National Herald Case: सोनिया-राहुल समेत कई लोगों को राहत, ED की चार्जशीट पर कोर्ट का संज्ञान लेने से इनकार

कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी, सोनिया गांधी और कई अन्य लोगों को इस मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) की प्रति प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। राउज़ एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) विशाल गोगने ने इस संबंध में मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया।
दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पांच अन्य के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर मनी लॉन्ड्रिंग मामले का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। हालांकि, अदालत ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी इस मामले में अपनी जांच जारी रख सकती है। इसके अलावा, दिल्ली की अदालत ने फैसला सुनाया कि कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी, सोनिया गांधी और कई अन्य लोगों को इस मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) की प्रति प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। राउज़ एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) विशाल गोगने ने इस संबंध में मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया।
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गोग्ने ने कहा कि शिकायत खारिज कर दी गई है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि मामले में आगे की दलीलें सुनी जा सकती हैं, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने एक नई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की है। ईडी ने अपने आरोपपत्र में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा, यंग इंडियन, डॉटेक्स मर्चेंडाइज और सुनील भंडारी को इस मामले में मुख्य आरोपी बनाया था। आरोप है कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 3 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की, जिसमें गांधी परिवार, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, यंग इंडियन और अन्य को धोखाधड़ी, संपत्ति के बेईमानी से दुरुपयोग, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक साजिश के आरोपों में आरोपी बनाया गया है।
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यह एफआईआर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 66 (2) के तहत दी गई सूचना पर आधारित है। ईडी पहले से ही नेशनल हेराल्ड मामले में धन शोधन के पहलू की जांच कर रही है। यह कार्यवाही भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर आपराधिक शिकायत पर न्यायालय के संज्ञान आदेश पर आधारित है।
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