क्या है दो संतान नीति? असम और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रस्ताव के बारे में जानें सबकुछ
असम और उत्तर प्रदेश दोनों राज्य इस दिशा में नए हैं। वहीं कई अन्य राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने आदि जैसी विशिष्ट चीजों के लिए यह नियम है। इस नीति का सबसे अच्छा उदाहरण राजस्थान है। जहां अगर किसी व्यक्ति के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो उसे स्थानीय चुनाव लड़ने नहीं दिया जाता है।
असम में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा ने राज्य में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए दो बच्चों की नीति लागू करने तैयारी कर ली है। हिमंत बिस्वा सरमा दो बच्चों की नीति के प्रबल समर्थक रहे हैं। असम के बाद उत्तर प्रदेश में भी इस नीति को लेकर लागू करने की तैयारी चल रही है।
दो बच्चों की नीति वाला कानून आखिर होता क्या है? दरअसल दो बच्चों की नीति वाला कानून दो से ज्यादा बच्चे होने पर लोगों को सरकारी सब्सिडी और अन्य सरकारी लाभों का लाभ उठाने से रोकता है. असम सरकार 12 जुलाई से शुरू हो रहे राज्य के बजट सत्र में इस नीति के लिए नया कानून ला सकती है।
कई अन्य सरकारी योजनाएं भी जनसंख्या कानून के दायरे में
आपको बता दें कि असम जनसंख्या और महिला अधिकारिता नीति साल 2017 में लेकर आया था जिसमें सरकारी कर्मचारियों को दो बच्चों के मानदंड का सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया था। इस नए कानून जनसंख्या नियम के तहत कर्ज माफी और अन्य सरकारी योजनाओं को भी लाया सकता है लेकिन सरमा ने कहा है कि चाय बागान के मजदूर और अनुसूचित जाति और जनजाति को शामिल नहीं किया जाएगा। असम के बाद अब उत्तर प्रदेश का विधि आयोग भी एक ऐसा ही प्रस्ताव लेकर आया है. जिसके तहत दो से ज्यादा बच्चों वाले किसी भी व्यक्ति को सरकारी सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा। बता दें कि यह प्रस्ताव असम सरकार के पास पहले से मौजूद है। इस प्रस्ताव के तहत दो से ज्यादा बच्चों वाला व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकता है या स्थानीय निकाय चुनाव नहीं लड़ सकता है।
राजस्थान में पहले से लागू है यह नियम
व्यक्तिगत कानून एक व्यक्ति बहुविवाह की अनुमति देता है। ए की तीन पत्नियां बी, सी और डी हैं। ऐसे में ए और बी, ए और सी, और ए और डी को तीन अलग-अलग विवाहित जोड़ों के रूप में गिना जाएगा। प्रस्ताव में कहा गया है इसे बच्चों की गणना के उद्देश्य से एक विवाहित जोड़े के रूप में गिना जाएगा,"।
असम और उत्तर प्रदेश दोनों राज्य इस दिशा में नए हैं। वहीं कई अन्य राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने आदि जैसी विशिष्ट चीजों के लिए यह नियम है। इस नीति का सबसे अच्छा उदाहरण राजस्थान है। जहां अगर किसी व्यक्ति के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो उसे स्थानीय चुनाव लड़ने नहीं दिया जाता है। गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र में भी स्थानीय चुनाव लड़ने के लिए दो से ज्यादा बच्चों वाले लोगों के लिए भी समान नीति है।
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