UCC पर मोदी सरकार ने बढ़ाया एक और बड़ा कदम, GoM का गठन कर चार मंत्रियों को दी अहम जिम्मेदारी

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ANI
अंकित सिंह । Jul 6 2023 12:21PM

बताया जा रहा है कि कुछ अन्य सदस्य महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, ​​कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और पूर्वोत्तर के प्रभारी मंत्री जी किशन रेड्डी हैं। इसके साथ ही समान नागरिक संहिता से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए बुधवार को भी जीओएम की मैराथन बैठकें हुईं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समान नागरिक संहिता की आवश्यकता के बारे में बोलने के एक सप्ताह बाद, इस मुद्दे पर आगे विचार-विमर्श के लिए मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) गठित किया गया है। सूत्रों ने बताया कि पूर्व कानून मंत्री किरेन रिजिजू की अध्यक्षता वाले जीओएम ने यूसीसी मुद्दे पर अपना परामर्श शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि कुछ अन्य सदस्य महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, ​​कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और पूर्वोत्तर के प्रभारी मंत्री जी किशन रेड्डी हैं। इसके साथ ही समान नागरिक संहिता से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए बुधवार को भी जीओएम की मैराथन बैठकें हुईं।

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इनसे हुई बैठक

सूत्रों ने कहा कि पिछले दो दिनों में उत्तर-पूर्वी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी बात की गई है। मेघालय के सीएम कोनार्ड संगमा ने बुधवार को किरण रिजिजू से मुलाकात की। बैठक के बाद उन्होंने ट्वीट किया: “आज दोपहर अपने मित्र और माननीय मंत्री किरेन रिजिजू जी से मुलाकात करके खुशी हुई। हमने अपने लोगों के विकास और कल्याण से संबंधित सामान्य मुद्दों और एजेंडे पर विस्तृत चर्चा की। जानकारी के मुताबिक अलग-अलग मंत्री अलग-अलग मुद्दों पर विचार करेंगे। आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर किरेन रिजिजू, महिला अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर स्मृति ईरानी बात करेंगी। वहीं, पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़े मुद्दों पर जी किशन रेड्डी और कानूनी पहलुओं पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विचार करेंगे। 

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लगातार हो रही बात

यूसीसी पर जीओएम ने सभी पूर्वोत्तर मुख्यमंत्रियों के साथ व्यक्तिगत और टेलीफोन पर परामर्श किया है। राज्यों में काफी संख्या में आदिवासी आबादी है और वे अपने व्यक्तिगत कानूनों में बदलाव के किसी भी प्रयास का विरोध करते हैं। कानून और न्याय संसदीय स्थायी समिति के प्रमुख सुशील मोदी ने भी कथित तौर पर यूसीसी के दायरे में आदिवासियों को शामिल करने की व्यवहार्यता पर सवाल उठाया है। उन्होंने कथित तौर पर पैनल की एक बैठक में बताया कि संविधान आदिवासी रीति-रिवाजों और जीवन शैली को सुरक्षा प्रदान करता है।

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