कोविंद ने लालकिले की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, कहा- सरकार देश की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध

Kovind

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 26 जनवरी को प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर धार्मिक ध्वज फहराए जाने की घटना को ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया।

नयी दिल्ली।  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 26 जनवरी को प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर धार्मिक ध्वज फहराए जाने की घटना को ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया। साथ ही उन्होंने गलवान घाटी में बलिदान देने वाले सैनिकों के प्रति ‘‘कृतज्ञता’’ व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार देश की संप्रभुता और राष्ट्रीय हित की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध एवं सतर्क है। बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने चीन का नाम लिये बिना कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर द्विपक्षीय सम्बन्धों और समझौतों को दरकिनार करते हुए शांति भंग करने की कोशिशें हुईं।

इसे भी पढ़ें: केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रपति अभिभाषण के बहिष्कार को बताया दुर्भाग्यपूर्ण, बोले- ये कौन-सी परंपरा है ?

उन्होंने कहा कि देश के सुरक्षाबलों ने न केवल पूरी सजगता, शक्ति और हौसले के साथ इन षड्यंत्रों का मुंहतोड़ जवाब दिया, बल्कि सीमा पर यथास्थिति बदलने के सभी प्रयासों को भी नाकाम किया। राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान कांग्रेस के लोकसभा सदस्य रवनीत सिंह बिट्टू केंद्रीय कक्ष पहुंचे और कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी की। उल्लेखनीय है कि किसानों के आंदोलन के मुद्दे को लेकर कांग्रेस समेत 20 से अधिक पार्टियों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया था। कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, सपा, राजद, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, पीडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस(एम) और एआईयूडीएफ ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला संयुक्त रूप से किया था।बाद में आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, जनता दल (एस) और बसपा ने भी दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया।

इसे भी पढ़ें: अरविंद केजरीवाल बोले- किसानों की मांगें वाजिब, उन्हें बदनाम करने की कोशिश पूरी तरह गलत

अभिभाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा उनके मंत्रिमंडल के विभिन्न सदस्य, जद(यू), अन्नाद्रमुक और बीजू जनता के सदस्य भी मौजूद थे। कृषि कानूनों का उल्लेख करते हुए कोविंद ने कहा, ‘‘व्यापक विमर्श के बाद संसद ने सात महीने पूर्व तीन महत्वपूर्ण कृषि सुधार, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, और आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक पारित किए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन कृषि सुधारों का सबसे बड़ा लाभ भी 10 करोड़ से अधिक छोटे किसानों को तुरंत मिलना शुरू हुआ। छोटे किसानों को होने वाले इन लाभों को समझते हुए ही अनेक राजनीतिक दलों ने समय-समय पर इन सुधारों को अपना भरपूर समर्थन दिया था।’’ राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘वर्तमान में इन कानूनों के क्रियान्वयन देश की सर्वोच्च अदालत ने स्थगित किया हुआ है। मेरी सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय का पूरा सम्मान करते हुए उसका पालन करेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दिनों तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जो संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, वही संविधान हमें सिखाता है कि कानून और नियम का भी उतनी ही गंभीरता से पालन करना चाहिए।’’ कोविंद ने कहा, ‘‘ मेरी सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि तीन नए कृषि कानून बनने से पहले, पुरानी व्यवस्थाओं के तहत जो अधिकार थे तथा जो सुविधाएं थीं, उनमें कहीं कोई कमी नहीं की गई है।

बल्कि इन कृषि सुधारों के जरिए सरकार ने किसानों को नई सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ नए अधिकार भी दिए हैं।’’ उन्होंने यह भी बताया, ‘‘कृषि को और लाभकारी बनाने के लिए मेरी सरकार आधुनिक कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी विशेष ध्यान दे रही है। इसके लिए एक लाख करोड़ रुपए के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की शुरुआत की गई है।’’ सीमा पर चीन के साथ गतिरोध का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ इस कोरोनाकाल में हम जब देश के भीतर आपदाओं से निपट रहे थे, तब हमारी सीमा पर भी देश के सामर्थ्य को चुनौती देने के प्रयास किए गए। एलएसी पर द्विपक्षीय सम्बन्धों और समझौतों को दरकिनार करते हुए शांति भंग करने की कोशिशें हुईं। लेकिन हमारे सुरक्षाबलों ने न केवल पूरी सजगता, शक्ति और हौसले के साथ इन षड्यंत्रों का मुंहतोड़ जवाब दिया, बल्कि सीमा पर यथास्थिति बदलने के सभी प्रयासों को भी नाकाम किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे जांबाजों ने जिस संयम, शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया, उसकी जितनी भी सराहना की जाए, कम है। जून 2020 में हमारे 20 जवानों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए गलवान घाटी में अपना सर्वोच्च बलिदान भी दिया। हर देशवासी इन शहीदों का कृतज्ञ है।’’

कोविंद ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘ सरकार देश के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है और सतर्क भी है। एलएसी पर भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए अतिरिक्त सैन्यबलों की तैनाती भी की गई है।’’ कोरोना वायरस महामारी से निपटने में केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि सरकार के समय पर लिए गए सटीक फैसलों से लाखों देशवासियों का जीवन बचा है। राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और छह संसद सदस्यों के निधन पर दुख जताया और श्रद्धांजिल अर्पित की। कोविंद ने कहा, ‘‘मुझे संतोष है कि सरकार के समय पर लिए गए सटीक फैसलों से लाखों देशवासियों का जीवन बचा है। आज देश में कोरोना के नए मरीजों की संख्या भी तेजी से घट रही है और जो संक्रमण से ठीक हो चुके हैं उनकी संख्या भी बहुत अधिक है।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘यदि अपने महत्व को बढ़ाना है तो दूसरों पर निर्भरता को कम करते हुए आत्मनिर्भर बनना होगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़