40 साल में पहली बार इस सीट पर खिला 'कमल', महाराष्ट्र निकाय चुनाव में बीजेपी की जीत की ये कहानी पता है?

चुनावी नतीजों में नागपुर जिले की कामटी नगर पालिका परिषद की जीत सबसे ज्यादा चर्चा में रही। यहां बीजेपी ने 40 साल के लंबे इंतजार को खत्म करते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। बीजेपी प्रत्याशी अजय अग्रवाल ने कांग्रेस उम्मीदवार शाकुर नगानी को हराकर ना सिर्फ अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया बल्कि कांग्रेस के मजबूत गढ़ को भी ध्वस्त कर दिया।
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ महायुती गठबंधन ने बड़ी जीत हासिल की है। बीजेपी, शिवसेना, सिंधे गुट और एनसीपी [संगीत] अजीत पवार गुट के गठबंधन ने 288 नगर परिषद और नगर पंचायतों में से 207 जगहों पर अध्यक्ष पद जीतकर अपना दबदबा बरकरार रखा। इस जीत में सबसे बड़ी हिस्सेदारी बीजेपी की रही। जिसने अकेले 117 अध्यक्ष पद अपने नाम किए और गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इस चुनावी नतीजों में नागपुर जिले की कामटी नगर पालिका परिषद की जीत सबसे ज्यादा चर्चा में रही। यहां बीजेपी ने 40 साल के लंबे इंतजार को खत्म करते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। बीजेपी प्रत्याशी अजय अग्रवाल ने कांग्रेस उम्मीदवार शाकुर नगानी को हराकर ना सिर्फ अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया बल्कि कांग्रेस के मजबूत गढ़ को भी ध्वस्त कर दिया।
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कामटी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के लिए हुआ यह चुनाव आखिर तक सस्पेंस से भरा रहा। मतगणना के शुरुआती दौर में कांग्रेस उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए थे। लेकिन आखिरी राउंड में पासा पलटा और बीजेपी ने बाजी मार ली। बीजेपी प्रत्याशी अजय अग्रवाल ने कांग्रेस के शाकुर नगानी को महज 103 वोटों के मामूली अंतर से हरा दिया। वहीं हार के बाद कांग्रेस के शाकुर नगानी ने चुनाव नतीजों में गड़बड़ी का आरोप लगाया।
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नागपुर जिले में कामठी विधानसभा अध्यक्ष पद सबसे ज्यादा चर्चा में रहा, क्योंकि उम्मीदवारों के बीच तीखी जुबानी जंग छिड़ गई, जो चुनाव प्रचार के अंत में धांधली के आरोपों में तब्दील हो गई। इसकी शुरुआत तब हुई जब पूर्व एमएलसी सुलेखा कुंभारे ने अपनी बहुजन रिपब्लिकन एकता मंच (बीआरईएम) पार्टी से अजय कदम को मैदान में उतारा और सहयोगी भाजपा से समर्थन की उम्मीद जताई। कुंभारे के भाजपा के साथ, खासकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध हैं, जो अक्सर उन्हें अपनी बहन कहकर पुकारते हैं। लेकिन भगवा लहर के लिए उत्सुक भाजपा ने अग्रवाल को आगे बढ़ाया और गठबंधन से इनकार कर दिया। वहीं, टिकट आवंटन को लेकर विवाद के बावजूद कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार मैदान में उतारा।
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