RSS At 100: किसी स्वयंसेवी संगठन का संघ जितना विरोध नहीं हुआ, मोहन भागवत बोले- फिर भी स्वयंसेवकों के मन में समाज के लिए प्रेम

भागवत ने जोर देकर कहा कि संगठन का उद्देश्य अपने योगदान के माध्यम से राष्ट्र को ‘विश्वगुरु’ बनाना है और इसका उद्देश्य प्रत्येक हिंदू में जिम्मेदारी की भावना पैदा करना है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला की शुरुआत की। व्याख्यानमाला 26 अगस्त को शुरू हुई, जहाँ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक सभा को संबोधित किया और संगठन की उपलब्धियों और उसके भविष्य के मिशन पर प्रकाश डाला। भागवत ने जोर देकर कहा कि संगठन का उद्देश्य अपने योगदान के माध्यम से राष्ट्र को ‘विश्वगुरु’ बनाना है और इसका उद्देश्य प्रत्येक हिंदू में जिम्मेदारी की भावना पैदा करना है।
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मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि जितना विरोध राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का हुआ है, उतना किसी भी संगठन का नहीं हुआ। इसके बावजूद स्वयंसेवकों के मन में समाज के प्रति शुद्ध सात्विक प्रेम ही है। इसी प्रेम के कारण अब हमारे विरोध की धार कम हो गई है। नेक लोगों से दोस्ती करें, उन लोगों को नजरअंदाज करें जो नेक काम नहीं करते। अच्छे कामों की सराहना करें, भले ही वे विरोधियों द्वारा किए गए हों। गलत काम करने वालों के प्रति क्रूरता नहीं, बल्कि करुणा दिखाएं। संघ में कोई प्रोत्साहन नहीं, बल्कि कई हतोत्साहन हैं। स्वयंसेवकों के लिए कोई इंसेंटिव नहीं मिलता।
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उन्होंने कहा कि क्रांतिकारियों की एक और लहर थी। उस लहर से कई ऐसे उदाहरण निकले जो आज भी हमें प्रेरणा देते हैं... उस क्रांति का उद्देश्य आज़ादी के बाद समाप्त हो गया। सावरकर जी उस लहर के एक दैदीप्यमान रत्न थे... वह लहर अब मौजूद नहीं है और उसकी ज़रूरत भी नहीं है, लेकिन वह लहर देश के लिए जीने और मरने की प्रेरणा थी। 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आज, मैं गर्व के साथ कहना चाहता हूँ कि 100 वर्ष पूर्व, एक संगठन का जन्म हुआ - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)। राष्ट्र सेवा के 100 वर्ष एक गौरवपूर्ण, स्वर्णिम अध्याय हैं। 'व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण' के संकल्प के साथ, माँ भारती के कल्याण के उद्देश्य से, स्वयंसेवकों ने मातृभूमि के कल्याण हेतु अपना जीवन समर्पित कर दिया... एक प्रकार से, आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा गैर सरकारी संगठन है। इसका 100 वर्षों का समर्पण का इतिहास है।
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