महायुति सरकार कृषि ऋण माफी के वादे से पीछे नहीं हटी: अजित पवार

राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सरकार ने कहा कि ऋण माफी दी जानी चाहिए या नहीं और इसे कैसे लागू किया जाना चाहिए, इस पर अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा है कि महायुति सरकार किसानों की कर्ज माफी के अपने वादे से पीछे नहीं हटी है और आश्वस्त किया कि उचित समय पर इस संबंध में कदम उठाए जाएंगे।
विपक्षी दल कांग्रेस सत्तारूढ़ गठबंधन पर कृषि ऋण माफी में देरी करने और राज्य के किसानों की दुर्दशा के प्रति चिंता नहीं जताने का आरोप लगाते हुए निशाना साध रही है।
पवार ने रविवार को पत्रकारों से कहा, ‘‘हम कृषि ऋण माफी के अपने वादे से पीछे नहीं हटे हैं। हम महायुति घोषणापत्र में दिए गए आश्वासनों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। एक समिति का गठन किया गया है, क्योंकि ऐसे फैसलों में वित्तीय पहलुओं पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता होती है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ दृढ़ता से खड़ी है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने कभी नहीं कहा कि हम ऋण माफी नहीं करेंगे। सही समय पर, समिति विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करेगी।’’
पवार ने किसानों के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि केंद्र और राज्य मिलकर प्रति किसान सालाना 12,500 रुपये प्रदान करते हैं और बिजली निगमों को उनके बिजली बिलों के भुगतान के लिए 20,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, हम ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ के तहत महिलाओं को 1,500 रुपये प्रदान करते हैं। हम किसानों को ब्याज मुक्त ऋण भी देते हैं ताकि उन्हें निजी साहूकारों के पास नहीं जाना पड़े।’’
इस महीने की शुरुआत में राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा था कि पूरी तरह से ऋण माफी के बजाय, सरकार उन गरीब किसानों को राहत देने की दिशा में काम कर रही है जिनके खेतों में कोई उपज नहीं होती और जिन्होंने ऋण लिया है तथा जिनके आत्महत्या करने का अंदेशा है।
राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सरकार ने कहा कि ऋण माफी दी जानी चाहिए या नहीं और इसे कैसे लागू किया जाना चाहिए, इस पर अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है।
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