किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प में प्राकृतिक कृषि कारगर साबित होगी: रावत

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[email protected] । Jun 20 2019 6:40PM

मुख्यमंत्री ने कहा कि पालेकर कृषि मॉडल हिमांचल प्रदेश में भी सफल हुआ है और उत्तराखण्ड में इस पर विस्तृत अध्ययन कराया जायेगा।

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को पूरा करने में प्राकृतिक कृषि कारगर साबित हो सकती है। यहां शून्य लागत (जीरो बजट) प्राकृतिक कृषि से संबधित एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘ भारत में आजीविका का मुख्य साधन कृषि है और हमारी लगभग 64 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर आधारित है।’

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उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने के लिए कृषि कार्यों में लागत कम करने व उत्पादन में वृद्धि पर विशेष ध्यान देना होगा।’’ इस संबंध में प्राकृतिक कृषि से संबंधित ‘पालेकर कृषि मॉडल’ को उपयोगी बताते हुए रावत ने कहा कि विशेषकर उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक कृषि काफी कारगर साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में पर्वतीय क्षेत्रों में आसानी से उपलब्ध जैव अवशेषों, कम्पोस्ट व प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग किया जा सकता है जिससे कृषकों पर व्यय भार भी ज्यादा नहीं पड़ेगा और उत्तम गुणवत्ता के उत्पादों में भी इजाफा होगा। 

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खेती में रासायनिक उत्पादों का प्रयोग कम से कम करने के लिये राज्य में हुए प्रभावी प्रयासों का जिक्र करते हुए रावत ने कहा कि प्राकृतिक खेती पर कौशल विकास व कृषि विभाग के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पालेकर कृषि मॉडल हिमांचल प्रदेश में भी सफल हुआ है और उत्तराखण्ड में इस पर विस्तृत अध्ययन कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इसके लिए एक कमेटी बनाई जायेगी। कार्यक्रम में भाग लेने आये पद्मश्री सुभाष पालेकर ने कहा कि परम्परागत खेती व रासायनिक खेती के बजाय प्राकृतिक खेती पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। 

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उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में लागत न के बराबर है जबकि यह मृदा की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने व शुद्ध पौष्टिक आहार का भी एक उत्तम जरिया है। पालेकर ने उद्योग व रासायनिक कृषि को वैश्विक तापमान वृद्धि का प्रमुख कारक बताते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती को एक मिशन के रूप में लिया जाना चाहिए क्योंकि इसके लिए किसी प्रकार के अतिरिक्त बजट की आवश्यकता नहीं है और यह राज्य में उपलब्ध संसाधनों से आगे बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि हिमांचल में प्राकृतिक कृषि पर कार्य किया जा रहा है जिसके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर देश की कृषि व्यवस्था सुदृढ़ होगी तो आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।

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