उत्तर प्रदेश सरकार की MSME नीति के अन्तर्गत लाखों उद्यम स्थापित, करोड़ों लोगों को मिला रोजगार

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प्रदेश में वर्ष 2020-21 की अधिकांश अवधि में प्रदेश में लॉकडाउन लागू होने के बावजूद भी यह वृद्धि दर्ज की गयी है। वार्षिक ऋण योजना के अन्तर्गतविगतवर्षों में एमएसएमई क्षेत्र में ऋण वितरण की स्थिति बड़ी सफल रही है।

किसी भी देश के विकास के लिए सूक्ष्म, लघु एवं माध्यम उद्यम रीढ़ का कार्य करती है। समाज से व्यक्तियों की कई प्रकार की भौतिक खाद्य वस्तुओं की आवश्यकता होती है। उनकी पूर्ति समाज में प्रचलित कुटीर उद्योगों एवं एम.एस.एम.ई. उद्यमों से ही होती है। छोटे उद्यमों के विकास से समाज के परम्परागत कौशल और कला को सजोये रखने में मदद मिलती है, वही उद्यम में लगे लोगों को रोजगार मिलता रहता है। इन उद्यमों से प्रदेश और देश की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है। साथ ही प्रदेश, देश की आर्थिक उन्नति में सहायक होते हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश के परम्परागत उद्यमों, कारीगरी आदि को बढ़ावा देते हुए नये उद्यमों के स्थापना हेतु सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के विकास पर विशेष बल दिया है। इसके विकास के लिए विभिन्न बैंकों द्वारा ऋण वितरित करते हुए उद्यम स्थापित कराकर लोगों को रोजगार दिया गया है।विगत वर्षों में बैंकों के माध्यम से प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम ईकाइयों को बढ़-चढ़कर ऋण वितरण किया गया। जहां वर्ष 2016-17 में केवल रू0 28,136 करोड़ का ऋण वितरण एमएसएमई इकाइयों को किया गया था, वहीं वर्ष 2020-21 में रू0 73,765 करोड़ का ऋण वितरण किया गया जो विगत 04 वर्षों में 2.5 गुना से अधिक की वृद्धि को दर्शाता हैं। प्रदेश में वर्ष 2020-21 की अधिकांश अवधि में प्रदेश में लॉकडाउन लागू होने के बावजूद भी यह वृद्धि दर्ज की गयी है। वार्षिक ऋण योजना के अन्तर्गतविगतवर्षों में एमएसएमई क्षेत्र में ऋण वितरण की स्थिति बड़ी सफल रही है। 

प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2017-18 में 46,594.00 करोड़ रूपये,वर्ष 2018-19 में 57,809.00 करोड़ रूपय,े वर्ष 2019-20 में 71,080.00 करोड़ रूपये,व वर्ष 2020-21 में 73,765.00 करोड़ रुपये ऋण वितरित किया गया। चालू वर्ष में भी लाखों लाभार्थियों को करोड़ों रूपये का ऋण वितरित किया जा रहा है। प्रदेश में वर्ष 2020-21 में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बैंको द्वारा प्रदेश में 34,80,596 नई एमएसएमई इकाईयों को ऋण वितरण किया गया, जिसके माध्यम से लगभग 63 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया गया। इस प्रकार वर्तमान प्रदेश सरकार के कार्यकाल में लगभग 80 लाख एमएसएमई इकाईयों को ऋण उपलब्ध कराते हुए 1.50 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गए हैं। प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में एम.एस.एम.ई. ईकाइयों की स्थापना कराकर करोड़ों लोगों को रोजगार के अवसर देना सरकार की बड़ी उपलब्धि है।

प्रदेश मेंकोविड-19 महामारी से उत्पन्न विकट स्थित में भी एमएसएमई क्षेत्र में विकास की गति को बनाए रखने हेतु विभाग द्वारा 05 वर्चुअल लोन मेलों के माध्यम से 6,78,626  लाभार्थियों को 33,338 करोड़ के ऋण वितरित किये जा चुके हैं। इन सभी लोन मेलों का शुभारम्भ प्रदेश के मुख्यमंत्री जी द्वारा लाभार्थियों से वार्ता करते हुए किया गया। कोविड-19 महामारी से उत्पन्न विकट स्थिति से एमएसएमई क्षेत्र की इकाईयों को उभारने हेतु भारत सरकार द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अन्तर्गत प्रदेश में 4,41,125 इकाईयों को रू0 12,222.41 करोड़ की आर्थिक सहायता प्रदान की गयी। आर्थिक सहायता पाकर एम.एस.एम.ई. उद्यमियों के पंख लग गये और उन्होंने उद्यम चलाने की राह पकड़कर अपनी आर्थिक उन्नति कर रहे हैं, साथ ही उनके उद्यमों में लाखों लोगों को रोजगार मिला है।

टीकाकरण के बाद भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन अवश्य करें

अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में कल एक दिन में कुल 1,46,242 सैम्पल की जांच की गयी है। जिसमें कोरोना संक्रमण के 10 नये मामले आये है। प्रदेश में अब तक कुल 8,85,09,460 सैम्पल की जांच की गयी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पिछले 24 घंटे में 07 तथा अब तक कुल 16,87,437 लोग कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं। प्रदेश में कोरोना के कुल 137 एक्टिव मामले हैं। उन्होंने बताया कि कोविड वैक्सीनेशन का कार्य निरन्तर किया जा रहा है। प्रदेश में कल एक दिन में 3,99,374 डोज दी गयी। प्रदेश में कल तक पहली डोज 11,45,59,208तथा दूसरी डोज 5,32,47,000 लगायी गयी हैं। कल तक कुल 16,78,06,208 कोविड डोज दी गयी है। प्रसाद ने बताया कि कोविड संक्रमण अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। इसलिए सभी लोग कोविड अनुरूप आचरण करे। टीकाकरण के बाद भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन अवश्य करें। किसी भी प्रकार की समस्या होने पर कोविड हेल्पलाइन 18001805145 पर सम्पर्क करे।

उत्तर प्रदेश राज्य में फार्मा उद्योग की स्थापना और विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण अवसंरचनात्मक ढांचे की सुविधा प्रदान होगी

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ’’उत्तर प्रदेश फार्मास्युटिकल उद्योग (द्वितीय संशोधन) नीति-2021 प्रख्यापित कर दी गई है। इसके संबंध में प्रमुख सचिव खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग, श्रीमती अनीता सिंह द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गई है। उत्तर प्रदेश फार्मास्युटिकल उद्योग नीति (द्वितीय संशोधन) 2021 के अन्तर्गत फार्मूलेशन, सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई), मुख्य प्रारंभिक सामग्री (केएसएम), ड्रग इंटरमीडिएट (डीआई) और चिकित्सा युक्तियों के विनिर्माण के लिए अत्याधुनिक फार्मास्युटिकल पार्क की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा। इस नीति का उद्देश्य अत्याधुनिक फार्मास्युटिकल अनुसंधान को प्रोत्साहित करना, विश्व स्तरीय अवसंरचनात्मक ढांचे का निर्माण करना एवं राज्य के विकास में योगदान करने के लिए विश्व की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करना है। साथ ही अनुसंधान एवं विकास संस्थाओं को सुविधा प्रदान करके और फार्मास्युटिकल क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के लिए अपेक्षाकृत अधिक धनराशि का योगदान करके फार्मास्युटिकल क्षेत्र में बौद्धिक संपदा (आईपी) के सृजन को तथा आयुष स्वास्थ्य देखभाल उत्पादों के विनिर्माण और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देकर आयुष स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देना है।

इस नीति में फार्मा पार्क पर फोकस करते हुए उपबंध किया गया है कि उत्तर प्रदेश राज्य सरकार में फार्मा उद्योग की स्थापना और विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण अवसंरचनात्मक ढांचे और अवलम्बपरक आधार की सुविधा प्रदान करेगी। यह नीति एलोपैथिक, आयुष उत्पादों, चिकित्सा युक्तियों और बल्क ड्रग विनिर्माण में प्रयुक्त प्रमुख प्रारंभिक सामग्री/ड्रग इंटरमीडिएट्स के विनिर्माण के लिए भूमि पार्सलों की पहचान करने और पार्क विकसित करने हेतु आशयित है। ये पार्क रेडी-टू-यूज अवसंरचनात्मक सुविधाओं यथा- कॉमन टेस्टिंग लेबोरेटरी, डायग्रोस्टिक सेंटर, पावर स्टेशन, कोल्ड स्टोरेज, कॉमन फैसिलिटी सेंटर, एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट और ’वॉक टू वर्क’ अवधारणा पर निर्मित अन्य आधारभूत सुविधाओं से सज्जित होंगे। राज्य विकासकर्ताओं को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और समय-समय पर बनायी गयी नियमावली या किसी अन्य सुसंगत विधि के अधीन यथा विनिर्दिष्ट मानकों के आधार पर एपीआई/फॉर्मूलेशन लैब की आवश्यकता को पूरा करने वाली गुणवत्तापरक परीक्षण सुविधाओं के निर्माण के लिए प्रोत्साहित करेगी। यह नीति राज्य में सक्षम प्राधिकारी द्वारा सम्यक् रूप से प्रमाणित/अनुमोदितप्रयोगशालाओं की स्थापना को बढ़ावा देती है।

यह नीति एपीआई/फॉर्मूलेशन प्रयोगशाला का गुणवत्तापरक भरोसा और फार्मास्युटिकल उद्योग का मेरूदण्ड है। ऐसी प्रयोगशाला से ऐसी चुनौतियों, यथा एक्सेसिव लाजिस्टिक्स एवं अवसंरचनात्मक विनिधान का समाधान होगा। सरकार, प्रमुख अनुसंधान संस्थानों और औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं के परामर्श से कॉमन परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने की सुविधा प्रदान करेगी। फार्मास्युटिकल क्षेत्र की शक्ति काफी हद तक समय के साथ क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास की प्रगति पर निर्भर करती है। उदीयमान वैश्विक रूझानों को पूरा करने के लिए फार्मा क्षेत्र के सतत विकास के लिए नवपरिवर्तन आवश्यक है। उत्तर प्रदेश इस क्षेत्र में विश्व के प्रतिष्ठित अनुसंधान केंद्रों और विद्यमान शिक्षा और अनुसंधानपरक आधार का केन्द्र भी है, जो अपार ज्ञान प्रदान करता है और जैव-तकनीक तथा फार्मा क्षेत्र में नवपरिवर्तनों की क्षमता रखता है।

