यक्ष की नेहरू पर विवादित टिप्पणी, कहा- सांप्रदायिक फासीवाद से भी समझौता कर लिया
पार्टी समारोह को संबोधित करते हुए सुधाकरन ने कहा कि नेहरू उच्चतम स्तर की लोकतांत्रिक चेतना के प्रतीक हैं, जिसने बीआर अंबेडकर को कानून मंत्री बनाया। वह आरएसएस नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अपने कैबिनेट में मंत्री बनाने के लिए काफी उदार थे।
केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य के सुधाकरन ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू सांप्रदायिक फासीवाद से भी समझौता करने को तैयार थे क्योंकि उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को स्वतंत्र भारत के पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री बनाया था। सुधाकरन ने नेहरू की जयंती के अवसर पर कन्नूर में एक जिला कांग्रेस समिति के समारोह में विवादास्पद टिप्पणी की है। कुछ दिनों बाद उन्होंने यह कहकर एक और विवाद खड़ा कर दिया कि उन्होंने अपने दिनों में सीपीआई (एम) से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखाओं के लिए सुरक्षा सुनिश्चित की थी।
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पार्टी समारोह को संबोधित करते हुए सुधाकरन ने कहा कि नेहरू उच्चतम स्तर की लोकतांत्रिक चेतना के प्रतीक हैं, जिसने बीआर अंबेडकर को कानून मंत्री बनाया। वह आरएसएस नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अपने कैबिनेट में मंत्री बनाने के लिए काफी उदार थे... सांप्रदायिक फासीवाद के साथ समझौता करने के लिए बड़े दिल वाले व्यक्ति थे। मुखर्जी ने 1947 से 1950 तक नेहरू सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्री के रूप में कार्य किया। बाद में उन्होंने कैबिनेट छोड़ दी और भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बन गई। उन्हें व्यापक रूप से भाजपा के संस्थापक के रूप में माना जाता है।
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नेहरू के काल में संसद में कोई विपक्ष नहीं था। विपक्षी दलों के पास पर्याप्त संख्या नहीं थी। लेकिन एके गोपालन (कम्युनिस्ट पार्टी के) को विपक्ष का नेता बनाकर नेहरू ने लोकतांत्रिक भावना का प्रदर्शन किया। सुधाकरन ने कहा कि उनका विचार था कि (सरकार) की आलोचना करने के लिए कोई होना चाहिए। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की ताजा टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब पार्टी के नेतृत्व वाला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) पिछले हफ्ते आरएसएस शाखाओं पर उनके बयान से पैदा हुई शर्मिंदगी से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था।
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