न्यू इंडिया के निर्माण के लिए नेताजी के विजन को अपनाने की जरुरत: विक्रम दीश

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अमृतकाल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की दृष्टि' विषय पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए विक्रम दीश ने कहा कि नेताजी को याद करने का अर्थ है उनके द्वारा चलाए गए मिशन को समझना और उनके अधूरे काम को पूरा करना।

नई दिल्ली। "भारत के लोगों के मन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का एक अलग स्थान है। भारत की सभ्यता और संस्कृति से प्रेरित और वैज्ञानिक सोच से संपन्न नेताजी ने आधुनिक राष्ट्र के निर्माण का एक ऐसा मिशन शुरू किया, जिसकी प्रासंगिकता आज भी कायम है।" यह विचार वेटरन स्क्वाड्रन लीडर विक्रम दीश ने भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'शुक्रवार संवाद' के दौरान व्यक्त किए। कार्यक्रम में आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी एवं डीन (छात्र कल्याण) प्रो. प्रमोद कुमार सहित आईआईएमसी के सभी केंद्रों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।  

'अमृतकाल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की दृष्टि' विषय पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए विक्रम दीश ने कहा कि नेताजी को याद करने का अर्थ है उनके द्वारा चलाए गए मिशन को समझना और उनके अधूरे काम को पूरा करना। उन्होंने कहा कि यवुाओं को जागरूक और संगठित किए बिना नेताजी का सपना पूरा करना असंभव है। आजादी का अमृतकाल इस काम को शुरू करने का ऐतिहासिक अवसर है।

दीश के अनुसार वर्तमान युग में भारत को अत्यधिक जिम्मेदार और महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। उसे भारतीय ही नहीं, बल्कि अन्य देशों के लोगों के मन में एक नई चेतना जगानी है। भारत के पास ऐसा करने की आंतरिक शक्ति है। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस, गरीबी और अशिक्षा को देश की सबसे बड़ी समस्याओं में गिनते थे। इन समस्याओं के समाधान के लिए समाज को मिलकर प्रयास करना होगा।

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विक्रम दीश ने कहा कि नेताजी का मानना था कि स्त्री और पुरुष में कोई भी भेद संभव नहीं है। सच्चा पुरुष वही होता है, जो हर परिस्थिति में नारी का सम्मान करता है। यही कारण था कि महिला सशक्तिकरण का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने आजाद हिंद फौज में रानी झांसी रेजीमेंट की स्थापना की थी।  

कार्यक्रम में स्वागत भाषण डिजिटल मीडिया विभाग की पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. रचना शर्मा ने दिया। संचालन आउटरीच विभाग में सहयोगी सलोनी सैनी ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन ढेंकानाल कैंपस में असिस्टेंट प्रोफेसर भावना आचार्य ने दिया।

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