संशोधित नीति के तहत नवपरिवर्तनों और स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन दिया जायेगा। राज्य, फार्मास्युटिकल क्षेत्र में नए उपक्रमों के माध्यम से नवपरिवर्तनों को प्रोत्साहित करेगा। फार्मास्युटिकल क्षेत्र में स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य, समय-समय पर यथा संशोधित उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति, 2020 के अधीन स्थापित उत्तर प्रदेश स्टार्ट-अप फंड का उपयोग मुख्य प्रारम्भिक सामग्री और ड्रग इंटरमीडिएट्स सहित बल्क ड्रग/एपीआई और चिकित्सा युक्तियों के विनिर्माण को बढ़ाने के लिए करेगी। सीएसआईआर अनुसंधान संस्थानों की सहायता से स्टार्ट-अप इकाइयों का चयन किया जाएगा। शिक्षण संस्थानों, मेडिकल कालेजों और विश्वविद्यालयों में इनक्यूबेटर स्थापित किए जाएंगे। उक्त नीति में फार्मा क्षेत्र में स्टार्टअप्स को उनके व्यवसाय मॉडल को बढ़ाने में सहायता करने का उपबंध निहित है। निजी फार्मास्युटिकल पार्क के लिए उत्तर प्रदेश सरकार, राज्य में विशेष रूप से मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र पर अवलम्बित क्षेत्रों में, फार्मास्युटिकल पार्क स्थापित करने की सुविधा प्रदान करेगी। इस नीति के अधीन फार्मा पार्क स्थापित करने के लिए केन्द्रित जिलों में गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, आगरा, कानपुर, लखनऊ, झांसी, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, ललितपुर, पीलीभीत और आजमगढ़ सम्मिलित होंगे। ये पार्क ’प्लंग-एंड-प्ले’ औद्योगिक अवसंरचनात्मक ढांचा प्रदान करेंगे, जिससे कंपनियां अपने मुख्य व्यवसाय पर ध्यान केन्द्रित कर सकेंगी। इसमें विनिर्माण क्षेत्र, परीक्षण क्षेत्र, कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउसिंग, सामान्य सुविधा केंद्र, छात्रावास क्षेत्र, अन्य सुविधाएं यथा स्टैंडअलोन पावर स्टेशन, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट आदि सम्मिलित होंगे।

नीति में इकाइयों को प्रोत्साहन किया जायेगा। फार्मास्युटिकल क्षेत्र में औद्योगिक निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार रियायतें, सब्सिडी और वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। इस प्रयोजन के लिए, इस नीति के अधीन पात्र नई फार्मास्युटिकल इकाइयों को प्रोत्साहन दिये जायेंगे प्रोत्साहन के तहत प्रति इकाई अधिकतम 1 करोड़ रुपये/प्रति वर्ष सब्सिडी के अध्याधीन, संयंत्र और मशीनरी की खरीद हेतु लिए गए ऋण पर प्रतिपूर्ति के रूप में 5 वर्षों के लिए प्रति वर्ष ब्याज राशि का 50 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी, प्रति यूनिट प्रति वर्ष दी जायेगी। उद्योग अनुसंधान सब्सिडी-औद्योगिक अनुसंधान, गुणवत्तापरक सुधार और उत्पादों के विकास हेतु परीक्षण प्रयोगशालाओं और गुणवत्ता प्रमाणन प्रयोगशालाओं की स्थापना हेतु संयंत्र, मशीनरी तथा उपकरणों की खरीद पर आवर्ती व्यय द्वारा लिये गये ऋण पर प्रतिपूर्ति के रूप में 2 करोड़ रुपये की अधिकतम सीमा के 5 वर्षों के लिए प्रति वर्ष ब्याज राशि का 50 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी। इस नीति के अधीन संयंत्र और मशीनरी के निवेश पर पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जायेगी। सब्सिडी की राशि निवेश मूल्य का 15 प्रतिशत होगी, जो अधिकतम 200 करोड़ रुपये की सब्सिडी के अधीन होगी। पात्र सब्सिडी 7 वर्ष की अवधि में किस्तों में प्रदान की जायेगी और प्रथम किस्त वास्तविक उत्पादन प्रारम्भ होने के पश्चात प्रदान की जायेगी। इसके अतिरिक्त नीति के तहत निजी फार्मास्युटिकल पार्कों में स्थापित इकाइयों को अन्य व्यक्गित इकाइयों के समान प्रोत्साहन की प्रसुविधाएं प्राप्त होंगी। बल्क ड्रग पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था की गई है जिसमें बल्क ड्रग पार्कों/चिकित्सा युक्ति पार्कों में स्थापित इकाइयों को 10 वर्ष की अवधि के लिए व्याज अनुदान प्रदान किया जायेगा। एयर कार्गों हैंडलिंग चार्ज और फ्रेट इंसेटिव के तहत कच्चे माल और तैयार माल को देश के अन्दर तथा बाहर परिवहन के लिए, राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर तय की गई दर पर एयर कार्गों हैंडलिंग चार्ज और फ्रेट चार्ज के लिए विशेष प्रोत्साहन प्रदान किया जायेगा। अनुसंधान एवं विकास संस्थान की सहायता के लिए बायोटेक, चिकित्सा युक्तियों और फार्मा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए स्थापित नए अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को भूमि एवं भवन लागत को छोड़कर, ऐसी सुविधा स्थापित करने हेतु लिए गए ऋण पर 60 प्रतिशत ब्याज की प्रतिपूर्ति के रूप में, प्रति परियोजना अधिकतम 2 करोड़ रूपये की सीमा तक पूंजीगत ब्याज सब्सिडी प्रदान की जायेगी।

