नासा को भारतीय इंजीनियर की मदद से मिला चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का मलबा

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[email protected] । Dec 3 2019 6:49PM

नासा ने अपने ‘लूनर रिकॉनाइसां ऑर्बिटर’ (एलआरओ) से ली गई तस्वीर में अंतरिक्ष यान से टक्कर स्थल को और उस स्थान को दिखाया है जहां मलबा हो सकता है। लैंडर के हिस्से कई किलोमीटर तक लगभग दो दर्जन स्थानों पर बिखरे हुए हैं।

वाशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को चंद्रमा पर भारत के महत्वकांक्षी चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा मिला है, और एजेंसी ने इसका श्रेय चेन्नई के मैकेनिकल इंजीनियर को दिया, जिन्होंने इसे खोजने में मदद की। लैंडर विक्रम सितंबर में चंद्रमा की तहत पर उतरते दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। नासा ने मलबे की तस्वीर भी साझा की है। विक्रम लैंडर की सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कोशिश नाकाम रही थी और लैंडिंग से कुछ मिनट पहले लैंडर का इसरो से सम्पर्क टूट गया था। नासा ने अपने ‘लूनर रिकॉनाइसां ऑर्बिटर’ (एलआरओ) से ली गई तस्वीर में अंतरिक्ष यान से टक्कर स्थल को और उस स्थान को दिखाया है जहां मलबा हो सकता है।

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लैंडर के हिस्से कई किलोमीटर तक लगभग दो दर्जन स्थानों पर बिखरे हुए हैं। नासा ने एक बयान में कहा कि उसने स्थल की एक तस्वीर 26 सितम्बर को साझा की और लोगों से उस तस्वीर में लैंडर के मलबे को पहचानने की अपील की। नासा ने कहा कि षनमुगा सुब्रमण्यन ने एलआरओ परियोजना से संपर्क किया और मुख्य दुर्घटनास्थल से लगभग 750 मीटर उत्तर पश्चिम में पहले टुकड़े की पहचान की। नासा ने कहा, ‘‘यह जानकारी मिलने के बाद, एलआरओसी दल ने पहले की और बाद की तस्वीरें मिला कर इसकी पुष्टि की। पहले की तस्वीरें जब मिलीं थी तब खराब रोशनी के कारण प्रभावित स्थल की आसानी से पहचान नहीं हो पाई थी। ’’

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नासा ने कहा कि इसके बाद 14 -15 अक्टूबर और 11 नवम्बर को दो तस्वीरें हासिल की गईं। एलआरओसी दल ने इसके आसपास के इलाके में छानबीन की और उसे प्रभावित स्थल (अक्षांश: 70.8810 डिग्री, देशांतर: 22.7840 डिग्री) तथा मलबा मिला। नासा के अनुसार नवम्बर में मिली तस्वीर के बेहतरीन पिक्सल स्केल (0.7 मीटर) और रोशनी की स्थिति (72 डिग्री इंसिडेंस एंगल) सबसे बेहतर थी। भारत का यह अभियान सफल हो जाता तो वह अमेरिका, रूस और चीन के बाद चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बन जाता।

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