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ममता बनर्जी ने पुलवामा हमले के समय को लेकर सवाल किए
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 18, 2019 19:30
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तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने यह भी सवाल किया कि सरकार के पास एक संभावित हमले की खुफिया जानकारी थी पर इसके बावजूद सीआरपीएफ जवानों के बड़े काफिले को जाने की अनुमति क्यों दे दी गई।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को पुलवामा आतंकी हमले के समय पर सवाल खड़े करते हुये जानना चाहा कि क्या सरकार ऐसे में युद्ध करना चाहती है जबकि लोकसभा चुनाव की आहट सुनाई दे रही है। उन्होंने आरोप लगाते हुये कहा कि आतंकी हमले की आड़ में भाजपा और आरएसएस सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दे रहे हैं। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। बनर्जी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘जब चुनाव दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं तो ऐसे में आप युद्ध के हालात पैदा करना चाह रहे हैं.. एक छाया युद्ध। अमित शाह और नरेंद्र मोदी राजनीतिक बयान दे रहे हैं। इतनी बड़ी दुखद घटना के बाद भी आप जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा नहीं दे रहे और ऐसा करने के बजाए राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं।
Mamata Banerjee on #PulwamaAttack:The Govt had inputs from intelligence agencies on Feb 8 that such attacks might happen before elections. Why no action was taken? Why 78 convoys were still allowed?...I also have intelligence reports that my phone is always taped, as you all know pic.twitter.com/KulUn9oUNe
— ANI (@ANI) February 18, 2019
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने यह भी सवाल किया कि सरकार के पास एक संभावित हमले की खुफिया जानकारी थी पर इसके बावजूद सीआरपीएफ जवानों के बड़े काफिले को जाने की अनुमति क्यों दे दी गई। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार मामले को जानती थी। खुफिया जानकारी भी थी। तब इतने अधिक लोग क्यों मरे? कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया? बनर्जी ने कहा कि इस घटना के बाद वह मोदी सरकार के खिलाफ बोलने से परहेज कर रही थीं लेकिन अब उन्हें ऐसा करने पर मजबूर होना पड़ा है क्योंकि ‘‘कुछ लोग यह सिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि देशभक्ति क्या होती है।’’
यह भी पढ़ें: पुलवामा हमले के सूत्रधार जैश के दो कमांडरों समेत 3 आतंकी ढेर, 6 जवान भी शहीद
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ मुझे संदेह है। उनमें (पाकिस्तान) इतना साहस कहां से आया , जबकि चुनाव निकट ही हों?..मुझे नहीं पता..संसद समाप्त होने के बाद ही क्यों.. मुझे शंका है..बीते पांच सालों में पाकिस्तान के खिलाफ कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा, ‘‘ यह आरएसएस, विहिप और भाजपा का प्लांटेड खेल है। हम हालात का राजनीतिक लाभ हासिल करने की प्रयासों को रोकने की कोशिश करेंगे।’’ भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख दिलीप घोष ने बनर्जी के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुये कहा कि ऐसे समय में जब पूरा देश पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांग कर रहा है, तृणमूल कांग्रेस इस पड़ोसी देश के खिलाफ सख्त कदम उठाने का विरोध कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का केंद्र बन गया है और राज्य सरकार उन्हें रोकने में विफल रही है।
किसान आंदोलन पर बोले कैलाश चौधरी, यूनियन से कम्युनिस्ट निकल जाएं तो समाधान हो जाएगा
- अंकित सिंह
- जनवरी 18, 2021 13:13
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कैलाश चौधरी ने यह भी कहा कि शुरू में जब पहली बैठक हुई थी, तब उनके जो मुद्दे थे उन पर सरकार ने अमल करके उसमें संशोधन कर लिया है। उसके लिए लिखित में आश्वासन देने की बात भी हो चुकी है। कल इस मानसिकता के साथ बैठें कि कोई न कोई समाधान निकालना है।
सरकार और किसानों के बीच में कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध जारी है। अब तक लगभग 9 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन निष्कर्ष कुछ नहीं निकल पाया है। विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है। इस सब के बीच केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बड़ा बयान दिया है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक कैलाश चौधरी ने कहा कि किसान यूनियन के कुछ नेता चाहते हैं कि इसका समाधान हो। अगर यूनियन से कम्युनिस्ट निकल जाएं तो कल इसका समाधान हो जाएगा। कम्युनिस्ट, कांग्रेस और कुछ राजनीतिक दल कभी नहीं चाहते कि इसका समाधान हो।