नीति अवधि के दौरान एक वित्तीय वर्ष में उत्तर प्रदेश के भीतर स्थित यूजीसी/सरकार/एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित मान्यता प्राप्त अनुसंधान एवं विकास संस्थान को किसी औद्योगिक इकाई/उद्योग संघ द्वारा अनुबंधित/प्रायोजित बायोटेक और फार्मास्युटिकल अनुसंधान परियोजनाओं के अनुसंधान कार्य के लिए पात्र परियोजनाओं के अनुसंधान कार्य के लिए पात्र परियोजना लागत का 50 प्रतिशत भूमि एवं भवन लागत को छोड़कर, अधिकतम रुपये 2 करोड़ की सब्सिडी पर विचार किया जायेगा। पेटेण्ट फाइलिंग फीस, घरेलू पेटेण्ट के लिए अधिकतम ब्याज 1.5 लाख रुपये के प्रदत्त पेटेण्ट पर वास्तविक फाइलिंग लागत का 100 प्रतिशत तक तथा अन्तर्राष्ट्रीय पेटेण्ट के लिए अधिकतम ब्याज 5 लाख रुपये के प्रदत्त पेटेण्ट पर वास्तविक फाइलिंग लागत का 50 प्रतिशत तक प्रतिपूर्ति की जायेगी। आयुष और फाइटोमेडिसिन की विनिर्माणकर्ता इकाईयां पॉलिसी अवधि में प्रदत्त पेटेण्ट पर वास्तविक पेटेंट फाइलिंग लागत की पूर्ण प्रतिपूर्ति के लिए पात्र होंगी। निर्यात के लिए प्रमाणन/अनुमोदन-एपीआई/फार्मूलेशन के निर्यात के लिए यूएसएफडीए, डब्ल्यूएचओ प्री-क्वालिफिकेशन, ईडीक्यूएम, एमएचआरए या किसी अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रमाण पत्र/अनुमोदन/अनुमोदन के लिए उपगत आवेदन फीस का 50 प्रतिशत, प्रति इकाई 10 उत्पाद तक प्रति उत्पाद 25 लाख रुपये की प्रतिपूर्ति। यह प्रोत्साहन कम से कम 100 करोड़ रुपये के वाणिज्यिक निर्यात के सत्यापन के पश्चात दिया जायेगा।

नवपरिवर्तन और स्टार्ट अप के अंतर्गत सरकार, सरकारी फार्मेसी कॉलेजों संस्थानों/विश्वविद्यालयों और सरकारी अनुसंधान संस्थानों में इनक्यूबेटर स्थापित करेगी। राज्य सरकार निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में इनक्यूबेटर भी स्थापित करेगी। एफएसडीए नोडल अधिकारी प्रतिनियुक्त करेगा, जो फार्मास्युटिकल इकाइयों की स्थापना के लिए आवश्यक प्रदूषण अनापत्ति प्रमाण-पत्र, अग्नि अनापत्ति प्रमाण-पत्र और अन्य अनापत्ति प्रमाण-पत्र/प्रमाणपत्रों की मंजूरी में निवेशकों की सहायता करेगा। एफएसडीए टीम द्वारा परियोजना का पूर्व परामर्श निवेशक, परियोजना और भवन योजना का डोजियर प्रस्तुत करेगा, जिसका परीक्षण, परियोजना की संभाव्यता का आकलन करने के लिए एफएसडीए टीम द्वारा की जाएगी। डोजियर की सफलतापूर्वक संवीक्षा करने के पश्चात निवेशक को लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी किया जायेगा। केन्द्र सरकार की योजना के अधीन स्वीकृत कोई बल्क ड्रग पार्क/मेडिकल डिवाइस पार्क, औद्योगिक विकास विभाग द्वारा विकसित किया जायेगा।

जनपद चित्रकूट के विकास खण्ड मऊ की मुजरा बन्धी एवं माइनर की क्षमता पुनर्स्थापना हेतु 64.79 लाख रूपये की धनराशि स्वीकृत

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा जनपद चित्रकूट के विकास खण्ड मऊ की मुजरा बन्धी माइनर की क्षमता पुनर्स्थापना की परियोजना हेतु 64.79 लाख रुपये परियोजना के कार्यों पर वहन किये जाने हेतु प्रमुख अभियंता एवं विभागाध्यक्ष सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग उप्र के निवर्तन पर रखे जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस संबंध में विशेष सचिव सिंचाई मुश्ताक अहमद की ओर से 02 दिसम्बर, 2021 को शासनादेश जारी करते हुए कहा गया है कि परियोजना का निर्माण कार्य समय से पूरा कराने के साथ ही धनराशि व्यय करते समय शासन द्वारा समय-समय पर जारी सुसंगत शासनादेशों का अनुपालन अनिवार्य रूप से किया जाये। स्वीकृत धनराशि का उपयोग स्वीकृत परियोजनाओं पर ही किया जाये। ऐसा न किये जाने पर किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर समस्त उत्तरदायित्व विभाग का होगा। परियोजना में कराये जाने वाले कार्यों में गुणवत्ता एवं समय से कराया जाना मुख्य अभियंता द्वारा सुनिश्चित किया जायेगा। नियमानुसार आवश्यक वैधानिक अनापत्तियां एवं पर्यावरणीय क्लीयरेंस सक्षम स्तर से प्राप्त करके ही निर्माण कार्य प्रारम्भ कराया जाय। 

