चक्रवात राहत के लिए ममता ने मांगे 20 हजार करोड़, दिलीप घोष ने बताया अव्यावहारिक

Dilip Ghosh
अंकित सिंह । May 29 2021 7:50PM

मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री को अलग से दिये प्रस्तावों में दीघा शहर के पुनर्निर्माण तथा सुंदरबन क्षेत्र के प्रभावित हिस्सों के पुनर्विकास के लिए 10-10 हजार करोड़ रुपये मांगे हैं।

चक्रवात तूफान के बाद से पश्चिम बंगाल में सियासी घमासान भी मचा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में नहीं शामिल होने को लेकर ममता बनर्जी फिलहाल भाजपा के निशाने पर हैं। इन सबके बीच कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान ममता बनर्जी ने चक्रवात राहत के तौर पर केंद्र से 20 हजार करोड़ की मांग कर दी। अपने इस मांग के बाद वह वहां से चली गई। इसी को लेकर पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने ममता बनर्जी पर पलटवार किया है। ममता बनर्जी की मांगे को दिलीप घोष ने अव्यावहारिक बताया है। दिलीप घोष ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उन्होंने समीक्षा बैठक में भाग नहीं लिया ताकि दावों का विस्तृत हिसाब देना ना पड़े। 

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घोष ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार की समीक्षा बैठक बुलाई थी और उसे आमंत्रित लोगों की सूची पर फैसला करने का अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘‘ओडिशा ने चक्रवात की मार सही है जबकि बंगाल काफी हद तक बच गया, लेकिन वह 20,000 करोड़ रुपये मांग रही हैं। उन्होंने कलईकुंडा में प्रधानमंत्री के साथ समीक्षा बैठक में भाग नहीं लिया क्योंकि वह इस अव्यावहारिक मांग पर विस्तार से जानकारी नहीं देना चाहती थीं।’’ मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री को अलग से दिये प्रस्तावों में दीघा शहर के पुनर्निर्माण तथा सुंदरबन क्षेत्र के प्रभावित हिस्सों के पुनर्विकास के लिए 10-10 हजार करोड़ रुपये मांगे हैं। 

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हालांकि बनर्जी ने चक्रवात से हुई तबाही की समीक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री के साथ आयोजित बैठक में भाग नहीं लिया और सवाल किया कि इसमें विपक्षी भाजपा के नेता क्यों उपस्थित थे। घोष ने कहा कि विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की बैठक में उपस्थिति की वजह से भी बनर्जी ने बैठक में भाग नहीं लिया। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘अधिकारी विधानसभा सत्र में भी भाग लेंगे। क्या बनर्जी सदन में जाना बंद कर देंगी। आपदा पर राजनीति करने के बजाय उन्हें जनता के कल्याण के लिए सभी के साथ मिलकर काम करना चाहिए।

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