इसके आगे कैलाश चौधरी ने यह भी कहा कि शुरू में जब पहली बैठक हुई थी, तब उनके जो मुद्दे थे उन पर सरकार ने अमल करके उसमें संशोधन कर लिया है। उसके लिए लिखित में आश्वासन देने की बात भी हो चुकी है। कल इस मानसिकता के साथ बैठें कि कोई न कोई समाधान निकालना है। आपको बता दें कि सरकार ने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से तीन कृषि कानून के बारे में अपनी आपत्तियां और सुझाव रखने एवं ठोस प्रस्ताव तैयार करने के लिये एक अनौपचारिक समूह गठित करने को कहा जिस पर 19 जनवरी को अगले दौर की वार्ता में चर्चा हो सकेगी। तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ शुक्रवार को हुई नौवें दौर की वार्ता में प्रदर्शनकारी किसान तीन नये विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे जबकि सरकार ने किसान नेताओं से उनके रुख में लचीलापन दिखाने की अपील की एवं कानून में जरूरी संशोधन के संबंध अपनी इच्छा जतायी।शुरू में जब पहली बैठक हुई थी, तब उनके जो मुद्दे थे उन पर सरकार ने अमल करके उसमें संशोधन कर लिया है। उसके लिए लिखित में आश्वासन देने की बात भी हो चुकी है। कल इस मानसिकता के साथ बैठें कि कोई न कोई समाधान निकालना है: कैलाश चौधरी #FarmLaws https://t.co/LwqqIZUtDC
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 18, 2021
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- अभिनय आकाश
- जनवरी 18, 2021 13:03
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पीएम मोदी के अलावा कई अन्य बड़े देशों के नेताओं के पोस्टर भी इस रैली में थे। प्रदर्शन करने वाले लोग अलग सिंधुदेश और पीएम मोदी के समर्थन में नारे लगा रहे थे। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी पीएम मोदी से सिंध को अलग गेश बनाने के लिए समर्थन भी मांग रहे थे।
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के तारे गर्दिश में हैं। पाकिस्तान में इमरान खान पर विपक्ष तो हमलावर था ही जैसा जनता का रुख है उसने भी इमरान खान की मुश्किलें बढ़ा दी है। रविवार को सिंध के सान कस्बे में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया। रैली में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बैनर और पोस्टर भी देखने को मिले। पीएम मोदी के अलावा कई अन्य बड़े देशों के नेताओं के पोस्टर भी इस रैली में थे। प्रदर्शन करने वाले लोग अलग सिंधुदेश और पीएम मोदी के समर्थन में नारे लगा रहे थे। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी पीएम मोदी से सिंध को अलग गेश बनाने के लिए समर्थन भी मांग रहे थे।
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गौरतलब है कि 1947 के भारत-पाक बंटवारे से लेकर अब तक पाकिस्तान के दोयम दर्जे की नीतियों और सेना की जूतों के तले रखने की आदतों का शिकार होना पड़ता है। जिस तरह बलूचिस्तान पश्चूनिस्तान की मांग पंजाबी वर्चस्व वाली पाकिस्तानी सरकार और सेना के लिए गले की हड्डी बनी हुई है, ठीक उसी तरह सिंध प्रांत की मांग भी लंबे अरसे की की जाती रही है। वहां की सड़कों पर रह-रहकर यह नारा जोर मारता है 'कल बना था बांग्लादेश, अब बनेगा सिंधुदेश'।
#WATCH: Placards of PM Narendra Modi & other world leaders raised at pro-freedom rally in Sann town of Sindh in Pakistan, on 17th Jan.
— ANI (@ANI) January 18, 2021
Participants of the rally raised pro-freedom slogans and placards, seeking the intervention of world leaders in people's demand for Sindhudesh. pic.twitter.com/FJIz3PmRVD
ट्रैक्टर रैली रोकने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह कानून-व्यस्था का मामला
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 18, 2021 13:03
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ट्रैक्टर रैली रोकने संबंधी याचिका पर न्यायालय ने कहा कि यह कानून-व्यस्था का मामला है।पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली में प्रवेश का मामला न्याय व्यवस्था से जुड़ा है और पुलिस इस पर फैसला करेगी।’’ उसने कहा, ‘‘अटॉर्नी जनरल, हम इस मामले की सुनवाई स्थगित कर रहे हैं और आपके पास इस मामले से निपटने का पूरा अधिकार है।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि 26 जनवरी को किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली कानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला है और यह फैसला लेने का पहला अधिकार पुलिस को है कि राष्ट्रीय राजधानी में किसे प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। प्रस्तावित ट्रैक्टर या ट्रॉली रैली अथवा गणतंत्र दिवस पर समारोहों एवं सभाओं को बाधित करने की कोशिश करने अन्य प्रकार के प्रदर्शनों पर रोक का अनुरोध करने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि पुलिस के पास इस मामले से निपटने का पूरा अधिकार हैं।
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न्यायमूर्ति एलएन राव और न्यायमूर्ति विनीत सरन भी इस पीठ में शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘‘क्या उच्चतम न्यायालय यह बताएगा कि पुलिस की क्या शक्तियां हैं और वह इनका इस्तेमाल कैसे करेगी? हम आपको यह नहीं बताने जा रहे कि आपको क्या करना चाहिए।’’ पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को बताया कि मामले में आगे की सुनवाई 20 जनवरी को होगी। पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली में प्रवेश का मामला न्याय व्यवस्था से जुड़ा है और पुलिस इस पर फैसला करेगी।’’ उसने कहा, ‘‘अटॉर्नी जनरल, हम इस मामले की सुनवाई स्थगित कर रहे हैं और आपके पास इस मामले से निपटने का पूरा अधिकार है।

