Modi Cabinet ने डिजिटल जनगणना और CoalSETU नीति को दी मंजूरी, Copra MSP में की भारी वृद्धि

केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने बताया कि इस विशाल अभियान में करीब 30 लाख फील्ड कर्मी तैनात होंगे। डेटा संग्रह मोबाइल ऐप पर होगा, जबकि Census Management & Monitoring System पोर्टल पूरे अभियान की वास्तविक समय निगरानी करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए, जिनका देश की प्रशासनिक व्यवस्था, औद्योगिक ढाँचे और कृषि अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा। सबसे बड़ा फैसला 2027 की जनगणना के लिए 11,718.24 करोड़ रुपये की स्वीकृति का रहा, जिसे पहली बार पूरी तरह डिजिटल माध्यम से किया जाएगा।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि जनगणना दो चरणों में होगी। हाउस लिस्टिंग एवं हाउसिंग जनगणना अप्रैल–सितंबर 2026 में होगी तथा जनसंख्या गणना फरवरी 2027 में होगी। लद्दाख, जम्मू–कश्मीर के गैर-समकालिक क्षेत्रों, हिमाचल और उत्तराखंड के हिमपाती इलाकों में इसे सितंबर 2026 में पूरा किया जाएगा।
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इस विशाल अभियान में करीब 30 लाख फील्ड कर्मी तैनात होंगे। डेटा संग्रह मोबाइल ऐप पर होगा, जबकि Census Management & Monitoring System पोर्टल पूरे अभियान की वास्तविक समय निगरानी करेगा। जनता को स्वयं-गणना (Self Enumeration) का विकल्प भी मिलेगा। पहली बार 2027 की जनगणना में जाति संबंधी आंकड़े भी इलेक्ट्रॉनिक रूप में संकलित किए जाएंगे। केंद्र के अनुसार इस अभियान से लगभग 1.02 करोड़ मानव-दिवस का रोजगार सृजन होगा।
इसके अलावा, मोदी कैबिनेट ने कोयला क्षेत्र में बड़ा सुधार करते हुए CoalSETU विंडो की स्थापना को भी मंजूरी दी। नई नीति के तहत गैर-नियंत्रित क्षेत्रों (NRS) के लिए कोयला लिंकिंग की नीलामी अब किसी भी औद्योगिक उपयोग और निर्यात के लिए खुल जाएगी। coking coal इसमें शामिल नहीं होगा। प्रस्तावित नीति से घरेलू उद्योगों को कोयला उपलब्धता में लचीलापन मिलेगा और आयात पर निर्भरता घटेगी। कोयले को 50 प्रतिशत तक निर्यात करने की भी अनुमति रहेगी।
साथ ही किसानों के लिए भी कैबिनेट ने राहत का ऐलान किया। कोपरा का MSP बढ़ाकर मिलिंग कोपरा के लिए 12,027 रुपये/क्विंटल और बॉल कोपरा के लिए 12,500 रुपये/क्विंटल कर दिया गया है। यह पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः 445 और 400 रुपये की वृद्धि है। 2014 से अब तक MSP में 127–129 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। NAFED और NCCF पूर्व की तरह खरीद एजेंसियों की भूमिका निभाएँगे।
देखा जाये तो आज के कैबिनेट निर्णय केवल प्रशासनिक स्वीकृतियाँ नहीं, बल्कि मोदी सरकार की दीर्घकालिक सोच और शासन मॉडल का विस्तृत बयान हैं। इनमें सबसे बड़ा महत्व 2027 की डिजिटल जनगणना के फैसले का है जो न सिर्फ डेटा संग्रह की प्रक्रिया को बदल देगा, बल्कि भारतीय शासन व्यवस्था में डेटा-ड्रिवन पॉलिसी मॉडल की ठोस नींव रखेगा। मोदी सरकार लंबे समय से “सटीक आंकड़े–सशक्त निर्णय” की नीति पर बल देती आई है; डिजिटल जनगणना उसी दिशा में ऐतिहासिक कदम है।
साथ ही जाति आधारित आंकड़ों को जनगणना में शामिल करने का निर्णय राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह कदम सामाजिक न्याय, कल्याणकारी योजनाओं के वितरण, और राज्यों के भीतर संसाधन आवंटन में नई पारदर्शिता लाएगा। विपक्ष लंबे समय से जाति गणना की माँग करता रहा है; ऐसे में सरकार का यह कदम राजनीतिक विमर्श को नया आयाम देगा और केंद्र की पकड़ सामाजिक संरचना पर और मजबूत होगी।
वहीं CoalSETU नीति सरकार की औद्योगिक रणनीति का हिस्सा है। भारत की ऊर्जा सुरक्षा आज वैश्विक परिस्थितियों के कारण लगातार दबाव में रहती है। ऐसे समय में कोयले के उपयोग में लचीलापन, नीलामी में पारदर्शिता और निर्यात की अनुमति उन उद्योगों को फायदा पहुँचाएगी जो ऊर्जा लागत से जूझते रहे हैं। यह नीति “Ease of Doing Business” को भी मजबूत करेगी और कोयला क्षेत्र में वर्षों से चली आ रही एंड–यूज़ प्रतिबंध की जटिलता समाप्त करेगी।
इसके अलावा, डीजल, गैस और ऊर्जा आयात पर निर्भरता कम करना भारत की सामरिक प्राथमिकताओं में शामिल है। CoalSETU से घरेलू उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहन मिलेगा, जबकि निर्यात विकल्प भारत को वैश्विक कोयला बाज़ार में भी प्रभावी उपस्थिति दिला सकता है। साथ ही, डिजिटल जनगणना से जो विशाल डेटा संरचना बनेगी, वह रक्षा, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और सीमावर्ती क्षेत्रों की जनसंख्या विश्लेषण जैसे क्षेत्रों में सामरिक लाभ देगी।
साथ ही कोपरा MSP में वृद्धि दक्षिणी राज्यों विशेषकर केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक—में किसानों को मजबूत आर्थिक सुरक्षा देगी। यह निर्णय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाएगा और नारियल उत्पाद बाज़ार को स्थिरता देगा।
बहरहाल, समग्र रूप से, इन कैबिनेट फैसलों ने यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार का फोकस डिजिटल-शासन, औद्योगिक सुधार, ऊर्जा सुरक्षा और किसान हित पर एक साथ केंद्रित है। यह 2027 तक भारत को एक अधिक संगठित, अधिक डेटा-सक्षम और अधिक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की दिशा में निर्णायक कदम है।
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