जनपद ललितपुर में कचनौधा बांध के अवशेष कार्यों की पुनरीक्षित परियोजना हेतु 01 अरब लाख रूपये की धनराशि स्वीकृत

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा जनपद ललितपुर में कचनौधा बांध के अवशेष कार्यों की पुनरीक्षित परियोजना हेतु प्राविधानित धनराशि 01 अरब रुपये परियोजना के कार्यों पर वहन किये जाने हेतु प्रमुख अभियंता एवं विभागाध्यक्ष सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग उ0प्र0 के निवर्तन पर रखे जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है।

इस संबंध में विशेष सचिव सिंचाई मुश्ताक अहमद की ओर से 02 दिसम्बर, 2021 को शासनादेश जारी करते हुए कहा गया है कि परियोजना का निर्माण कार्य समय से पूरा कराने के साथ ही धनराशि व्यय करते समय शासन द्वारा समय-समय पर जारी सुसंगत शासनादेशों का अनुपालन अनिवार्य रूप से किया जाये। स्वीकृत धनराशि का उपयोग स्वीकृत परियोजनाओं पर ही किया जाये। ऐसा न किये जाने पर किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर समस्त उत्तरदायित्व प्रमुख अभियंता एवं विभागाध्यक्ष का होगा। परियोजना में कराये जाने वाले कार्यों में गुणवत्ता एवं समय से कराया जाना सुनिश्चित किया जायेगा। नियमानुसार आवश्यक वैधानिक अनापत्तियां एवं पर्यावरणीय क्लीयरेंस सक्षम स्तर से प्राप्त करके ही निर्माण कार्य प्रारम्भ कराया जाय। 

जलशक्ति मंत्री प्रधानमंत्री जी के प्रस्तावित भ्रमण को लेकर सम्बंधित जनपदों के स्थानीय प्रशासन के साथ तैयारी बैठक करेंगे

उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डॉ महेन्द्र सिंह आज से बलरामपुर, गोण्डा, श्रावस्ती जनपदों के भ्रमण पर हैं। प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार डॉ0 महेन्द्र सिंह इस दो दिवसीय भ्रमण के दौरान मा प्रधानमंत्री के प्रस्तावित दौरे को लेकर सम्बंधित जिला प्रशासन के साथ तैयारी बैठक करेंगे। जलशक्ति मंत्री आज पूर्वान्ह 10.00 बजे लखनऊ से प्रस्थान कर अपरानह 01.00 बजे बलरामपुर निरीक्षण भवन के कलेक्ट्रेट सभागार में जन-प्रतिनिधियों, जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक एवं जनपद स्तरीय अधिकारियों के साथ मा0 प्रधानमंत्री जी के दौरे को लेकर तैयारी बैठक करेंगे। इसके पश्चात 05.40 बजे तुलसीपुर बलरामपुर पहुंचेंगे और सायं 06.00 बजे देवीपाटन मंदिर में दर्शन करेंगे और रात्रि विश्राम तुलसीपुर बलरामपुर में करेंगे। अगले दिन 07 दिसम्बर को पूर्वान्ह 09.00 बजे प्रस्थान कर मा0 प्रधानमंत्री जी के प्रस्तावित कार्यक्रम स्थल का स्थलीय निरीक्षण कर अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श करेंगे एवं दोपहर 12.00 बजे राप्ती बैराज श्रावस्ती पहुंचेंगे। यहां पर राप्ती बैराज का स्थलीय निरीक्षण करेंगे।

जलशक्ति मंत्री इस निरीक्षण के उपरान्त लगभग अपरान्ह 01.45 बजे श्रावस्ती पहुंचेंगे और कलेक्ट्रेट सभागार भिनगा श्रावस्ती में स्थानीय जन-प्रतिनिधियों, जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक एवं जनपद स्तरीय अधिकारियों के साथ मा0 प्रधानमंत्री जी के प्रस्तावित कार्यक्रम की तैयारी बैठक करेंगे। इसके पश्चात अपरान्ह 04.30 बजे सर्किट हाउस गोण्डा पहुंचेंगे। यहां पर अपरान्ह 04.45 बजे स्थानीय जन-प्रतिनिधियों, जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक एवं जनपद स्तरीय अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री जी के प्रस्तावित कार्यक्रम की तैयारी बैठक करेंगे। इसके उपरान्त रात्रि 05.45 बजे लखनऊ के लिए प्रस्थान करेंगे। 

कालीचरण पीजी कॉलेज, लखनऊ का एक ऐतिहासिक कालेज है-उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा

उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने आज यहां कालीचरण पी0जी0 कॉलेज, लखनऊ की 48वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सभी को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि यह कॉलेज लखनऊ का एक ऐतिहासिक कालेज है। जब देश में बंग-भंग के विरूद्व स्वदेशी आंदोलन चल रहा था उस समय प्राथमिक पाठशाला के रूप में कालीचरण विद्यालय की स्थापना हुई, जिसके प्रथम हेडमास्टर हिन्दी गद्य साहित्य के पितामह कहे जाने वाले बाबू श्यामसुन्दरदास जी नियुक्त हुए। हिन्दी साहित्य में लखनवी संस्कृति को अपने साहित्य द्वारा समृद्व करने वाले पंडित अमृतलाल नागर इसी संस्था के विद्यार्थी रहे थे। इतिहासकार प्रो0 बैजनाथ पुरी जो लखनऊ विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग में प्रोफेसर थे, वे भी कालीचरण विद्यालय के ही पूर्व छात्र रहे थे और स्वर्गीय लालजी टंडन जो पूर्व में राज्यपाल (बिहार,मध्यप्रदेश), पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार के पद पर सुशोभित रहें वे भी कालीचरण महाविद्यालय से आन्तरिक रूप से सम्बद्व रहे। आज कॉलेज के वर्तमान स्वरूप में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका परिलक्षित होती दिखाई दे रही है। 

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कालीचरण डिग्री कॉलेज का शुभारम्भ 06 दिसम्बर 1973 को किया गया था, धीरे-धीरे सतत् प्रगति करता हुआ ये महाविद्यालय आज अपने वर्तमान भव्य स्वरूप को प्राप्त कर चुका हैं और अतिभव्य स्वरूप की प्राप्ति के  लिए आगे बढ़ता जा रहा हैं। उन्होने कहा कि मुझे याद है इसके नये परिसर के उद्घाटन में अक्टूबर 2019 को माननीय मुख्यमंत्री जी के साथ मै भी आमंत्रित था और स्वर्गीय लालजी टंडन के अथक प्रयासो के फलस्वरूप 350 करोड़ की लागत से भवन का निर्माण कराया गया। मुझे ये जानकर हर्ष हो रहा है कि इस नये परिसर का नाम लालजी टंडन परिसर रखा गया है। और आने वाले सत्र में शीघ्र ही यहाँ विज्ञान संकाय की कक्षाएँ प्रारम्भ होने वाली हैं। मुझे यह कहते हुए अच्छा लग रहा हैं कि विश्वविद्यालय में लगभग 02 वर्षा से कम समय में ही बीएलएससी, बीजेएमसी, बी काम आनर्स, एमए एजुकेशन जैसे नये पाठ्यक्रम शुरू हो चुके है, जिनकी कक्षाएँ नियमित रूप से चल रही हैं। वर्तमान प्रबंधन के कुशल निर्देशन में महाविद्यालय अपनी उन्नति का चरमशिखर प्राप्त करने को सतत् प्रयत्नशील है।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि आज कालीचरण महाविद्यालय,लखनऊ नगर के प्रतिष्ठित महाविद्यालयों में जाना जाता है। लगभग 3000 विद्यार्थियों की संख्या वाला यह महाविद्यालय लखनऊ का महत्वपूर्ण  उच्च शिक्षा का केन्द्र है जहाँ माल, मलिहाबाद, काकोरी आदि कस्बों के विद्यार्थियों के अलावा हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी और उन्नाव जैसे जनपदो के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से छात्र-छात्राएं आकर उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे है। उनके उज्ज्वल भविष्य में महाविद्यालय की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण है। महाविद्यालय के विख्यात पूर्व छात्रों का इतिहास देखते हुए मैं इन नवागंतुक विद्यार्थियों के लिए आश्वस्त हूँ और महाविद्यालय परिवार को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करता हू। 

डॉ शर्मा ने कहा कि यहां आकर बड़ी प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। आज के इस कार्यक्रम के लिये मैं महाविद्यालय की प्रबन्ध समिति के समस्त सदस्यों, श्री आशुतोष टंडन मा0 नगर विकास मंत्री, न्यायमूर्ति एन0के0 मेहरोत्रा पूर्व लोकायुक्त, श्री नवनीत सहगल वरिष्ठ आईएएस, प्रो एमपी सिंह पूर्व प्रतिकुलपति लविवि एवं श्री निर्मल सेठ सीनियर एडवोकेट, मा0 उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, अभिषेक प्रकाश जिलाधिकारी लखनऊ, प्रबन्धक इं वीके मिश्र एवं प्राचार्य डा चन्द्र मोहन उपाध्याय और इस कार्यक्रम से जुड़े प्रत्येक सदस्य को बधाई देता हूॅ। इस अवसर पर नगर विकास मंत्री श्री आशुतोष टंडन, बेसिक शिक्षा मंत्री श्री सतीश चन्द्र द्विवेदी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

