रक्षा उपकरण आयात पर रोक से जुड़ी दूसरी सूची पर शुरू कर दिया है मंत्रालय ने काम

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रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों, निजी उद्योगों, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) तथा सेना के तीनों अंगों (थल सेना, वायु सेना और नौ सेना) जैसे बड़े हितधारकों के साथ प्रारंभिक चर्चा शुरू कर दी है।

नयी दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने सैन्य उपकरणों और हथियारों के आयात पर रोक लगाये जाने से जुड़ी दूसरी सूची दिसंबर तक लाने पर काम शुरू कर दिया है। इस कदम का उद्देश्य घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने हथियारों के आयात प्रतिबंध की दूसरी सूची पर रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों, निजी उद्योगों, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) तथा सेना के तीनों अंगों (थल सेना, वायु सेना और नौ सेना) जैसे बड़े हितधारकों के साथ प्रारंभिक चर्चा शुरू कर दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नौ अगस्त को घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने की एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए 101 हथियारों और सैन्य उपकरणों के आयात पर 2024 तक के लिए रोक लगाने की घोषणा की थी। इन उपकरणों में हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, मालवाहक विमान, पारंपरिक पनडुब्बियां और क्रूज मिसाइल शामिल हैं। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने एक विस्तृत समय सीमा के साथ इन उपकरणों की प्रथम सूची जारी की थी। 

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एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हम दिसंबर के अंत तक दूसरी नेगेटिव हथियार आयात सूची लाने पर काम कर रहे हैं। ’’ इस महीने की शुरूआत में रक्षा मंत्रालय की रक्षा खरीद नीति केमसौदे में रक्षा मंत्रालय ने 2025 तक रक्षा विनिर्माण में 1.75 लाख करोड़ रुपये (25 अरब डॉलर) के कारोबार का अनुमान लगाया है। भारत शीर्ष वैश्विक रक्षा कंपनियों के लिये सबसे आकर्षक बाजारों में से एक है। भारत पिछले आठ वर्षों से सैन्य हार्डवेयर के शीर्ष तीन आयातकों में शामिल है। अनुमान के मुताबिक, भारतीय सशस्त्र बल अगले पांच वर्षों में 130 अरब डॉलर की खरीद करने वाले हैं। प्रथम सूची में (101 वस्तुओं की सूची में)टोएड आर्टिलरी बंदूकें, कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, क्रूज मिसाइलें, अपतटीय गश्ती जहाज, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली, अगली पीढ़ी के मिसाइल पोत, फ्लोटिंग डॉक, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लांचर और समुद्री टोही विमान शामिल हैं। इसमें बुनियादी प्रशिक्षण विमान, हल्के रॉकेट लांचर, मल्टी बैरल रॉकेट लांचर, मिसाइल डेस्ट्रॉयर, जहाजों के लिये सोनार प्रणाली, रॉकेट, दृश्यता की सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें अस्त्र-एमके 1, हल्की मशीन गन व आर्टिलरी गोला-बारूद (155 एमएम) और जहाजों पर लगने वाली मध्यम श्रेणी की बंदूकें भी शामिल हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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