महागठबंधन में बागी हुए मांझी, लालू को दी धमकी, नीतीश के की मुलाकात

Manjhi
अंकित सिंह । Mar 18 2020 1:41PM

जीतन राम मांझी ने साफ कह दिया कि भले ही महागठबंधन में आरजेडी बड़े भाई की भूमिका में है लेकिन यह भूमिका अगर ठीक से नहीं निभाया जाता तो छोटे घटक दल मार्च के बाद बड़ा फैसला ले सकते हैं। आरजेडी का कहना है कि मांझी महागठबंधन में अधिक सीटों के लिए दबाव की राजनीति कर रहे हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में भूचाल मचा हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को धमकी देने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। यह मुलाकात लगभग 50 मिनट तक चली। इस मुलाकात के बाद अब तरह-तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं। इस मुलाकात से पहले मांझी ने राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को धमकी देते हुए कहा कि अगर आरजेडी ने गठबंधन में सहयोगियों के प्रति अपने रवैए में बदलाव नहीं किया तो वह मार्च के बाद अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होंगे। इस धमकी के बाद ही मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की है। इस मुलाकात के बाद अब तरह-तरह के कयास लग रहे हैं। कुछ लोग यह कह रहे हैं कि मांझी अब NDA में एक बार फिर से वापसी की कोशिश कर रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: कोरोना वायरस से लोगों को घबराने की जरूरत नहीं: नीतीश कुमार

इस बारे में जब जीतन राम मांझी से पूछा गया तो उन्होंने इस पर सिर्फ इतना ही कहा- नो कमेंट। हालांकि हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने इसे दो नेताओं के बीच सामान्य मुलाकात बताया और कहा कि विकास के मुद्दे पर चर्चा हुई होगी, राजनीति बात नहीं हुई होगी लेकिन इस मुलाकात पर सियासी कयासबाजी जारी है। कुछ समय बीतने के बाद मांझी ने सफाई देते हुए कहा कि वे मुख्यमंत्री से 14 मार्च को हटाई गई अपनी एसएससी सुरक्षा को बहाल करने का आग्रह करने गए थे। मांझी ने यह भी कहा कि Ex CM होने के नाते अगर राबड़ी देवी को यह सुरक्षा मिली हुई है तो मेरी क्यों हटाई गई। लेकिन चुनावी साल में इस 50 मिनट की मुलाकात को राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। आपको बात है कि जीतन राम मांझी काफी लंबे समय से महागठबंधन से नाराज चल रहे हैं। उन्होंने महागठबंधन में समन्वय समिति बनाने की मांग की थी और कहा था कि महागठबंधन के सभी फैसले यही समिति लेगी। कांग्रेस और उपेंद्र कुशवाहा भी यही समन्वय समिति की मांग कर रहे हैं। हालांकि आरजेडी लगातार यह कह रही है कि लालू प्रसाद यादव ही महागठबंधन के सर्वोच्च नेता हैं और तेजस्वी यादव ही महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरे हैं। ऐसे में सारा फैसला यही लेंगे। आरजेडी का यही रवैया महागठबंधन में उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी को नहीं भा रहा। 

इसे भी पढ़ें: हरिवंश और राम नाथ ठाकुर को राज्यसभा के लिये नामित करेगी JDU

जीतन राम मांझी ने साफ कह दिया कि भले ही महागठबंधन में आरजेडी बड़े भाई की भूमिका में है लेकिन यह भूमिका अगर ठीक से नहीं निभाया जाता तो छोटे घटक दल मार्च के बाद बड़ा फैसला ले सकते हैं। आरजेडी का कहना है कि मांझी महागठबंधन में अधिक सीटों के लिए दबाव की राजनीति कर रहे हैं। आरजेडी के एक अन्य नेता ने कहा कि विधानसभा में जो नेता विपक्ष होता है वही मुख्यमंत्री पद का पहला विकल्प होता है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि तेजस्वी यादव को ही सामने रखकर चुनाव लड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जमीनी हकीकत को भूल कर कुछ भी बोल देते हैं। महागठबंधन में तकरार पर एनडीए के नेता मान रहे हैं कि महागठबंधन में समन्वय का अभाव है तथा आरजेडी अकेले ही संपूर्ण सत्ता चाहता है। ऐसे में यहां महागठबंधन ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा। जीतन राम मांझी भी यह मान रहे हैं कि नीतीश कुमार के सामने तेजस्वी यादव का चेहरा बेहद ही कमजोर है। ऐसे में कोई मजबूत चेहरा नीतीश के सामने होना चाहिए।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़