आंदोलन से राजनीति करने गए किसान नेताओं को पंजाब में MSP भी नहीं नसीब हुई, जानें क्यों साबित हुए फिसड्डी

पंजाब विधानसभा चुनाव में किसानों के संगठन का जादू नहीं चला पाया। इस मोर्चे के बैनर तले बलवीर राजेवाल, प्रेम सिंह भंगू, कंवलप्रीत पन्नू जैसे प्रमुख नेताओं ने पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ा था। लेकिन मोर्चा के एक प्रत्याशी को छोड़कर सभी की जमानत जब्त हो गई।
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने राष्ट्रव्यापी अभियान का अगला दौर शुरू करने का ऐलान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े संगठनों ने 11 से 17 अप्रैल के बीच एमएसपी की कानूनी गारंटी सप्ताह मना कर राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत की जाएगी। वैसे तो ये अभियान न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को लेकर है। लेकिन आपको याद होगा कि संयुक्त किसान मोर्चा से अलग होकर पंजाब में 22 किसान संगठनों ने एक राजनीतिक मोर्चे का गठन किया था, जिसे संयुक्त समाज मोर्चा का नाम दिया गया। लेकिन पंजाब के विधानसभा चुनाव में ये मोर्चा कोई करिश्मा करने में कामयाब नहीं हो पाया। यहां तक की उसके उम्मीदवारों को जनता का मिनिमम सपोर्ट पर्सेंटेज यानी एमएसपी भी प्राप्त नहीं हो सका और ज्यादातर को अपनी जमानत गंवानी पड़ी।
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पंजाब विधानसभा चुनाव में किसानों के संगठन का जादू नहीं चला पाया। किसान संगठन ने सूबे की सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान के साथ ही मोर्चे का चेहरा बलबीर सिंह राजेवाल को बनाया। इस मोर्चे के बैनर तले बलवीर राजेवाल, प्रेम सिंह भंगू, कंवलप्रीत पन्नू जैसे प्रमुख नेताओं ने पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ा था। लेकिन मोर्चा के एक प्रत्याशी को छोड़कर सभी की जमानत जब्त हो गई। मुख्यमंत्री का चेहरा माने जा रहे बलवीर सिंह राजेवाल तक अपनी जमानत नहीं बचा सके।
मुद्दों और चेहरों का आभाव
सांझा पंजाब मोर्चा के पास कोई बड़ा मुद्दा साथ नहीं था जिसको लेकर वो वोटरों के पास जाते और अपने पाले में मतदान करने के लिए प्रेरित करते। जिसकी वजह से मतदाताओं ने इस मोर्चे की ओर ध्यान ही नहीं दिया। इसके साथ ही किसानों के संगठन के पास नेतृत्व करने वाला कोई बड़ा नाम नहीं था। सभी अपनी डफली अपना राग अलापते रह गए। जिससे वोचरों का ध्यान इनकी तरफ ज्यादा नहीं गया।
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