एक फरारी कार की कीमत में तैयार हो गया था MiG-21, 62 साल की सेवा के बाद क्यों हुआ सेना से बाहर?

एयर चीफ मार्शल एपी सिंह अंतिम उड़ान में सवार हुए। मिलिट्री एविएशन के इतिहास में मिग-21 को हमेशा याद रखा जाएगा। क्योंकि इसके जैसा कोई दूसरा फाइटर जेट नहीं बना।
पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट आज इतिहास का हिस्सा बन गया। छह दशकों की सेवा, साहस की अनगिनत कहानियां, ऐसा योद्धा के गौरव को जिसने नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। फाइटर जेट मिग-21 को आज चंडीगढ़ एयर बेस से अंतिम विदाई दी गई। एयर चीफ मार्शल एपी सिंह अंतिम उड़ान में सवार हुए। मिलिट्री एविएशन के इतिहास में मिग-21 को हमेशा याद रखा जाएगा। क्योंकि इसके जैसा कोई दूसरा फाइटर जेट नहीं बना। दुनिया भर में करीब 11500 मिग-21 इस्तेमाल हुए और सबसे ज्यादा मिग-21 इंडियन एयरफोर्स ने इस्तेमाल किए। इंडियन एयरफोर्स में कुल 374 मिग-21 शामिल हुए और इन मिग-21 ने कुल 16 लाख घंटे से भी ज्यादा की उड़ान भरी। इन पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट को विदाई देने के लिए वही जगह चुनी गई है जहां सबसे पहले यह आए थे यानी चंडीगढ़।
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मिग-21 का सफर
1962में हुए भारत-चीन युद्ध के तुरंत बाद इंडियन एयरफोर्स को मिग मिले।
1971 मिग-21 ने ढाका 14 दिसंबर को गवर्नमेंट हाउस पर रॉकेट बरसाए थे। पाक को युद्ध में आत्मसमर्पण करने पर मजबूर होना पड़ा था।
1965 1965, 1971 की जंग और 1999 के करगिल युद्ध में भी हुआ इस्तेमाल।
2019 मिग-21 का आखिरी शिकार बना एफ-16 फाइटर जेट। एयर स्ट्राइक के बाद उस वक्त ग्रुप कैप्टन अभिनंदन ने मिग-21 से ही एफ-16 को मार गिराया था।
एक फरारी कार की कीमत में हो गया था तैयार
मिग-21 फाइटर प्लेन सोवियत युग का लड़ाकू विमान है। यही वजह रही कि इसे बनाने में काफी कम लागत आई है। तब एक फाइटर प्लेन पुराने एयरफ्रेम के साथ महज 3.32 करोड़ रुपये में तैयार हो गया था। अगर एक फरारी कार की कीमत देखें तो 3.76 करोड़ रुपये से 7.50 करोड़ रुपये के बीच होती है। जाहिर है कि रूस ने लड़ाकू विमान को एक फरारी कीमत से भी कम में तैयार कर दिया था।
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