शादी के बाद पति के GAY होने का चला पता, पत्नी ने ऐसे सिखाया सबक
महाराष्ट्र की अदालत ने पत्नी से अपने समलैंगिक होने की बात छुपाने के आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं दी।अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर एस गुप्ता ने मंगलवार को जमानत याचिका खारिज कर दी और आदेश की प्रति शुक्रवार को उपलब्ध कराई गई। आरोपी और शिकायतकर्ता (30) एक सोशल मीडिया मंच के जरिए एक दूसरे से मिले थे।
ठाणे। महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने नवी मुंबई के 32 वर्षीय उस व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिसने समलैंगिक होने की बात अपनी पत्नी से छुपाकर उसे कथित रूप से धोखा दिया। व्यक्ति पर यह भी आरोप है कि उसने अपने एक समलैंगिक साथी पर अपने और अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर जाने के लिए दबाव बनाया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर एस गुप्ता ने मंगलवार को जमानत याचिका खारिज कर दी और आदेश की प्रति शुक्रवार को उपलब्ध कराई गई। आरोपी और शिकायतकर्ता (30) एक सोशल मीडिया मंच के जरिए एक दूसरे से मिले थे और दोनों का नंवबर 2021 में विवाह हुआ था।
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महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि विवाह के बाद उसे पता चला कि उसका पति समलैंगिक है और उसे उसके निजी व्हाट्सऐप संदेशों एवं मोबाइल में मौजूद कुछ वीडियो से पता चला कि उसके मुंबई के दो पुरुषों के साथ यौन संबंध हैं। महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि जब उसने अपनी पति से इस बारे में सवाल किए, तो उसने उसे चाकू से डराया। शिकायतकर्ता के वकील सागर कदम ने अदालत से कहा कि उनके विवाह से पहले उसे प्रभावित करने के लिए आरोपी ने उसे नौकरी का एक फर्जी पत्र दिखाया, जिसमें लिखा था कि उसका वेतन 14 लाख रुपये प्रति वर्ष है। कदम और अभियोजक वी ए कुलकर्णी ने अभिवेदन दिया कि आरोपी ने विवाह से पहले इस तथ्य को छुपाया कि वह समलैंगिक है और इस तरह उसने शिकायतकर्ता को धोखा दिया और उसका जीवन बर्बाद कर दिया।
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जांच अधिकारी ने कहा कि आरोपी और उसके अन्य पुरुष साथियों के बीच फोन पर हुई बातचीत (चैट) स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि वह समान लिंग के लोगों के साथ यौन संबंध में रुचि रखता है। बचाव पक्ष के वकील ने अभियोजन पक्ष का विरोध करते हुए कहा कि इन आरोपों का उद्देश्य उसे बदनाम एवं परेशान करना है तथा उसने राहत की मांग की। न्यायाधीश ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया यह लगता है कि आरोपी का धोखा देने का इरादा था, उसने शिकायतकर्ता के माता-पिता को वित्तीय नुकसान पहुंचाकर और शिकायतकर्ता के जीवन को अपूरणीय क्षति पहुंचाकर गलत कार्य किया और धोखाधड़ी की।
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