अब तक कुल 2.41 लाख किसानों से 17.03 लाख मी0टन धान क्रय किया गया

प्रदेश में खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 के अन्तर्गत धान की खरीद प्रगतिमान है। गतवर्ष धान क्रय हेतु 4453 क्रय केन्द्र संचालित थे, इस वर्ष गतवर्ष से भी अधिक 4533 क्रय केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं, जिन पर अब तक कुल 2.41 लाख किसानों से 17.03 लाख मी0टन धान क्रय किया गया है।  प्रदेश के जनपदों में क्रय केन्द्रों पर तेजी से धान की खरीद की जा रही है तथा दैनिक खरीद लगभग 01 लाख मी0टन हो रही है। यह जानकारी प्रदेश के खाद्य आयुक्त श्री सौरभ बाबू ने आज यहां देते हुए बताया कि पारदर्शी खरीद व्यवस्था तथा वास्तविक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना का लाभ सुनिश्चित कराने हेतु प्रदेश में इस वर्ष पहली बार सभी क्रय केन्द्रों पर ई-पॉप डिवाइस (इलेक्ट्रानिक प्वाइंट ऑफ परचेज) के माध्यम से किसानों का आधार प्रमाणीकरण/सत्यापन के उपरान्त धान की खरीद की जा रही है।

खाद्य आयुक्त ने बताया कि पारदर्शी व त्वरित भुगतान की व्यवस्था के अन्तर्गत इस वर्ष पहली बार किसानों को धान के मूल्य का भुगतान उनके आधारलिंक्ड बैंक खाते में पीएफएमएस के माध्यम से कराया जा रहा है। देय धान के मूल्य रू0 2825.13 करोड़ के सापेक्ष रू0 2057.30 करोड का भुगतान किया गया है, जो लगभग 73 प्रतिशत है। जबकि गतवर्ष इस अवधि तक किसानों को देय रू0 4997.10 करोड़ के सापेक्ष रू0 3439 करोड़ (68 प्रतिशत) का भुगतान किया गया था।

सौरभ बाबू ने बताया कि इस वर्ष धान बिक्री हेतु अब तक 9.57 लाख किसानों द्वारा अपना ऑनलाइन पंजीकरण कराया गया है, जिसमें से 6.91 लाख किसानों का ऑनलाइन सत्यापन पूर्ण करा लिया गया है, जो कि लगभग 73 प्रतिशत है। गतवर्ष इसी अवधि तक 10.66 लााख पंजीयन के सापेक्ष 6.35 लाख (लगभग 60 प्रतिशत) किसानों का सत्यापन हुआ था। उन्होंने बताया कि किसानों की सुविधा के लिए 100 कुं0 तक धान की बिक्री की मात्रा को राजस्व विभाग के सत्यापन से छूट प्रदान की गयी है। खाद्य आयुक्त ने बताया कि किसान बिना टोकेन के भी किसी भी केन्द्र पर अपना धान विक्रय कर सकते हैं। इसके अलावा किसान भाई कृषि विभाग द्वारा जनपद में धान की निर्धारित प्रति हेक्टेयर औसत उपज का 150 प्रतिशत तक मात्रा का धान विक्रय कर सकते हैं। 

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा नेशनल स्कालरशिप पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन संचालित छात्रवृत्ति योजनाओं में आवेदन की अंतिम तिथि 15 दिसम्बर 2021 तक

प्रदेश के अल्पसंख्यक समुदायों (जैन, बौद्ध, सिक्ख, पारसी, मुस्लिम, ईसाई) से सम्बंधित छात्र/छात्राओं के लिए वर्ष 2021-22 हेतु नेशनल स्कालरशिप के लिए ऑनलाइन आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 15 दिसम्बर 2021 तक बढ़ा दी गयी है। पात्र छात्र नेशनल स्कालरशिप पोर्टल पर छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार मैट्रिक-पूर्व, मैट्रिकोत्तर और मेरिट-सह-साधन आधारित छात्रवृत्ति के अन्तर्गत छात्रवृत्तियों का लाभ लेने के लिए पात्र छात्र आवेदन कर सकते हैं।  

पोस्ट मैट्रिक नवीन ऑनलाइन आवेदनों में 50 प्रतिशत अंक प्राप्त किये जाने की अनिवार्यता वर्ष 2021-22 के लिए समाप्त कर दी गयी है। 

प्रयागराज नगर की सीवरेज योजना हेतु 19.94 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत

उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में प्रयागराज नगर की सीवरेज योजना हेतु स्वीकृत परियोजना डिस्ट्रिक्ट-सी के कार्यों को पूर्ण करने हेतु 1994.46 लाख रूपये (रूपये उन्नीस करोड़ चौरानबे लाख छियालीस हजार मात्र) की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है।

इस सम्बंध में नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग द्वारा शासनादेश जारी करते हुए अपर परियोजना निदेशक, राज्य स्वच्छ गंगा मिशन लखनऊ को आवश्यक निर्देश दिये गये हैं। निर्गत शासनादेश के अनुसार धनराशि का आहरण एवं व्यय योजना विषयक गाइडलाइन/दिशा-निर्देश तथा इस सम्बंध में समय-समय पर निर्गत दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए किया जायेगा। स्वीकृत की गयी धनराशि के विरूद्ध निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त होने व उनके परीक्षण/सत्यापन सुनिश्चित किये जाने का दायित्व विभाग का होगा।

सिद्धार्थ नाथ सिंह कल राष्ट्रीय एमएसएमई अभियान दल को झण्डी दिखाकर बुलंदशहर और संभल के लिए रवाना करेंगे

आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय एमएसएमई अभियान के सदस्यों ने आज यहां लोक भवन में अपर मुख्य सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम श्री नवनीत सहगल के साथ बैठक की और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित एम एस एम ई योजनाओं की जानकारी प्राप्त की तथा केंद्र सरकार के एम एस एम ई मंत्रालय द्वारा आयोजित इस विशेष अभियान के उद्देश्यों की जानकारी दी।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव ने उन्हें और उनकी टीम को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि देश में व्यापक रूप से एम एस एम ई योजनाओं के लिए जागरुकता अभियान चलाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश मंे व्यापक स्तर पर अभियान चलाकर बड़ी संख्या में नई इकाइयों की स्थापना कराई गई है। साथ ही पूर्व से स्थापित इकाइयों को सहयोग देकर उनके व्यवसाय का विस्तार भी कराया गया है। वर्ष 2020-21 में 73,765 करोड़ का ऋण वितरण किया गया, जो विगत 04 वर्षों में 2.5 गुना से अधिक है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 34,80,596 नई एमएसएमई इकाइयों को ऋण वितरण किया गया, जिसके माध्यम से लगभग 63 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त हुए।  इस प्रकार विगत 04 वर्षों में लगभग 80 लाख एमएसएमई इकाइयों को ऋण उपलब्ध कराते हुए 1.50 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा गया।

अभियान दल के प्रमुख श्री हरेन्द्र प्रताप सिंह, उप निदेशक(प्रचार) एवं मुख्य संपादक, लघु उद्योग समाचार ने अपर मुख्य सचिव को बताया कि एम एस एम ई की योजनाओं की जानकारी ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में पहुंचाने के लिए सड़क मार्ग से यात्रा करते हुए यह अनोखी पहल की गई है। यह अभियान 27 नवंबर को दिल्ली से आरंभ किया गया है, जिसे केंद्रीय एम एस एम ई मंत्री श्री नारायण राणे ने शुभकामनाओं के साथ विदा किया है। पांच राज्यों की यात्रा करने के बाद यह अभियान दिल्ली में 8 दिसंबर को संपन्न हो रहा है।

      

अभियान दल के अन्य सदस्य हैं डा हरीश यादव, सहायक निदेशक, श्री प्रवीण धुर्वे, सीनियर फैकल्टी, इडमी और सुश्री मंजरी मिश्रा, मीडिया नवोन्मेषी। अपर मुख्य सचिव के साथ हुई बैठक में एफ एफ डी सी, कन्नौज के प्रधान निदेशक श्री शक्तिविनय शुक्ल ने भी भाग लिया। इससे पहले राष्ट्रीय एम एस एम ई अभियान दल ने एन बी आर आई और जिला उद्योग केन्द्र के साथ बैठक कर एम एस एम ई जागरूकता अभियान की जानकारी दी। एन बी आर आई की बैठक में देश भर के सी एस आई आर के अनेक निदेशक एवं उद्यमियों ने भाग लिया। जिला उद्योग केंद्र द्वारा आयोजित बैठक में उद्यम एसोसिएशन के पदाधिकारियों और एम एस एम ई- डी आई , कानपुर के सहायक निदेशक श्री संदीप कुमार गुप्ता और लखनऊ के उद्योग उपायुक्त श्री मनोज कुमार चोरसिया ने भी संबोधित किया। प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री सिद्धार्थ नाथ सिंह कल पूर्वाह्न 11ः00 बजे अपने आवास से इस अभियान दल को झण्डी दिखाकर बुलंदशहर और संभल के लिए रवाना करेंगे। 

राज्य योजना (सामान्य) के अन्तर्गत विभिन्न जनपदों के 17  सेतुओं के चालू निर्माण कार्य हेतु रू0 43 करोड़ 04 लाख 83 हजार की धनराशि की गयी आवंटित

उ0प्र0 के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देशों के क्रम में राज्य योजना (सामान्य) के अन्तर्गत विभिन्न जनपदों के 17 सेतुओं के चालू निर्माण कार्य हेतु रू0 43 करोड़ 04 लाख 83 हजार की धनराशि उ0प्र0 शासन द्वारा आवंटित की गयी है। इस सम्बन्ध में आवश्यक शासनादेश उ0प्र0 शासन लोक निर्माण विभाग द्वारा जारी कर दिया गया है।

जारी शासनादेश में सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि कार्य की विशिष्टियां, मानक एवं गुणवत्तानुरूप तथा आवंटित धनराशि का व्यय वित्तीय हस्तपुस्तिकाओं के सुसंगत प्राविधानों एवं समय-समय पर शासन द्वारा निर्गत शासनादेशों के दृष्टिगत किया जाय। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने निर्देश दिये हैं कि इन कार्यों में वित्तीय नियमों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित किया जाय एवं परियोजना को ससमय पूर्ण किया जाय तथा जारी शासनादेशों में उल्लिखित दिशा-निर्देशों का अनुपालन हर हाल में सुनिश्चित किया जाय।

उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने डा भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि पर अर्पित की विनम्र श्रद्धांजलि

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने महान विधि वेत्ता एवं सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाने वाले, संविधान शिल्पी भारत रत्न बाबा साहब डा० भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर उन्हें विनम्र व आत्मिक श्रद्धांजलि अर्पित की है। 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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